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IIP Slowdown : अक्टूबर में औद्योगिक उत्पादन में गिरावट, धीमी पड़ी रिकवरी की रफ्तार

औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार का संकेत देने वाले दो अहम सूचकांकों कैपिटल गुड्स और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सूचकांक में खासी गिरावट दर्ज की गई है.

औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार का संकेत देने वाले दो अहम सूचकांकों कैपिटल गुड्स और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सूचकांक में खासी गिरावट दर्ज की गई है.

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IIP Slowdown : अक्टूबर में औद्योगिक उत्पादन में गिरावट, धीमी पड़ी रिकवरी की रफ्तार

अक्टूबर 2021 में औद्योगिक उत्पादन में गिरावट

देश में औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार धीमी पड़ गई है. औद्योगिक उत्पादन का सूचकांक ( IIP) में अक्टूबर में 3.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, जबकि सितंबर में यह ग्रोथ 3.3 फीसदी रही थी. अगस्त में आईआईपी में 12 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई थी. अक्टूबर 2020 के हिसाब से भी इसमें काफी गिरावट आई है. अक्टूबर 2020 में IIP में 4.5 की ग्रोथ दर्ज की गई थी.

कंज्यूमर ड्यूरेबल्स के उत्पादन में भारी गिरावट

औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार का संकेत देने वाले दो सूचकांकों कैपिटल गुड्स ( Capital Goods) और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स ( Consumer Durables) के उत्पादन में खासी गिरावट दर्ज की गई है. कैपिटल गुड्स के उत्पादन में पिछले साल ( 2020) अक्टूबर की तुलना में 1.1 फीसदी की गिरावट आई है. जबकि सितंबर में यह 2.4 फीसदी बढ़ा था. इसी तरह कंज्यूमर ड्यूरेबल्स का उत्पादन 6.1 फीसदी गिर गया है. हालांकि नॉन ड्यूरेबल्स गुड्स में 0.5 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई. औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों को देखें तो माइनिंग के छोड़ कर बाकी सेक्टरों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. अक्टूबर में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ सिर्फ 2 फीसदी रही जबकि इलेक्ट्रिसिटी जेनरेशन की ग्रोथ 3.1 फीसदी रही.

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त्योहारी मांग का भी औद्योगिक उत्पादन पर असर नहीं

इन आंकड़ों से साफ है कि औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार धीमी पड़ गई है क्योंकि जिस पेंट-अप डिमांड की बदौलत इसमें तेजी आई थी, वह अब घट गई है. दिवाली और इससे पहले की त्योहारी मांग के धीमे पड़ने का असर इस पर साफ दिख रहा है. देखा जाए तो पिछले ढाई साल में आईआईपी की ग्रोथ शायद ही उत्साहजनक रही है. देश में कोरोना महामारी से पहले ही इसमें गिरावट दिख रही थी.

कोरोना के बाद इसमें आई तेज ग्रोथ भी लो बेस इफेक्ट का नतीजा रही है. हालांकि अगस्त ( 2021) में जब आईआईपी में 12 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई तो कहा जा रहा था कि देश में कंज्यूमर डिमांड बढ़ रही है और इसका असर इस पर दिख रहा है. सितंबर के आखिर में शुरू हुए त्योहारी सीजन में मांग में और बढ़ोतरी की उम्मीद लगाई जा रही थी और कहा जा रहा था कि मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर समेत इकोनॉमी के कई सेक्टरों को इसका फायदा मिलेगा.लेकिन अक्टूबर में औद्योगिक उत्पादन के निराशाजनक आंकड़ों ने इस अनुमान को गलत साबित कर दिया.

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