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इंवेस्को के मुताबिक उसने रिलायंस और जी के बीच एक सौदे की कोशिश की थी.
ZEEL-Invesco Case: देश की सबसे बड़ी लिस्टेड मीडिया कंपनी जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज (ZEEL) के सबसे बड़े शेयरधारक इंवेस्को (Invesco) ने आज 13 अक्टूबर को अहम खुलासा किया है. इंवेस्को के मुताबिक उसने रिलायंस और जी के बीच एक सौदे की कोशिश की थी. हालांकि इंवेस्को ने इससे इनकार किया कि उसने इस सौदे को कम कीमत पर कराने की कोशिश की थी. इंवेस्को का यह बयान ZEEL के प्रमुख पुनीत गोयनका (Punit Goenka) द्वारा कंपनी को बोर्ड को इंवेस्को के एक प्रस्ताव की जानकारी देने के अगले दिन आया है.
गोयनका ने बोर्ड से बताया था कि फरवरी 2021 में इंवेस्को ने एक बड़े भारतीय ग्रुप (स्ट्रेटजिक ग्रुप) की कुछ कंपनियों के साथ विलय का प्रस्ताव रखा था. गोयनका के मुताबिक इस सौदे से कंपनी के निवेशकों को करीब 10 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होता. हालांकि गोयनका ने इस बड़े भारतीय ग्रुप के नाम का खुलासा नहीं किया. आज इंवेस्को ने कहा कि यह रिलायंस थी.
इंवेस्को ने सौदे में कोई अहम भूमिका होने से किया इनकार
इंवेस्को ने आज कहा कि फरवरी में सौदे का जो प्रस्ताव था, उस पर रिलायंस और गोयनका व जी के प्रमोटर्स के बीच नेगोशिएशन हुआ था. जी के सबसे बड़े शेयरधारक इंवेस्को ने कहा कि इसमें उसकी भूमिका सिर्फ सौदे को आगे बढ़ाने की थी. वहीं दूसरी तरफ ZEEL के एमडी और सीईओ पुनीत गोयनका ने मंगलवार को बोर्ड से कहा था कि इस सौदे का प्रस्ताव इंवेस्को लेकर आई थी और अगर सौदा होता तो कंपनी के शेयरधारकों को 10 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होता. इसके अलावा गोयनका ने कहा कि स्ट्रेटजिक ग्रुप (गोयनका ने नाम का खुलासा नहीं किया था) की कंपनी में मेजॉरिटी हिस्सेदारी होती और विलय के बाद बनी कंपनी में 4 फीसदी हिस्सेदारी के साथ उन्हें एमडी व सीईओ बनाने का ऑफर था.
ईजीएम बैठक बुलाने को लेकर हो रहा विवाद
जी एंटरटेनमेंट और इंवेस्को के बीच विवाद इंवेस्को द्वारा एक्स्ट्राऑर्डिनरी जनरल मीटिंग बुलाए जाने की मांग को लेकर शुरू हुआ. इंवेस्को और ओएफआई ग्लोबल चाइना फंड एलएलसी ने जी एंटरटेनमेंट के सीईओ पुनीत गोयनका समेत तीन निदेशकों को हटाने और छह स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति के लिए लिए एक्स्ट्राऑर्डिनरी जनरल मीटिंग (ईजीएम) बुलाई थी. पुनीत गोयनका सुभाष चंद्रा के पुत्र हैं. इस मसले को लेकर जी और इंवेस्को के बीच तीन कानूनी लड़ाई चल रही है, एक बॉम्बे हाईकोर्ट में और इसके अलावा एनसीएलटी व एनसीएलएटी में.