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Strong Portfolio: शेयर बाजार में बीते 1 साल में 23 फीसदी की रैली रही है और यह रिकॉर्ड हाई के करीब है.
Mutual Funds Portfolio: शेयर बाजार अपने रिकॉर्ड हाई के करीब है. 19 जून 2023 के कारोबार में निफ्टी ने 18881 का लेवल टच कर लिया, जबकि आलटाइम हाई 18888 है. आरलटाइम हाई दिसंबर 2022 में बना था. वहीं सेंसेक्स भी अपने आलटाइम हाई 63,583 के करीब है. बीते 1 साल में सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ने करीब 22 से 23 फीसदी रिटर्न दिया है. इस दौरान मिडकैप और स्मालकैप शेयरों ने भी शानदार प्रदर्शन किया है. ओवरआल बाजार का वैल्युएशन भी अब सस्ता नहीं रह गया. बाजार की तेजी और ग्रोथ इंडीकेटर्स पर ध्यान दें तो भारतीय बाजारों में तेजी उम्मीद से बेहतर दिख रही है. ऐसे में बाजार में करेक्शन का भी डर है, जिससे इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेशकों में कनफ्यूजन बना है कि वे किस तरीके से और कहां पैसे लगाएं.
एक्सपर्ट का कहना है कि भारतीय बाजारों का प्रदर्शन ग्लोबल पियर्स की तुलना में बेहद स्टेबल और मजबूत रहा है. ऊपरी स्तरों से एक गिरावट आने की आशंका है, जिसे लेकर सतर्क रहने की ज्यरत है, लेकिन लॉन्ग टर्म में बाजार को लेकर चिंता नजर नहीं आ रही है. आगे के लिए मैक्रो कंडीशंस अच्छे हो रहे हैं, डिमांड बढ़ रही है, महंगाई अपने पीक से नीचे आ रही है. इसलिए बाजार गिरा भी तो वह निवेश के लिए नए मौके की तरह होगा. इसलिए जल्दबाजी में अपना निवेश निकालने की बजाए लॉन्ग टर्म स्ट्रैटेजी पर फोकस करना चाहिए. मसलन इक्विटी पोर्टफोलियो रीबैलेंस, अपनी निवेश के लक्ष्य और जोखिम लेने की क्षमता के आधार पर स्कीम का चुनाव.
इक्विटी पोर्टफोलियो करें रीबैलेंस
बीपीएन फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम का कहना है कि बीते 1 साल में इक्विटी में खासी तेजी आ चुकी है. ऐसे में स्टॉक पोर्टफोलियो को फिर से बैलेंस करने का समय आ गया है. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर आपने 1 साल पहले 10 इक्विटी शेयर खरीदे और हर एक में 10 फीसदी निवेश कर दिया. आज किसी शेयर में 15 फीसदी तेजी आई होगी तो किसी में 25 फीसदी. हो सकता है कि किसी में निगेटिव रिटर्न भी मिला हो. ऐसे में अब आपका एक्चुअल अलोकेशन हर शेयर में 10 फीसदी नहीं रह गया. किसी की वैल्यू ज्यादा हो गई तो किसी की कम. इसलिए अपने पोर्टफोलियो को फिर से 10 फीसदी 10 फीसदी के अनुपात में रीबैलेंस करने की जरूरत है. इसका तरीका यह है कि अगर किसी शेयर में ज्यादा तेजी आई और अब करेक्शन का डर है तो वहां से कुछ पैसे निकालकर उन अच्छे शेयरों में लगा सकते हैं, जो अभी फेयर वैल्यू के नीचे हैं.
म्यूचुअल फंड निवेशक ऐसे बनाएं स्ट्रैटेजी
निगम का कहना है कि बाजार अभी हाई पर है, लेकिन कोविड 19 के बाद से देखें तो ग्रोथ अभी रिकवरी मोड में है. आगे के लिए मैक्रो कंडीशंस अच्छे हो रहे हैं, डिमांड बढ़ रही है, महंगाई अपने पीक से नीचे आ रही है. ऐसे में बाजार में भले ही एक करेक्शन की आशंका अभी है, लेकिन लॉन्ग टर्म में आउटलुक बेहद मजबूत है. इसलिए म्यूचुअल फंड में लॉन्ग टर्म स्ट्रैटेजी को लेकर तैयारी करनी चाहिए.
अगर आप पहली बार निवेश करने जा रहे हैं तो पोर्टफोलियो में लॉर्ज एंड मिडकैप म्यूचुअल फंड कैटेगिरी में शामिल अच्छी स्कीम को प्राथमिकता में रखें. इसके अइलावा मल्टीकैप से स्कीम का चुनाव कर सकते हैं. कुछ हिस्सा मिडकैप सेग्मेंट से और एक छोटा हिस्सा स्मालकैप से रखें, जिनमें आगे हाई रिटर्न के चांस रहते हैं.
वहीं अगर आप कुछ रिस्क ले सकते हैं और निवेश का अनुभव भी है तो मौजूदा समय में पोर्टफोलियो में मिडकैप सेग्मेंट वाली स्कीम प्राथमिकता में रख सकते हैं. इस सेग्मेंट में अच्छा मोमेंटम बना हुआ है और लॉन्ग टर्म में ये हाई रिटर्न जेनरेट कर सकते हैं. लेकिन ध्यान रहे कि इनमें लार्जकैप या मल्टीकैप की तुलना में रिस्क भी ज्यादा है.
अगर आप कंजर्वेटिव इन्वेस्टर हैं तो मल्टी एसेट्स फंड का वेटेज ज्यादा रखें. इसके अलावा लार्ज एंड मिडकैप स्कीम, लार्जकैप स्कीम को पोर्टफोलियो में शामिल करें. उनका कहना है कि एक मुश्त के जगह एसआईपी इन योजनाओं में निवेश के लिए बेहतर विकल्प है.
एक साथ नहीं लगाना चाहते पैसा तो क्या करें
बहुत से निवेशक एक साथ अपना पूरा पैसा निवेश नहीं करा चाहते हैं. ऐसे में वे STP मोड यानी सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान चुने सकते हैं. इस ऐसे समझ सकते हैं कि आपने किसी फंड में पैसा डाल दिया है. यहां आपको ठीक ठाक रिटर्न मिल रहा है लेकिन किसी दूसरे फंड में रिटर्न इससे भी अच्छा है. आप दूसरे फंड में बेहतर रिटर्न के लिए पैसा ट्रांसफर करना चाहते हैं. इस स्थिति में आप एक स्कीम से दूसरी स्कीम में सिस्टमैटिक तरीके से यानी कुछ किस्तों में ट्रांसफर कर सकते हैं. STP का विकल्प भी SIP की ही तरह निवेशक खुद चुनता है. इस विकल्प में रिस्क घट जाता है.
(Disclaimer: म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिम के अधीन होता है. हमने यहां एक्सपर्ट के हवाले से जानकारी दी है. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं हैं. निवेश के पहले एक्सपर्ट की सलाह लें.)