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इंडियन कैपिटल मार्केट में पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) के जरिये निवेश में भारी गिरावट देखने को मिली है.
Investment via P-notes Drops in June: इंडियन कैपिटल मार्केट में पार्टिसिपेटरी नोट्स (P-notes) के जरिये निवेश में भारी गिरावट देखने को मिली है. जून महीने में यह घटकर 80,092 करोड़ रुपये पर आ गया है. यह 20 महीने में पी-नोट्स के जरिये निवेश का सबसे निचला स्तर है. वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता के बीच एक्सपर्ट्स का कहना है कि निकट भविष्य में पी-नोट्स के जरिये निवेश में उतार-चढ़ाव बना रहेगा. निवेश में यह गिरावट अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के आक्रामक तरीके से नीतिगत दर में वृद्धि के बीच देखने को मिली है.
20 महीने के निचले स्तर पर आया निवेश
रजिस्टर्ड विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) उन विदेशी निवेशकों को पी-नोट्स जारी करते हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से रजिस्टर हुए बिना भारतीय शेयर बाजार का हिस्सा बनना चाहते हैं. हालांकि, उन्हें जांच-पड़ताल की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय बाजार में पी-नोट्स के माध्यम से निवेश जून के अंत में 80,092 करोड़ रुपये रहा जबकि मई के अंत में यह 86,706 करोड़ रुपये था. यह अक्टूबर, 2020 के बाद निवेश का निचला स्तर है. उस समय इसके जरिये निवेश 78,686 करोड़ रुपये था. जून महीने में निवेश लगातार दूसरे महीने कम रहा है. कुल 80,092 करोड़ रुपये के निवेश में से से 70,644 करोड़ रुपये शेयरों में, 9,355 करोड़ रुपये बॉन्ड मे और 92 करोड़ रुपये हाइब्रिड प्रतिभूतियों (बांड और इक्विटी दोनों में निवेश से संबधित) में निवेश किए गए. वहीं मई में शेयरों में 70,644 करोड़ रुपये व बॉन्ड में 9,355 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था.
क्या है एक्सपर्ट्स की राय
- पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस देने वाली कंपनी ग्रीन पोर्टफोलियो के फाउंडर दिवम शर्मा ने कहा, ‘‘पी-नोट्स के जरिये निवेश में कमी आशा के अनुरूप है. यह घरेलू म्यूचुअल फंड प्रवाह में नरमी के अनुरूप है. अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नीतिगत दर में वृद्धि के बाद निवेशक पैसा निकाल रहे हैं और पिछले महीने नरमी के पीछे यह प्रमुख कारण है.’’
- उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, जुलाई महीना जून के मुकाबले के बेहतर रहने की उम्मीद है लेकिन वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता को देखते हुए पी-नोट्स के जरिये निवेश में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है.’’
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इस बीच, विदेशी निवेशकों ने अमेरिकी फेडरल रिजर्व के आक्रमक तरीके से ब्याज दर में वृद्धि, महंगाई दर में तेजी और घरेलू शेयरों के दाम के ऊंचे होने के बीच जून महीने में 50,203 करोड़ रुपये की पूंजी निकासी की. यह पिछले दो साल में सबसे अधिक पूंजी निकासी है. यह लगातार नौवां महीना है जब एफपीआई ने घरेलू बाजार से पूंजी निकाली है.
(इनपुट-पीटीआई)