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जून का महीना अबतक निवेशकों का पैसा डुबोने वाला साबित हुआ है. (reuters)
Stock Market Strategy: जून का महीना अबतक निवेशकों का पैसा डुबोने वाला साबित हुआ है. सेंसेक्स इस महीने के 9 ट्रेडिंग डे में 2800 अंकों से ज्यादा टूट गया है. इस दौरान सेंसेक्स 31 मई को 55566 के लेवल से आज यानी 13 जून को इंट्राडे के लो 52735 तक कमजोर हुआ. जून महीने में 9 कारोबारी दिनों में बाजार 7 दिन कमजोर दिखा है. फिलहाल इस महीने की गिरावट में निवेशकों को भी करीब 11 लाख करोड़ का झटका लगा है. जहां तक आज की बात है सेंसेक्स में 1450 अंकों से ज्यादा की गिरावट है, जबकि निफ्टी भी 15800 के नीचे फिसल गया.
जून में 11 लाख करोड़ साफ
इस महीने में शेयर बाजार में पैसा लगाने वालों को जमकर नुकसान उठाना पड़ा है. अबतक 9 कारोबारी दिनों में बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप करीब 11 लाख करोड़ रुपये कम हो गया है. 31 मई को जब बाजार बंद हुआ था तो बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 2,57,78,368.28 करोड़ था. जबकि यह आज दोपहर 12 बजे तक घटकर 2,46,82,509.65 करोड़ रह गया. यानी निवेशकों की करीब 11 लाख करोड़ की दौलत बाजार की इस गिरावट में डूब गई.
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आज बाजार में क्यों आई बड़ी गिरावट
Swastika Investmart Ltd के रिसर्च हेड संतोष मीना का कहना है कि USA में शुक्रवार को महंगाई का डाटा आया है. इनफ्लेशन रिकॉर्ड हाई पर है. मई महीने में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स में सालाना आधार पर 1981 के बाद सबसे ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिली है. जिसके चलते अर्थव्यवस्था पर दबाव बने रहने के संकेत मिले हैं और दुनियाभर के बाजारों में बिकवाली देखने को मिली. महंगाई को देखते हुए बाजार अब यह अनुमान लगा रहा है कि यूएस फेड अपनी पॉलिसी को लेकर और सख्त हो सकता है. ऐसा होता है तो FII’s और FPI’s की ओर से बिकवरली और बढ़ सकती है जो अभी भी बाजार के लिए बड़ी चिंता की बात है.
रुपये में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है और आज यानी 13 जून को भी यह रिकॉर्ड लो पर आ गया. आज यह 78.29 प्रति डॉलर के लेवल तक कमजोर हुआ है. रूस और यूक्रेन के बीच जंग कब तक चलेगी, इसे लेकर कुछ कहा नहीं जा सकता है. एनर्जी की कीमतें आसमान पर हैं. इन सबके चलते बाजार रिस्क और अनिश्चितता को लेकर कनफ्यूज हो गया है. रिस्क कैपिटल का परमानेंट लॉस है. वहीं अनिश्चितता की वजह से बाजार में बिकवाली हा्रेती है और जब यह सब्सिडाइज होती है तो बाजार नॉर्मल होता है.
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
संतोष मीना का कहना है कि शॉर्ट टर्म में बाजार में अस्थिरता बनी रहेगी. महंगाई की वजह से कॉरपोरेट ​अर्निंग पर असर होगा. लेकिन मिड से लॉन्ग टर्म की बात करें तो निवेश के मौके हैं. बहुत सी ऐसी कंपनियां हैं, जिनकी अर्निंग बेहतर है और बैलेंसशीट मजबूत हो रही है. इनके फंडामेंटल भी मजबूत बने हुए हैं. इन्हें सेक्टर में प्रतियोगिता का भी फायदा मिल रहा है. वक्से भी घरेलू बाजार ग्रोथ फैक्टर्स और महंगाई से निपटने की क्षमता के आधार पर पियर्स की तुलना में बेहतर जगह दिख रही है. ऐसे में इस गिरावट पर क्वालिटी स्टॉक्स को पहचानें और उन्हें पोर्टफोलियो में शामिल करना चाहिए.
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