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तेल कंपनियों को पिछले 4 महीने में भारी नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई अब पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ाकर किए जाने के आसार हैं.
Petrol Diesel Price Hike: आने वाले दिनों में देश में पेट्रोल-डीज़ल के दाम क्या 22 से 25 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ सकते हैं? यह सवाल देश की कुछ जानीमानी रिसर्च एजेंसियों के अनुमानों की वजह से उठ रहे हैं. दरअसल इन एजेंसियों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम बढ़ने के बावजूद भारत में 137 दिनों तक पेट्रोल-डीजल के भाव नहीं बढ़ाए जाने से तेल कंपनियों को भारी घाटा हो रहा है. इस घाटे को पूरा करने के लिए आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीज़ल के रेट में भारी बढ़ोतरी की नौबत आ सकती है. दाम कितने बढ़ेंगे इस बारे में अलग-अलग एजेंसियों के अनुमानों में थोड़ा अंतर है.
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस का कहना है कि नवंबर 2021 से मार्च 2022 के दरम्यान देश में पेट्रोल-डीज़ल के खुदरा दाम में बढ़ोतरी नहीं किए जाने से इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी बड़ी तेल कंपनियों को करीब 225 करोड़ डॉलर यानी 19 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. मूडीज़ के आकलन के मुताबिक इंडियन ऑयल को 100 से 110 करोड़ डॉलर (7631.20 से 8394.33 करोड़ रुपये) और बीपीसीएल व एचपीसीएल दोनों को 55 से 65 करोड़ डॉलर (4197.16 से 4960.28 करोड़ रुपये) तक का नुकसान हुआ है. यह रकम यह तीनों कंपनियों के वित्त वर्ष 2021 के एबिटा (EBITDA) के करीब 20 फीसदी के बराबर है. इस घाटे की भरपाई के लिए अब पेट्रोल-डीज़ल के दाम बढ़ाने ही होंगे.
कितने बढ़ सकते हैं पेट्रोल-डीज़ल के दाम?
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज़ (Kotak Institutional Equities) का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव अगर 100 से 120 डॉलर प्रति बैरल के बीच रहते हैं तो तेल कंपनियों को डीज़ल के दाम में 13.1 से 24.9 रुपये और पेट्रोल के भाव में 10.6 से 22.3 रुपये तक की बढ़ोतरी करनी पड़ सकती है. वहीं क्रिसिल रिसर्च (CRISIL Research) के मुताबिक कच्चे तेल का औसत दाम 100 डॉलर प्रति बैरल के पास रहने पर तेल कंपनियों को पेट्रोल-डीजल के रिटेल रेट में प्रति लीटर 9 से 12 रुपये तक की बढ़ोतरी करनी पड़ेगी. लेकिन कच्चा तेल अगर औसतन 110 से 120 डॉलर प्रति बैरल तक रहा तो पेट्रोल-डीज़ल के रिटेल भाव में 15 से 20 रुपये प्रति लीटर तक का इजाफा करना होगा.
भारत में पेट्रोल और डीजल के भाव पिछले साल 2021 में 4 नवंबर से लेकर इस साल 21 मार्च तक स्थिर रहे. हालांकि इस अवधि में कच्चा तेल 111 डॉलर (8471.19 रुपये) प्रति बैरल के औसत भाव पर रहा जबकि पिछले साल नवंबर की शुरुआत में यह 82 डॉलर (6257.99 रुपये) के भाव पर था. करीब चार महीने बाद अब 22 और 23 मार्च को लगातार दो दिन तेल के भाव बढ़े है.
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हर दिन इतना हो रहा नुकसान
मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मौजूदा भाव पर तेल कंपनियों को पेट्रोल की बिक्री पर प्रति बैरल 25 डॉलर (1900 रुपये) और डीजल की बिक्री पर प्रति बैरल 24 डॉलर का रेवेन्यू लॉस हो रहा है. अगर कच्चे तेल के भाव औसतन 111 डॉलर पर बने रहते हैं और तेल के भाव नहीं बढ़ाए जाते हैं तो इन तीन तेल कंपनियों इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम को हर दिन पेट्रोल-डीजल की बिक्री पर 6.5 से 7 करोड़ डॉलर (496.03 से 534.18 करोड़ रुपये) का नुकसान होगा.
मूडीज का अनुमान, सरकार देगी दाम बढ़ाने की मंजूरी
भारत में तेल की कीमतें औपचारिक रूप से रेगुलेटेड नहीं हैं यानी कि इन पर सरकार का सीधा नियंत्रण नहीं माना जाता है. सैद्धांतिक तौर पर कच्चे तेल के भाव बढ़ने पर कंपनियां पेट्रोल-डीजल के भाव बढ़ा सकती हैं. लेकिन सरकारी कंपनियां होने की वजह से उनके फैसलों पर राजनीतिक नेतृत्व का दबाव और असर साफ नजर आता है. मिसाल के तौर पर, पिछले चार महीनों के दाम कच्चे तेल के दाम बढ़ने के बावजूद पेट्रोल-डीजल महंगा न किए जाने का मुख्य कारण पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को ही माना जाता है. आखिरकार चुनाव खत्म होने के कुछ दिनों बाद ही पेट्रोल-डीज़ल और रसोई गैस के दामों में बढ़ोतरी का सिलसिला एक बार फिर से शुरू हुआ है.
मूडीज की रिपोर्ट में भी अनुमान लगाया गया है कि तेल कंपनियों को अब भाव बढ़ाने से नहीं रोका जाएगा. मूडीज का यह भी मानना है कि कीमतों में यह बढ़ोतरी एक साथ नहीं, बल्कि धीरे-धीरे की जाएगी. भारत में पेट्रोल-डीज़ल के दामों में बड़ा हिस्सा उन पर वसूले जाने वाले टैक्स का है, जिसमें 2014 के बाद कई गुना बढ़ोतरी की जा चुकी है. अगर सरकार चाहे तो टैक्स कम करके आम लोगों के साथ ही साथ पूरी इकॉनमी को भी महंगे तेल के इंफ्लेशन बढ़ाने वाले असर से कुछ राहत दे सकती है.
(Input: PTI)