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Tax savings Bond: आमतौर पर एक निवेशक हमेशा ऐसे आकर्षक निवेश विकल्पों की तलाश में रहते हैं जो अच्छे रिटर्न के साथ ही टैक्स लाभ भी दे सके.
Tax savings Bond: आमतौर पर एक निवेशक हमेशा ऐसे आकर्षक निवेश विकल्पों की तलाश में रहते हैं जो अच्छे रिटर्न के साथ ही टैक्स लाभ भी दे सके. टैक्स सेविंग बॉन्ड एक ऐसा ही निवेश का विकल्प है, जो आपको टैक्स बचाने में मदद कर सकता है. टैक्स सेविंग्स बॉन्ड खरीदने के लिए किया गया प्रारंभिक निवेश पर इनम टैक्स एक्ट के 80CCF प्रावधानों के तहत छूट मिलता है. टैक्स सेविंग्स बॉन्ड की मिनिमम लॉक इन पीरियड 5 साल होता है. टैक्स सेविंग बॉन्ड का सबसे प्रमुख आकर्षण कम से कम जोखिम और औसत लेकिन बेहतर रिटर्न है. यह ऐसे निवेशकों के लिए बेहतर है जो बाजार का रिस्क नहीं लेना चाहते हैं और एफडी या आरडी जैसे विकल्पों से अच्छा रिटर्न चाहते हैं. इन्हें समयम समय पर सरकार द्वारा जारी किया जाता है, इसलिए इनपर रिटर्न की गारंटी होती है.
लांग टर्म निवेश को प्रोत्साहन
इसमें जमा पैसे पर जहां आप टैक्स बेनेफिट ले सकते हैं, वहीं लंबी अवधि में आपका पैसा भी बढ़ता जाता है. ज्यादातर टैक्स-सेविंग बॉन्ड इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में हैं क्योंकि सरकार अधिक निवेशकों को टैक्स ब्रेक प्रदान करके इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में दीर्घकालिक निवेश योजनाओं का सपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहती है. इनका लॉक इन पीरियड अमूमन कम से कम 5 साल का होता है. वहीं, कुछ पर इससे ज्यादा लॉक इन पीरियड होता है. साफ है कि यह मिड टर्म से लांग टर्म इन्वेस्टमेंट को प्रोत्साहित करता है.
टैक्स सेविंग बॉन्ड पर कैसे बचेगा टैक्स
टैक्स सेविंग बांड के मामले में इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80CCF के तहत टैक्स बेनेफिट मूल राशि पर मिलता है, जो इन बांडों में निवेश की जाती है. इसके तहत निवेशक को 20,000 रुपये तक के निवेश पर टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है. इसलिए एक वित्त वर्ष में टैक्स पेयर्स अपनी कुल टैक्स योग्य इनकम में से 20,000 रुपये कम कर सकता है.
उदाहरण: मान लिया रमेश कुमार (काल्पनिक नाम) की सालाना इनकम 4.8 लाख रुपये है. ऐसे में वह 10 फीसदी के टैक्स ब्रैकेट में आते हैं. टैक्स बचाने के लिए उन्होंने बैंक से 40 हजार रुपये का टैक्स सेविंग बॉन्ड खरीद लिया है, जिसका लॉन इन पीरियड 5 साल है. ऐसे में वह इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80CCF के तहत 20 हजार के टैक्स डिडक्शन के योग्य हैं. उनकी टैक्सेबल इनकम 2.3 लाख है, जो इस निवेश के बाद घटकर 2.1 लाख रह जाएगी.
टैक्स फ्री बांड से अलग
बॉन्ड की 2 पॉपुलर कटेगिरी में टैक्स फ्री बांड्स और टैक्स सेविंग बांड्स हैं. बहुत से लोग इन्हें एक समझ लेते हैं, लेकिन ये दोनों ही अलग हैं. टैक्स फ्री बांड्स में होने वाली ब्याज इनकम पूरी तरह टैक्स फ्री होती है. इन बांड में निवेश पर मिलने वाली इनकम पर आपको कोई टैक्स नहीं देना होता, जबकि टैक्स सेविंग बांड के ब्याज पर टैक्स लगता है.
फीचर्स: टैक्स सेविंग बांड
- यह लो रिस्क इन्वेस्टमेंट विकल्प है. उनके लिए बेहतर जिन्होंने तुरंत निवेश करना शुरू किया है.
- टैक्स सेविंग बॉन्ड के मामले में आपको अधिक लिक्विडिटी मिलती है.
- आप इन्हें दाम बढ़ने पर बेच सकते हैं, क्योंकि ये एक्सचेंज पर ट्रेड करते हैं.
- टैक्स सेविंग बांड पर ब्याज दर सरकारी गवर्नमेंट सिक्योरिटीज की वर्तमान दरों पर आधारित होती है. वर्तमान में यह दर बैंक एफडी की तुलना में आकर्षक है.
- इसमें निवेशक कम्युलेटिव और नॉन कम्युलेटिव विकल्प चुने सकते हैं.
- इसमें ब्याज दरें स्माल सेविंग्स स्कीम के मुकाबले आकर्षक होती हैं.
- इसमें निवेश के लिए अधिकतम कोई सीमा नहीं निर्धारित है.
- बांड की मेच्योरिटी पीरियड को आगे बढ़ाया जा सकता है.
- एक्सचेंज पर ट्रेड होने से लिक्विडिटी का बेहतर विकल्प है.
- 5 साल के लॉक इन पीरियड से रिटर्न बेहतर हो सकता है.
- इसके जरिए एक वित्त वर्ष में 20 हजार रुपये तक टैक्स डिडक्शन का लाभ ले सकते हैं.
- यह मिड से लांग टर्म निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प है.
(सोर्स: बीएनपी फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम से बातचीत, www.bankbazaar.com)