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जालान-कालरॉक रिजॉल्यूशन प्लान को 90 दिनों को भीतर ही लागू किया जाना है.
Jet Airways Revival Plan: विमानन कंपनी Jet Airways का प्रबंधन 28 साल बाद विदेशी हाथों में जाना लगभग तय है. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की मुंबई पीठ ने मंगलवार 22 जून को बैंकरप्ट हो चुकी जेट एयरवेज के रिवाइवल के लिए ब्रिटेन के कालरॉक कैपिटल और यूएई के उद्योगपति मुराली लाल जालान के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इससे दिवालिया हो चुकी विमान कंपनी जेट एयरवेज के करीब ढाई साल बाद फिर उड़ान भरने की संभावना बनी है. जालान-कालरॉक कंसोर्टियम ने कर्जदारों को 1183 करोड़ रुपये रुपये का ऑफर किया था जिसे मंजूरी मिली है. हालांकि जेट एयरवेज की कुल देनदारी 15525 करोड़ रुपये की है यानी कि करीब 92.38 फीसदी हेयरकेट के साथ रिवाइवल प्लान को मंजूरी मिली है.
कंसोर्टियम ने फाइनेंशियल क्रेडिटर्स, एंप्लाईज और जेट के कर्मियों को अगले पांच साल के भीतर 1183 करोड़ रुपये का भुगतान करने का ऑफर दिया था. इसके अलावा फाइनेंशियल क्रेडिटर्स को जेट एयरवेज में 9.5 फीसदी और जेट प्रिविलेज में 7.5 फीसदी हिस्सेदारी का भी ऑफर दिया था. यहां यह भी ध्यान रहे कि 25 सितंबर 2020 को ऑपरेशनल क्रेडिटर्स समेत सभी कर्जदारों द्वारा जेट एयरवेज पर 40 हजार करोड़ के कर्ज का दावा किया गया था जिसमें सबसे अधिक 1636 करोड़ रुपये का कर्ज एसबीआई का था.
90 दिनों के भीतर लागू करना है समाधान योजना
जालान-कालरॉक रिजॉल्यूशन प्लान को 90 दिनों को भीतर ही लागू किया जाना है. विमानन कंपनी को एयरपोर्ट पर पहले दिए गए स्लॉट नहीं मिलेंगे. ऐसे में कंसोर्टियम को डायरेक्टरोट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) और एविएशन मिनिस्ट्री के पास जरूरी लाइसेंस व एयरपोर्ट पर स्लॉट के लिए आवेदन कर हासिल करना होगा. अगर ऐसा नहीं हो पाया तो समय बढ़ाने के लिए कंसोर्टियम को एनसीएलटी के पास फिर से आवेदन करना होगा.
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नए स्लॉट मिलने में दिक्कते नहीं आने की संभावना
एविएशन सेक्टर के विशेषज्ञों के मुताबिक अगर कंसोर्टियम को पहले के स्लॉट नहीं मिलते हैं तो भी जेट एयरवेज को नए स्लॉट मिलने में दिक्कतें नहीं आएगी क्योंकि मौजूदा दौरा में कोरोना महामारी के चलते उड़ाने कम हो रही हैं जिसके कारण कई स्लॉट्स उपलब्ध हैं. वर्तमान में 50 फीसदी क्षमता के साथ उड़ाने हो रही हैं. जब फ्लाईंग शेड्यूल एक बार नॉर्मल हो जाएगा तो डीजीसीए फिर से स्लॉट को आवंटित करने के लिए स्वतंत्र रहेगा और कोई भी विमान कंपनी पहले के स्लॉट्स पर दावा नहीं कर सकती.
हालांकि Dhir and Dhir Associates के एसोसिएट पार्टनर Ashish Pyasi के मुताबिक जेट एयरवेज के सामने कानूनी अड़चने जरूर सामने आ सकती हैं, अगर इस समाधान योजना के खिलाफ किसी ने अपील की. ऐसा होने पर समाधान योजना लागू होने में देरी हो सकती है.