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रतन टाटा का कहना है कि कोरोनावायरस महामारी के बाद दुनिया को काम करने का तरीका बदलना होगा. (Image: Reuters)
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कोरोनावायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) में हो रही छंटनी के बीच टाटा समूह के चेयरमैन एमिरेटस रतन टाटा (Ratan Tata) ने उद्योग जगत को एक सीख दी है. रतन टाटा ने कहा है कि कर्मचारियों को नौकरी से निकालना समाधान नहीं है. कंपनियों को अपने कर्मचारियों के प्रति जिम्मेदार होना चाहिए. 'योर स्टोरी' के साथ एक बातचीत में रतन टाटा ने कहा कि कंपनियों की तरफ से कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की प्रतिक्रिया देखी गई, क्योंकि उनके बिजनेस पर बुरा असर हुआ. यह समस्या का हल नहीं है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कोरोनावायरस महामारी के बाद दुनिया को काम करने का तरीका बदलना होगा.
इस साल मार्च में कोरोना महामारी शुरू हुई. टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने अस्थायी कर्मचारियों और नियमित कमाने वालों को मार्च और अप्रैल में पूर्ण लॉकडाउन के बावजूद पूरी सैलरी देने का एलान किया था. जबकि, इन दो महीनों में पूरी तरह प्लांट बंद रहे कोई गतिविधियां नहीं हुईं. इसके अलावा, समूह की आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने इस साल अप्रैल में यह स्पष्ट किया कि कंपनी अपने 4.5 लाख कर्मचारियों में से किसी को नहीं निकालेगी. उन्होंने कहा कि वास्तव में यह एलान जिन फ्रेशर्स को आफर लेटर दिया गया था, उसका सम्मान था.
प्रवासी मजदूरों के मसलों पर भी अपनी बात कही
तमाम मुद्दों में से रतन टाटा ने प्रवासी मजदूरों के मसलों पर भी अपनी बात कही. टाटा ने इंटरव्यू में कहा, ''ये वो लोगे हैं जिन्होंने आपके लिए काम किया, इन लोगों ने जीवन भर आपकी सेवा की और आपने उन्हें मुश्किल समय में जीने के लिए अकेले छोड़ दिया. क्या यही आपके नैतिकता की परिभाषा हैं कि आप अपने वर्कफोर्स के साथ इस तरह व्यवहार करें.''
कारोबार और नेतृत्व के बारे में रतन टाटा ने कहा कि हर कोई मुनाफा के लिए है. लेकिन यह काम भी नैतिकता से करना जरूरी है. यह सवाल बहुत जरूरी है कि आप मुनाफा कमाने के लिए क्या-क्या कर रहे हैं. कारोबार केवल पैसा बनाने के लिए नहीं होता है. प्रत्येक को अपने ग्राहकों और शेयरधारकों के लिए हर काम उचित और नैतिकता के साथ करना चाहिए. इस बातचीत में रतन टाटा ने कहा कि यह याट, जागीर या अकूत संपत्ति नहीं है, जिसे उन्होंने इस महामारी में गंवा दिया. लेकिन उन लोगों के साथ बातचीत करने का अद्भुत अनुभव है जो समान विचारों के लिए खड़े होते हैं.