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Gold Hallmarking New Rules: आपके पुराने गहनों पर क्या होगा हॉलमार्किंग के नए नियमों का असर? जानें सभी जरूरी सवालों के जवाब

अगर ज्वैलर्स को लगेगा कि पुराने गहनों पर हॉलमार्किंग की जा सकती है तो लागत को ध्यान में रख कर हॉलमार्किंग कर सकते हैं. पुराने गहनों को गला कर नए गहने बनाने के बाद उन पर हॉलमार्किंग की जा सकती है.

अगर ज्वैलर्स को लगेगा कि पुराने गहनों पर हॉलमार्किंग की जा सकती है तो लागत को ध्यान में रख कर हॉलमार्किंग कर सकते हैं. पुराने गहनों को गला कर नए गहने बनाने के बाद उन पर हॉलमार्किंग की जा सकती है.

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Gold Hallmarking New Rules: आपके पुराने गहनों पर क्या होगा हॉलमार्किंग के नए नियमों का असर? जानें सभी जरूरी सवालों के जवाब

Gold Hallmarking New rules : देश में 16 जून से गोल्ड ज्वैलरी पर हॉलमार्किंग अनिवार्य हो गई है. अब ज्वैलर्स बगैर हॉलमार्किंग वाली ज्वैलरी नहीं बेच सकेंगे. इसका मकसद ग्राहकों को क्वालिटी गोल्ड मुहैया कराना है . अच्छी क्वालिटी की गोल्ड ज्वैलरी की बिक्री से एक तो ग्राहक धोखाधड़ी से बचेंगे दूसरे भारत सोने की खरीद-बिक्री का ग्लोबल हब भी बन सकेगा . हॉलमार्किंग अनिवार्य करने से गोल्ड इंडस्ट्री पर शुद्ध सोने की बिक्री की जिम्मेदारी आ जाएगी.

सरकार ने हॉलमार्किंग ( Gold Hallmarking) वाली गोल्ड ज्वैलरी बेचने का दबाव तो बनाया है लेकिन इस बारे में आम ग्राहकों को जागरुक करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं किया है. ऐसे में आम लोगों के मन में कई सवाल हैं. मसलन सबसे बड़ा सवाल यह है कि उनके पास रखी ऐसी ज्वैलरी का क्या होगा, जिन पर हॉलमार्किंग नहीं है. क्या हॉलमार्किंग वाली ज्वैलरी ज्यादा महंगी होगी? क्या घर में रखी गोल्ड ज्वैलरी को उन्हें अब सस्ते में बेचना होगा या फिर इनकी कोई कीमत नहीं मिलेगी. आइए जानते हैं हॉलमार्किंग से जुड़े नए नियम क्या हैं और आपकी गोल्ड ज्वैलरी की वैल्यू पर इसका क्या असर होगा.

सिर्फ BIS रजिस्टर्ड ज्वैलर्स से खरीदें ज्वैलरी

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जब भी किसी ज्वैलर्स के पास जाएं तो यह देखें कि उसका BIS (Bureau of Indian Standards) रजिस्ट्रेशन है या नहीं. रजिस्टर्ड ज्वैलर से सिर्फ हॉलमार्किंग वाली ज्वैलरी ही खरीदें. अलग-अलग कैरेट के हिसाब से हॉलमार्किंग का नंबर अलग-अलग होता है. जैसे 22 कैरेट का हॉलमार्किंग नंबर 22k916 है. ज्वैलर से बिल जरूर लें. BIS गाइडलाइंस के मुताबिक अगर ज्वैलर्स जरूरी शर्तों को पूरा नहीं करता है तो उसे शुद्धता की कमी के बराबर कीमत की दोगुनी कीमत और टेस्टिंग चार्ज देना होगा.

कैसे पता करें कि खरीदी जा रही 22k गोल्ड ज्वैलरी हॉलमार्किंग की हुई है?

गोल्ड मैनेजमेंट कंपनी Augmont के डायरेक्टर केतन कोठारी के मुताबिक ज्वैलर्स के लिए यह अनिवार्य है कि वह हर गोल्ड आइटम पर हॉलमार्किंग और कैरेट की स्टैंपिंग करे. अगर ज्वैलरी पर यह नहीं दिख रही है तो ज्वैलर्स को मैग्नीफाइंग लेंस की पावर दस गुना बढ़ा कर इसे स्पष्ट करने के लिए कहें. 14,18, 20, 22, 23 और 24 कैरेट पर हॉलमार्किंग की जा रही है.

आपके उन गहनों का क्या होगा जिन पर हॉलमार्किंग नहीं है?

हॉलमार्किंग अनिवार्य कर देने के बावजूद आपकी पुरानी ज्वैलरी की कीमत कम नहीं होगी. ज्वैलर्स ग्राहकों से उनकी पुरानी ज्वैलरी खरीदते रहेंगे. अगर ज्वैलर्स को लगेगा कि पुराने गहनों पर हॉलमार्किंग की जा सकती है तो लागत को ध्यान में रख कर हॉलमार्किंग कर सकते हैं. पुराने गहनों को गला कर नए गहने बनाने के बाद उन पर हॉलमार्किंग की जा सकती है.

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क्या बगैर हॉलमार्किंग वाली ज्वैलरी सस्ते में बेची जा सकती है?

ऐसा नहीं हो सकता. BIS एक्ट, 2016 की धारा 29 के तहत हॉलमार्किंग नियमों का उल्लंघन करने पर एक साल की जेल की सजा हो सकती है या न्यूनतम एक लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है. जुर्माने की रकम बेचे गए गहनों की कीमत की पांच गुना से कम नहीं होनी चाहिए. हालांकि अगस्त तक कोई पेनाल्टी नहीं लगेगी . यह समय गोल्ड ज्वैलरी निर्माताओं, वितरकों और डीलरों के लिए हॉलमार्किंग की पुख्ता तैयारी के लिए दिया गया है.

सोने के इन सामानों पर हॉलमार्किंग जरूरी नहीं

सोने की घड़ियों, फाउंटेन पेन और कुछ दूसरी तरह की ज्वैलरी जैसे कुंदन, पोल्की और जड़ाऊ को अनिवार्य हॉलमार्किंग नियमों के दायरे से बाहर रखा गया है. हॉलमार्किंग अनिवार्य होने से ग्राहक अब इसी मार्किंग के साथ गहने खरीदना पसंद करेंगे. इससे इनकी कीमत बरकरार रहेगी. हॉलमार्किंग से भारतीय घरों में रखे डेढ़ लाख करोड़ डॉलर के गोल्ड के मोनेटाइजेशन को बढ़ावा मिलेगा.

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