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LIC का IPO मार्च में ही आने वाला था, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से अब इसमें देर होने की आशंका जाहिर की जा रही है.
LIC Appoints Sunil Agrawal as CFO : देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन (LIC) में आईपीओ से पहले बेहद अहम नियुक्ति की गई है. कंपनी ने सुनील अग्रवाल को अपना चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) नियुक्त किया है. ऐसा पहली बार हुआ है जब देश की इस बड़ी सरकारी कंपनी के इतने अहम पद पर किसी बाहरी व्यक्ति को नियुक्त किया गया है. फिलहाल यह जिम्मेदारी एलआईसी की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर शुभांगी संजय सोमन संभाल रही हैं.
रिलायंस निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस के CFO रहे हैं सुनील अग्रवाल
एलआईसी के नए सीएफओ बनाए गए सुनील अग्रवाल इससे पहले 12 साल तक रिलायंस निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस (Reliance Nippon Life Insurance) के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर रहे हैं. अपने करियर के दौरान वे 5 साल तक आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस (ICICI Prudential Life Insurance) के लिए भी काम कर चुके हैं. एलआईसी ने पिछले साल सितंबर में सीएफओ के पद के लिए एप्लीकेशन मंगाए थे. इस पद पर अग्रवाल की नियुक्ति कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर की गई है, जिसके लिए उन्हें सालाना करीब 75 लाख रुपये दिए जाएंगे. यह नियुक्ति 3 साल या 63 साल की उम्र पूरी होने तक के लिए है.
रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से LIC का आईपीओ टलने की आशंका
एलआईसी का आईपीओ मार्च में ही लाने की तैयारी थी. लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से बने अंतरराष्ट्रीय हालात को ध्यान में रखते हुए इसमें देर होने की आशंका जाहिर की जा रही है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी संकेत दे चुकी हैं कि दुनिया के मौजूदा माहौल को ध्यान में रखते हुए एलआईसी के आईपीओ की टाइमिंग की समीक्षा की जा सकती है.
देश में अब तक के इस सबसे बड़े आईपीओ के जरिए भारत सरकार एलआईसी में अपनी 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर करीब 63 हजार करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद कर रही है. अभी एलआईसी के सौ फीसदी शेयर केंद्र सरकार के ही पास हैं. मोदी सरकार के मौजूदा वित्त वर्ष में विनिवेश के जरिए 78 हजार करोड़ रुपये जुटाने के संशोधित लक्ष्य का यह सबसे बड़ा हिस्सा है.
LIC का आईपीओ टला तो विनिवेश लक्ष्य अधूरा रह जाएगा
सरकार मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान अब तक सार्वजनिक कंपनियों में विनिवेश और एयर इंडिया को बेचकर 12,030 करोड़ रुपये ही जुटा पाई है. ऐसे में अगर एलआईसी के आईपीओ को अगले वित्त वर्ष के लिए टालना पड़ा तो मोदी सरकार अपने लक्ष्य को हासिल करने से काफी पीछे रह जाएगी. वैसे भी सरकार ने पहले 2021-22 में 1.75 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य तय किया था, लेकिन बाद में उसे घटाकर 78 हजार करोड़ कर दिया. अब यह घटाया हुआ लक्ष्य हासिल करना भी आसान नहीं लग रहा है.
(इनपुट : पीटीआई)