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LIC IPO: दाखिल दस्तावेजों के आधार पर 12 मई तक लाया जा सकता है आईपीओ, सरकार SEBI में जल्द जमा करेगी फाइनल पेपर

LIC IPO: अगर सरकार 12 मई तक आईपीओ नहीं ला पाती है, तो उसे दिसंबर तिमाही के नतीजे बताते हुए सेबी के पास नए कागजात दाखिल करने होंगे.

LIC IPO: अगर सरकार 12 मई तक आईपीओ नहीं ला पाती है, तो उसे दिसंबर तिमाही के नतीजे बताते हुए सेबी के पास नए कागजात दाखिल करने होंगे.

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LIC IPO: Govt has time till May 12 to launch LIC IPO without seeking fresh Sebi approval

सरकार के पास सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) में दाखिल दस्तावेजों के आधार पर जीवन बीमा निगम (LIC) का IPO लाने के लिए 12 मई तक का समय है.

LIC IPO: सरकार के पास सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) में दाखिल दस्तावेजों के आधार पर जीवन बीमा निगम (LIC) का IPO लाने के लिए 12 मई तक का समय है. इसका मतलब है कि अगर सरकार 12 मई तक आईपीओ नहीं ला पाती है, तो उसे दिसंबर तिमाही के नतीजे बताते हुए सेबी के पास नए कागजात दाखिल करने होंगे. नए दस्तावेज दाखिल किए बिना 12 मई तक एलआईसी का आईपीओ लाया जा सकता है.

सरकार ने पहले LIC के लगभग 31.6 करोड़ शेयरों या पांच प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री के लिए मार्च में आईपीओ लाने की योजना बनाई थी. इस आईपीओ से करीब 60,000 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद थी. हालांकि, रूस-यूक्रेन संकट के बाद शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव को देखते हुए आईपीओ की यह योजना पटरी से उतर गई है. सरकार ने 13 फरवरी को सेबी के पास आईपीओ के लिए ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दायर किया था, जिसे पिछले सप्ताह सेबी की मंजूरी मिल गई है.

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जल्द दाखिल किया जाएगा प्राइस बैंड के साथ RHP

एक अधिकारी ने कहा, ‘‘सेबी के पास दाखिल दस्तावेजों के आधार पर आईपीओ लाने के लिए हमारे पास 12 मई तक का समय है. हम उतार-चढ़ाव पर नजर रखे हुए हैं और जल्द ही प्राइस बैंड के साथ RHP दाखिल करेंगे.’’ अगर सरकार 12 मई तक आईपीओ नहीं ला पाती है, तो उसे दिसंबर तिमाही के नतीजे बताते हुए सेबी के पास नए कागजात दाखिल करने होंगे. अधिकारी ने आगे कहा कि हालांकि पिछले 15 दिनों में बाजार में उतार-चढ़ाव कम हुआ है, लेकिन बाजार के और स्थिर होने का इंतजार किया जाएगा, ताकि रिटेल इन्वेस्टर्स को शेयर में निवेश करने का भरोसा मिले.

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रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए 35 फीसदी हिस्सा आरक्षित

एलआईसी ने रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए अपने कुल आईपीओ आकार का 35 प्रतिशत तक आरक्षित रखा है. अधिकारी ने कहा, ‘‘रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए आरक्षित हिस्से को पूरा भरने के लिए लगभग 20,000 करोड़ रुपये की जरूरत है. हमारे बाजार आकलन के अनुसार, वर्तमान खुदरा मांग शेयरों के पूरे कोटे को भरने के लिए पर्याप्त नहीं है.’’

(इनपुट-पीटीआई)

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