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Russia-Ukraine War Impact: LIC IPO में हो सकती है देरी, वित्त मंत्री ने कहा, जरूरत पड़ी तो टाइमलाइन पर दोबारा विचार के लिए तैयार

मोदी सरकार ने पहले LIC IPO के लिए मार्च की डेडलाइन तय की थी, आईपीओ के दस्तावेज फरवरी में फाइल किए जा चुके हैं.

मोदी सरकार ने पहले LIC IPO के लिए मार्च की डेडलाइन तय की थी, आईपीओ के दस्तावेज फरवरी में फाइल किए जा चुके हैं.

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Bloomberg
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Russia-Ukraine War Impact: LIC IPO में हो सकती है देरी, वित्त मंत्री ने कहा, जरूरत पड़ी तो टाइमलाइन पर दोबारा विचार के लिए तैयार

एलआईसी का आईपीओ भारतीय शेयर बाजार में अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ होने वाला है. (File Photo: PTI)

LIC IPO May Get Delayed Due To War in Ukraine: यूक्रेन पर रूस के हमले से दुनिया भर में पैदा हालात का असर लाइफ इंश्योरेंस कॉरेपोरेशन के आईपीओ (LIC IPO) पर भी पड़ सकता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संकेत दिए हैं कि अगर तेजी से बदलते अंतरराष्ट्रीय हालात की वजह से ऐसी नौबत आई तो सरकार एलआईसी के आईपीओ की टाइमलाइन पर फिर से विचार कर सकती है. सीतारमण ने ये बात हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में कही है.

वित्त मंत्री सीतारमण ने बिजनेसलाइन को दिए इंटरव्यू में कहा है, "वैसे तो मैं इस आईपीओ के मामले में पहले से तय कार्यक्रम के हिसाब से ही आगे बढ़ना चाहूंगी, क्योंकि इसके लिए हमने भारतीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए काफी पहले से तैयारी की हुई है. लेकिन अगर अंतरराष्ट्रीय हालात को ध्यान में रखते हुए जरूरत पड़ी तो मैं इस पर फिर से विचार करने के लिए भी तैयार हूं."

हमें पूरी दुनिया को देना होगा स्पष्टीकरण : वित्त मंत्री

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से जब यह पूछा गया कि क्या एलआईसी का आईपीओ लाने में देरी का असर सरकार के सालाना विनिवेश लक्ष्य पर नहीं पड़ेगा? तो उन्होंने कहा कि "अगर प्राइवेट सेक्टर के किसी प्रमोटर को इस तरह का फैसला करना हो तो उसे सिर्फ अपनी कंपनी के बोर्ड को ही सफाई देनी होती है. लेकिन मुझे इस बारे में सारी दुनिया को स्पष्टीकरण देना पड़ेगा."

सरकार के विनिवेश लक्ष्य पर पड़ेगा असर

अगर सरकार ने हालात पर फिर से विचार किया तो एलआईसी आईपीओ की टाइमलाइन पर असर पड़ सकता है. पहले सरकार ने इसके लिए मार्च की डेडलाइन तय की थी. इसी हिसाब से आईपीओ के दस्तावेज भी 13 फरवरी को जमा किए जा चुके हैं, जिनमें एलआईसी की एंबेडेड वैल्यू 5 लाख 40 हजार करोड़ रुपये (71.7 अरब डॉलर) आंकी गई थी. दरअसल मोदी सरकार ने 31 मार्च 2022 को खत्म होने वाले वित्त वर्ष के दौरान अपने बजट घाटे को पूरा करने के लिए सरकारी असेट्स को बेचने की जो योजना बनाई है, उसका सबसे बड़ा हिस्सा एलआईसी के आईपीओ से ही आना है.

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