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देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी का आईपीओ लाने की तैयारी फास्टट्रैक पर है यानी कि सरकार इसे जल्द से जल्द लाने पर काम कर रही है. (Image- PTI)
LIC IPO: देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी का आईपीओ लाने की तैयारी फास्टट्रैक पर है यानी कि सरकार इसे जल्द से जल्द लाने पर काम कर रही है. दीपम (DIPAM) के सचिव तुहिन कांता पांडेय ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि बाजार नियामक सेबी के साथ मिलकर तेजी से काम हो रहा है और सेबी के पास अगले महीने के पहले हफ्ते में एलआईसी के आईपीओ का ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) जमा हो सकता है. पांडेय के मुताबिक इसे जितना संभव हो सके, उतना बेहतर तरीके से (flawless) लाया जाएगा. सरकार की योजना देश के सबसे बड़े आईपीओ को मार्च तक लाने की तैयारी है. इसके लिए सेबी से 35-40 दिनों में मंजूरी मिल सकती है.
एलआईसी का आईपीओ कितना बड़ा होगा, इसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है. हालांकि अगर सरकार इसमें 10 फीसदी हिस्सेदारी का विनिवेश करती है तो यह 1 लाख करोड़ रुपये का हो सकता है. वहीं कुछ एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि यह आईपीओ 15 लाख करोड़ रुपये तक का हो सकता है. सरकार इस वित्त वर्ष में अब तक 1.75 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश के लक्ष्य का करीब 16 फीसदी यानी 27330 करोड़ रुपये ही कलेक्ट कर सकी है.
35-40 दिनों में आईपीओ की मिल सकती है मंजूरी
पांडेय से जब पूछा गया कि क्या कागजात सेबी के पास जमा कराने के बाद 35-40 दिनों के भीतर आईपीओ की मंजूरी मिल जाएगी तो उन्होंने कहा कि सेबी को लगातार एलआईसी के आईपीओ के डीआरचएपी से जुड़ी जानकारी दी जा रही है. ऐसे में ऐसा संभव दिख रहा है. एलआईसी की वैल्यूएशन रिपोर्ट कुछ समय बाद उपलब्ध हो जाएगी. पिछले साल 2021 में आईपीओ की मंजूरी देने में सेबी ने 18 साल में सबसे कम समय लिया था जबकि औसत 77 दिन है. प्राइम डेटाबेस के एमडी प्रणव हल्दिया ने बताया कि पिछले साल सेवन आइलैंड्स और माइक्रोटेक डेवलपर्स को महज 35 दिनों में आईपीओ लाने की मंजूरी मिल गई थी.
BPCL का आईपीओ अगले वित्त वर्ष में
एलआईसी के अलावा सरकार की योजना चालू वित्त वर्ष में बीपीसीएल के भी विनिवेश की थी लेकिन अब इसके अगले ही वित्त वर्ष 2022-23 में आने के आसार दिख रहे हैं. सरकारी तेल और विपणन कंपनी बीपीसीएल की विनिवेश योजना करीब 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक की हो सकती है. इसके विनिवेश की योजना में बीपीसीएल के लिए फाइनेंशियल बिड मंगाने में देरी के चलते हो अटकी है.
(Article: Prasanta Sahu)