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वर्क फ्रॉम होम से कंपनियों की लागत बचत की बेहद कम गुंजाइश है.
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कोरोना वायरस महामारी की वजह से ज्यादातर कर्मचारी अपने दफ्तर का काम घर से कर रहे हैं. लेकिन इससे आईटी कंपनियों को कोई फायदा नहीं हुआ है. वर्क फ्रॉम होम से कंपनियों की लागत बचत की बेहद कम गुंजाइश है. यह नाइट फ्रैंक इंडिया की एक लेटेस्ट रिपोर्ट में कहा गया है. नाइट फ्रैंक इंडिया की 'वर्क फ्रॉम होम (WFH) एंड दी इंपैक्ट ऑन कॉर्पोरेट रियल एस्टेट' की रिपोर्ट के मुताबिक, रियल एस्टेट परिचालन व्यय (रियल एस्टेट ओपेक्स) के संदर्भ में, भारतीय आईटी उद्योग अपनी परिचालन आय का लगभग 4.3% सालाना रियल एस्टेट लागत पर खर्च करता है.
ऑफिस स्पेस का किराया 0.5% से 2%
रिपोर्ट में कहा गया है कि छोटी आईटी कंपनियां अपना 4.7% रियल एस्टेट पर खर्च करती हैं, इसके बाद बड़ी आईटी कंपनियां 4.4% और मध्यम आकार की आईटी कंपनियां 3.6% पर हैं. कुल मिलाकर, आईटी कंपनियों द्वारा भुगतान किया गया ऑफिस स्पेस का किराया 0.5% से 2% है और बाकी इन सुविधाओं को संचालित करने की लागत है.
इसके अलावा रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि लगभग 90% लोगों को वर्क फ्रॉम होम करते समय अपने कार्यालय के माहौल की याद आती है. अपने वर्कप्लेस को याद करने वाले कर्मचारियों के शहरों में, एनसीआर (98%) इसमें सबसे टॉप पर है, जिसके बाद मुंबई (94%), बैंगलोर (91%), चेन्नई (90%), पुणे (88%) और हैदराबाद (81%) के है. कोविड-19 के कारण लागू WFH ने कर्मचारियों की प्रोडक्टिविटी और परफॉर्मेंस पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाला है. लगभग 30% कर्मचारियों ने वर्क फ्रॉम होम करते समय अपनी प्रोडक्टिविटी और वर्क परफॉर्मेंस में गिरावट जाहिर की है.
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60% कर्मचारियों को समय की बचत
WFH के फायदे के बारे में सर्वेक्षण में कहा गया है कि 60% कर्मचारियों ने माना कि ऑफिस ट्रैवल ना होने से समय की बचत होती है, और 58% ने यात्रा की कोई लागत नहीं होने के कारण बचत की बात कही है. जबकि नुकसान के मामले में, 43% ने कार्यालय संचालित सामाजिक जीवन की कमी महसूस की और 42% ने इनफॉर्मल सेटिंग में ध्यान केंद्रित करने में मुश्किलों का हवाला दिया.