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हाल के कुछ महीनों से बैंक और कंपनियां आकर्षक गोल्ड लोन ऑफर कर रही हैं.
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कोरोनावायरस महामारी के बीच रिजर्व बैंक (RBI) ने आम आदमी को बड़ी राहत देते हुए गोल्ड ज्वैलरी पर कर्ज की वैल्यू को बढ़ा दिया है. अब गोल्ड ज्वैलरी पर उसकी वैल्यू का 90 फीसदी तक कर्ज मिल सकेगा. अभी गोल्ड की वैल्यू का 75 फीसदी तक लोन लेने का प्रावधान था. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को मौद्रिक समीक्षा नीति का एलान किया.
नए दिशानिर्देशों के अनुसार, अब सोने की वैल्यू का 90 फीसदी तक लोन लिया जा सकता है. यह नियम 31 मार्च तक प्रभावी रहेगा. कोरोना महामारी के बीच बैंकों में गोल्ड आधारित लोन अधिक लोकप्रिय हुआ है. इसे अन्य दूसरे अनसेक्योर्ड बारोइंग की तुलना में अधिक सुरक्षित समझा जाता है.
RBI Monetory Policy: रिजर्व बैंक ने रेपो रेट 4% पर रखा बरकरार
रिजर्व बैंक का कहना है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक विकास दर में गिरावट आ सकती है, क्योंकि महामारी के चलते दुनियाभर में गतिविधियां प्रभावित हुई हैं. इस बात को लेकर चिंता भी बढ़ी है कि लोगों को बिजनेस और पर्सनल लोन की रिपेमेंट में दिक्कतें आएंगी. गोल्ड लोन कंपनियों के अलावा कई सरकारी और प्राइवेट बैंक ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए गोल्ड लोन की पेशकश कर रहे हैं.
RBI के बयान के अनुसार, ''मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार सोने के गहनों और आभूषणों पर बैंक गैर कृषि उद्देश्यों के लिए गोल्ड की वैल्यू का 75 फीसदी से ज्यादा लोन नहीं दे सकते हैं. कोविड19 महामारी के परिवार, आंत्रप्रेन्योर और छोटे कारोबारियों पर आर्थिक असर को देखते हुए सोने के गहनों और आभूषणों पर लोन उसकी वैल्यू का 90 फीसदी कर दिया है. यानी, गिरवी रखे जाने वाले गोल्ड पर लोन टू वैल्यू रेश्यो (LTV) मौजूदा 75 फीसदी से बढ़ाकर 90 फीसदी किया गया है. गोल्ड लोन यह छूट की सीमा 31 मार्च 2021 तक रहेगी.''
गोल्ड लोन क्या है?
गोल्ड लोन का सीधा मतलब यह है कि गोल्ड की एवज में कर्ज. यह एक सेक्योर्ड लोन है, जिसमें गोल्ड ज्वैलरी, बुलियन जैसे आइटम को बैंक या एनबीएफसी के पास कर्ज के लिए गिरवी रखा जाता है. यह लोन कर्जदार को इस गोल्ड की एवज में ही दिया गया है.
आम आदमी को राहत, बैंकों/कंपनियों को होगी टेंशन!
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि RBI द्वारा गोल्ड ज्वैलरी पर कर्ज की वैल्यू को बढ़ा दिया गया है जो कोरोना वायरस महामारी के बीच आम आदमी को रोहत देने वाला कदम है. इससे फाइनेंशियल क्राइसिस झेल रहा कोई भी शख्स घर में रखे गोल्ड पर अच्छा लोन पा सकेगा. जिससे उसकी मौजूदा जरूरतें पूरी हो सकती हैं.
लेकिन दूसरी ओर गोल्ड फाइनेंशियल कंपनियों के लिहाज से देखें तो यहां कुछ चिंता वाली बात है. सोना पहले ही बहुत ज्यादा महंगा हो चुका है. ऐसे में अगर आगे सोने में बड़ी गिरावट आती है तो उनके लिए दिक्कत हो सकती है. उनके पास सिर्फ 10 फीसदी ही एक तरह से गारंटी के तौर पर रह जाएगा. वहीं लोन लेने वाला नहीं चुका पाता तो फाइनेंस कंपनियों को नुकसान होगा. जबकि पहले 60 से 75 फीसदी तक वैल्यू के बराबर कर्ज था. इससे सोने में गिरावट आने पर भी गारंटी के तौर 25 फीसदी उस गैप को पूरा कर देता था.