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पीएसयू बैंकों के लिए चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही अप्रैल-जून 2022 शानदार रही. (Image- Pixabay)
पीएसयू बैंकों के लिए चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही अप्रैल-जून 2022 शानदार रही. रेगुलेटरी फाइलिंग के मुताबिक फंसे कर्ज में लगातार गिरावट के कारण सरकारी बैंकों का मुनाफा जून तिमाही में बढ़ गया है. आने वाली तिमाही में इसका इन बैंकों के बही-खाते पर पॉजिटिव असर दिख सकता है. सरकारी बैंकों के तिमाही वित्तीय नतीजों के एनालिसिस के मुताबिक जून तिमाही में बैंक ऑफ महाराष्ट्र (BoM) और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) का ग्रॉस एनपीए और नेट एनपीए सबसे कम रहा.
SBI-PNB के मुनाफे में रही गिरावट
सभी 12 सरकारी बैंकों को कुल मिलाकर जून तिमाही में लगभग 15,306 करोड़ रुपये का प्रॉफिट हुआ जो सालाना आधार पर 9.2 फीसदी अधिक रहा. हालांकि अप्रैल-जून 2022 में एसबीआई और पीएनबी के मुनाफे में कमी हुई. पिछले वित्त वर्ष 2021-22 की अप्रैल-जून 2021 तिमाही के दौरान सरकारी बैंकों को कुल 14,013 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था.
इतना रहा पीएसयू बैंकों का एनपीए
- रेगुलटरी फाइलिंग के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बैंक ऑफ महाराष्ट्र का ग्रॉस एनपीए कुल कर्ज का 3.74 फीसदी और एसबीआई का 3.91 फीसदी रहा.
- नेट एनपीए की बात करें तो जून के अंत में बैंक ऑफ महाराष्ट्र का नेट एनपीए 0.88 फीसदी और एसबीआई का एक फीसदी रह गया. अन्य पीएसयू बैंकों का ग्रॉस एनपीए 6.26 फीसदी से 14.90 फीसदी के बीच रहा.
- जून तिमाही में बैंक ऑफ बड़ौदा का ग्रॉस एनपीए 6.26 फीसदी और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का 14.90 फीसदी रहा. हालांकि ये दोनों बैंक अब भी भारतीय रिजर्व बैंक की निगरानी यानी प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (PCA) फ्रेमवर्क के दायरे में हैं.
- अधिकांश बैंकों का नेट एनपीए उनके टोटल एडवांसेज के मुकाबले तीन फीसदी से कम रहा. सिर्फ तीन बैंकों - यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (3.31 फीसदी), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (3.93 फीसदी) और पंजाब नेशनल बैंक (4.28 फीसदी) का नेट एनपीए जून 2022 तिमाही में तीन फीसदी से अधिक रहा.
(इनपुट: पीटीआई)