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लुधियाना वुलन हौजरी इंडस्ट्री हर साल 10-12 हजार करोड़ रुपये का कारोबार करती है.
कोविड19 के चलते लगे लॉकडाउन से हर इंडस्ट्री बुरी तरह प्रभावित हुई. लुधियाना की वुलन हौजरी इंडस्ट्री भी इससे अछूती नहीं है. लॉकडाउन में काम ठप रहने से लुधियाना की वुलन हौजरी इंडस्ट्री का प्रोडक्शन इस साल 40-50 फीसदी कम है. इससे 5000 करोड़ रुपये के कारोबार का नुकसान हुआ है. इसके अलावा तिब्बत बाजार न लगने से 500 करोड़ का कारोबार पहले ही प्रभावित हो चुका है. बता दें कि लुधियाना वुलन हौजरी इंडस्ट्री हर साल 10-12 हजार करोड़ रुपये का कारोबार करती है.
निटवियर एंड अपैरल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ लुधियाना (KAMAL) के प्रेसिडेंट सुदर्शन जैन का कहना है कि पहले लॉकडाउन के कारण फैक्ट्रियों में काम बंद रहा, उन्हीं महीनों में प्रोडक्शन आमतौर पर होता है. फिर जब लॉकडाउन खुला तो लेबर नहीं थे, क्योंकि वे अपने-अपने गांव-घर लौट चुके थे. लिहाजा वुलन हौजरी का जो प्रोडक्शन जुलाई तक पूरा हो जाता था, वह इस साल सर्दियां आने तक चला और केवल 40-50 फीसदी ही प्रोडक्शन हो पाया. क्योंकि फिर सप्लाई भी शुरू करनी थी. जैन का कहना है कि जो थोड़ा बहुत कच्चा माल अभी पड़ा है, उससे अगले 2 महीने में प्रोडक्ट तैयार हो जाएंगे और उम्मीद है कि बिक भी जाएंगे.
जैन ने आगे कहा कि हालांकि तैयार माल ठीक बिक रहा है. इस साल सर्दी अच्छी रहने के अनुमान के चलते जितना माल तैयार हुआ है, वह पूरा बिक जाने की उम्मीद है. लेकिन कोविड19 की दूसरी लहर को देखते हुए अगर दिल्ली जैसे बड़े बाजारों में फिर से लॉकडाउन लग गया तो बिजनेस को और नुकसान हो सकता है.
सप्लाई भी लेट
माल की सप्लाई को लेकर जैन ने कहा कि हर साल सर्दियां शुरू होने से पहले तैयार माल की सप्लाई विक्रेताओं तक हो जाती थी. जुलाई में माल रिटेलर्स को निकलना शुरू हो जाता था और अक्टूबर आखिर तक फैक्ट्रियां बंद हो जाती थीं. लेकिन इस साल प्रॉडक्शन लेट हुआ तो सप्लाई भी लेट हो गई. इस साल प्रॉपर तरीके से ऑर्डर भी बुक नहीं हो सके, लोगों ने अपने अनुमान से ही प्रॉडक्ट तैयार कर लिए.
किसान आंदोलन भी कर रहा नुकसान
निटवियर क्लब, लुधियाना के चेयरमैन विनोद थापर का कहना है इस साल वुलन हौजरी इंडस्ट्री को 5000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. प्रॉडक्शन तो कम है ही, साथ ही इस साल एक्सपोर्ट न के बराबर हुआ है. यह भी एक बहुत बड़ा झटका है. ऊपर से पंजाब में किसान आंदोलन के चलते ट्रांसपोर्टेशन रेल ट्रैक जाम होने और मालगाड़ियां न चल पाने से प्रॉडक्ट्स की डिस्पैचिंग प्रभावित हो रही है.
इस बार चीन से नहीं हुई डंपिंग
घरेलू वुलन हौजरी इंडस्ट्री को हर साल चीन से आने वाले प्रॉडक्ट का भी सामना करना पड़ता था, जिससे देश में बने प्रॉडक्ट्स की बिक्री को झटका लगता था. लेकिन इस साल चीन से माल नहीं आया है जो कि देश की वुलन हौजरी इंडस्ट्री के लिए कहीं न कहीं एक अच्छी खबर है. चीनी माल नहीं होने से घरेलू प्रॉडक्ट की अच्छी डिमांड है. हालांकि एक नुकसान यह भी है कि वुलन हौजरी गारमेंट्स में इस्तेमाल होने वाले कुछ फैब्रिक्स और एक्सेसरी, जो चीन से आती थी वह भी नहीं आ पाई है. इससे थोड़ी दिक्कत पैदा हुई है. थापर का कहना है कि वुलन हौजरी प्रॉडक्ट्स की एक्सेसरी का 95 फीसदी हिस्सा चीन से इंपोर्ट होता है लेकिन इस साल नहीं आ पाई. इसका थोड़ा असर पड़ा है.
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