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महारेरा (MahaRERA) ने हाल ही में 64 आवासीय प्रोजेक्ट्स की सूची को जारी किया है, जिनकी राज्य में बिक्री, विज्ञापन या मार्केटिंग पर पूरी तरह से पांबदी लगा दी गई है.
महारेरा (MahaRERA) ने हाल ही में 64 आवासीय प्रोजेक्ट्स की सूची को जारी किया है, जिनकी राज्य में बिक्री, विज्ञापन या मार्केटिंग पर पूरी तरह से पांबदी लगा दी गई है. एनरॉक रिसर्च ने सूची का विश्लेषण किया और पाया कि कम से कम 43 फीसदी या 274 प्रोजेक्ट्स अकेले MMR में हैं, जिसके बाद पुणे में 29 फीसदी या 189 प्रोजेक्ट्स हैं. बाकी 28 फीसदी या 181 प्रोजेक्ट्स छोटे शहरों में हैं, जिनमें नागपुर, नासिक, कोल्हापुर, औरंगाबाद, सतारा, रत्नागिरी और सांगली शामिल हैं.
यह ध्यान दें कि सभी प्रोजेक्ट्स को स्थानीय डेवलपर्स बना रहे थे. इनमें कोई प्रतिष्ठित या बड़ा डेवलपर शामिल नहीं था. इसके साथ कम से कम 85 फीसदी या 547 प्रोजेक्ट्स छोटे आकार के हैं, जिनका औसत 70 यूनिट्स प्रति प्रोजेक्ट है.
2017 या 2018 से अटके थे प्रोजेक्ट्स
इस पर बोलते हुए, एनरॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि MahaRERA के इस कदम से ऐसे डेवलपर्स को मजबूत संदेश जाता है, जो लगातार अपने प्रोजेक्ट्स में देरी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि घर खरीदार 2017 या 2018 से पजेशन मिलने का इंतजार कर रहे हैं. जैसा डेटा में दिखता है, कुल 644 प्रोजेक्ट्स में, 16 फीसदी 2017 तक पूरे होने थे, जबकि 84 फीसदी की पूरे होने की समयसीमा 2018 थी.
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इन 644 प्रोजेक्ट्स में से 80 फीसदी यूनिट्स पहले ही बिक चुके हैं. MMR में 2014 या उससे पहले लॉन्च हुए कम से कम 496 प्रोजेक्ट्स हैं, जिनमें देरी हो चुकी है या वे अटक गए हैं. जबकि पुणे में करीब 171 देरी या अटके प्रोजेक्ट्स हैं. आज की तारीख पर, राज्य में महारेरा के तहत 29,884 रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स को रजिस्टर किया जा चुका है. इनमें से 24 फीसदी या 7,245 प्रोजेक्ट्स पूरे हो चुके हैं.