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ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) अप्रैल 2000 से गोल्ड ज्वैलरी के लिए हॉलमार्किंग की स्कीम चला रही है और इस समय 40 फीसदी गोल्ड ज्वैलरी की हॉलमार्किंग की जाती है.
Gold Hallmarking: गोल्ड ज्वैलरी और कलात्मक चीजों में धोखाधड़ी रोकने के लिए केंद्र सरकार ने हॉलमार्किंग का प्रावधान किया है और यह आज 16 जून से लागू हो गया है. हालांकि इसे देश भर में एक साथ लागू करने की बजाय चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है और अभी इसे सिर्फ 256 जिलों में लागू किया जा रहा है. इससे जुड़ा फैसला उपभोक्ता मामलों के केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में इंडस्ट्री स्टेकहोल्डर्स के साथ हुई एक बैठक में लिया गया. केंद्रीय मंत्री गोयल ने ट्वीट कर बताया कि अगस्त 2021 तक हॉलमार्किंग से जुड़े नियमों को न मानने पर कोई पेनाल्टी नहीं लगाई जाएगी. हॉलमार्किंग के प्रावधान के तहत 16 जून से 256 जिलों में ज्वैलर्स 14, 18 और 22 कैरट के ही गोल्ड ज्वैलरी बेच सकेंगे. हालांकि 20, 23 और 24 कैरट के गोल्ड की भी हॉलमार्किंग हो सकेगी.
करीब दो साल पहले नवंबर 2019 में केंद्र सरकार ने सोने के गहने और सोने से बनी कलात्मक चीजों के लिए हॉलमार्किंग 15 जनवरी 2021 से अनिवार्य कर दिया था. कोरोना महामारी के चलते ज्वैलर्स की मांग पर इस डेडलाइन को चार महीना आगे 1 जून तक के लिए बढ़ाया गया और फिर इसे 15 जून तक के लिए बढ़ा दिया गया. गोल्ड हॉलमार्किंग सोने की शुद्धता का प्रमाणपत्र है और अब तक यह अनिवार्य नहीं था.
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इन पर नहीं लागू होंगे हॉलमार्किंग के प्रावधान
- बैठक के बाद जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक जिन जौहरियों का सालाना टर्नओवर 40 लाख रुपये तक का है, उन्हें अनिवार्य हॉलमार्किंग से जुड़े प्रावधान से छूट दी गई है.
- सरकार की व्यापारिक नीति के मुताबिक सरकार द्वारा मंजूर की हुई बी2बी डोमेस्टिक एग्जिबिशंस और इंटरनेशनल एग्जिबिशंस के लिए ज्वैलरी के निर्यात और री-इंपोर्ट पर हॉलमार्किंग से जुड़ा प्रावधान नहीं लागू होगा.
- सोने की घड़ियों, फाउंटेन पेन्स और कुंदन, पोल्की व जड़ाऊ जैसे गोल्ड आइटम्स के लिए हॉलमार्किंग का प्रावधान नहीं लागू होगा.
ज्वैलर्स बिना हॉलमार्क वाले सोने के पुराने गहने खरीद सकेंगे और अगर संभव हो सका तो उसे गलाकर नया गहना बनाने के बाद उसकी हॉलमार्किंग कर सकेंगे.
अप्रैल 2000 से ही चल रही है हॉलमार्किंग स्कीम
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) अप्रैल 2000 से गोल्ड ज्वैलरी के लिए हॉलमार्किंग की स्कीम चला रही है और इस समय 40 फीसदी गोल्ड ज्वैलरी की हॉलमार्किंग की जाती है. सरकार के मुताबिक पिछले पांच साल में एसेइंग व हॉलमार्किंग सेंटर्स 454 से बढ़कर 945 हो गए हैं जिसमें से 940 काम कर रही हैं. इसमें से 84 सेंटर्स सरकार की सब्सिडी स्कीम के तहत स्थापित की गई हैं. इन सेंटर्स पर एक साल में 14 करोड़ ऑर्टिकल्स हॉलमार्क किए जा सकते हैं. देश भर में इस समय 4 लाख के करीब ज्वैलर्स हैं जिसमें से सिर्फ 35,879 ही बीआईएस सर्टिफाईड हैं.