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मई में दस महीने के निचले स्तर पर पहुंची मैन्युफैक्चरिंग ,फैक्ट्रियों में भारी जॉब कटौती

मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों का इंडेक्स पीएमआई अप्रैल में 55.5 पर था लेकिन मई में यह घट कर 50.8 पर आ गया . पिछले दस महीने का यह सबसे निचला स्तर है.

मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों का इंडेक्स पीएमआई अप्रैल में 55.5 पर था लेकिन मई में यह घट कर 50.8 पर आ गया . पिछले दस महीने का यह सबसे निचला स्तर है.

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Private sector companies in India noted a second successive monthly decline in business activity during June as market conditions remained challenging due to the escalation of the pandemic. (Representational image)

कोरोना को काबू करने के लिए देश के अलग-अलग राज्यों में लगे लॉकडाउन और पाबंदियों ने मैन्युफैक्चरिंग की रफ्तार बेहद धीमी कर दी है. फैक्ट्रियों में काम कम होने से इन्वेंट्री घटने के साथ ही रोजगार भी कम हुए हैं. मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों का इंडेक्स पीएमआई अप्रैल के 55.5 से घट कर मई में 50.8 पर आ गया है. यह पिछले दस महीने का सबसे निचला स्तर है.

मांग न रहने से फैक्ट्रियों ने प्रोडक्शन घटाया

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से मांग में काफी गिरावट आई है. इस वजह से कंपनियों ने प्रोडक्शन धीमा कर दिया है या रोक दिया है. मारुति, महिंद्रा एंड महिंद्रा ,टाटा जैसी कार मेकर्स कंपनियों और हीरो और टीवीएस जैसी टू-व्हीलर कंपनियों ने  हाल में अपनी फैक्ट्रियों में कुछ दिनों तक प्रोडक्शन रोक दिया था. पीएमआई जारी करने वाली एजेंसी आईएचएस मार्किट की इकोनॉमिक एसोसिएट डायरेक्टर पोलिआना डी लीमा के मुताबिक जनवरी-मार्च तिमाही में भारत का मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट 6.9 फीसदी बढ़ा था. इस दौरान जीडीपी ग्रोथ 1.6 फीसदी रही. मार्च, 2021 में खत्म हुए वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी में 7.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. देश के इतिहास में यह अब तक की सबसे बड़ी जीडीपी गिरावट है.

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दूसरी लहर के चलते घटे रोजगार, 11 महीने बाद मई 2021 में दोहरे अंकों में पहुंची बेरोजगारी दर

मैन्युफैक्चरिंग में गिरावट से बड़ी तादाद में बेरोजगार हुए कामगार

लीमा के मुताबिक स्लोडाउन के आसार लंबा खिंचता देख कंपनियों ने प्रोडक्शन के लिए कच्चा माल खरीदना कम कर दिया है. प्रोडक्शन में गिरावट की वजह से नौकरियां भी घटी हैं. जिन राज्यों में लॉकडाउन है, वहां पिछले दिनों फैक्ट्रियों में प्रोडक्शन लगभग बंद रहा. इससे स्थानीय लोगों के साथ प्रवासी मजदूरों को भी काम नहीं मिल रहा था . आईएचएस मार्किट के आकलन के मुताबिक फिलहाल, आगे के मैन्युफैक्चरिंग माहौल को लेकर स्थिति निराशाजनक है. इसका सबसे ज्यादा असर रोजगार पर पड़ सकता है. कोरोना की दूसरी लहर के चलते मई 2021 में बेरोजगारी दर 11.9 फीसदी हो गई जबकि उसके पिछले महीने अप्रैल 2021 में यह 7.97 फीसदी पर थी.

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