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निवेशकों की नजर सबसे पहले 6 जून को होने वाली आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के नतीजों पर होगी. (FE File)
इस सप्ताह भारतीय शेयर बाजार की चाल कई अहम कारकों से तय होगी. विश्लेषकों का कहना है कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक का परिणाम, प्रमुख आर्थिक आंकड़ों की घोषणा और वैश्विक रुख, बाजार की दिशा निर्धारित करने वाले मुख्य तत्व होंगे. इसके साथ ही विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की ट्रेडिंग गतिविधियां और टैरिफ से जुड़े घटनाक्रम भी निवेशकों की धारणा को प्रभावित करेंगे.
निवेशकों की इन पर रहेगी नजर
निवेशकों की नजर सबसे पहले 6 जून को होने वाली आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के नतीजों पर होगी, जहां ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की उम्मीद की जा रही है. इसके अलावा, ऑटो बिक्री के आंकड़े, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज पीएमआई जैसे उच्च आवृत्ति वाले आर्थिक आंकड़े बाजार को प्रभावित करेंगे. मानसून की प्रगति पर भी निगाह रहेगी, क्योंकि इसका असर कृषि और ग्रामीण मांग आधारित क्षेत्रों पर पड़ता है.
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) के निवेश रुझान, अमेरिकी बॉन्ड बाजार की चाल और वैश्विक व्यापार वार्ताओं से जुड़े घटनाक्रम भी निवेशकों की धारणा को दिशा देंगे. साथ ही, हालिया तिमाही में 7.4% की जीडीपी ग्रोथ और पूरे वर्ष की 6.5% वृद्धि दर के चलते भारत की अर्थव्यवस्था में मजबूती का संकेत मिला है, जिससे FY26 तक जापान को पीछे छोड़ने की संभावना भी बढ़ गई है. इन सभी कारकों का समन्वय बाजार की चाल और धारणा को इस सप्ताह आकार देगा.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) अजित मिश्रा के अनुसार, छह जून को होने वाली आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक निवेशकों के लिए प्रमुख फोकस में रहेगी. नए महीने की शुरुआत के साथ वाहन बिक्री जैसे उच्च आवृत्ति वाले आंकड़ों और अन्य आर्थिक संकेतकों पर भी बाजार की नजर बनी रहेगी, वहीं मानसून की प्रगति और एफआईआई प्रवाह भी निवेश की दिशा तय करने वाले कारक होंगे. वैश्विक स्तर पर अमेरिकी बॉन्ड बाजार में उतार-चढ़ाव और व्यापार वार्ताओं से संबंधित किसी भी अपडेट का असर भी निवेशकों की सोच पर पड़ेगा.
वित्त वर्ष 2024-25 की अंतिम तिमाही (जनवरी-मार्च) में भारतीय अर्थव्यवस्था ने 7.4 प्रतिशत की तेज़ वृद्धि दर्ज की, जिससे पूरे वर्ष की जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रही और देश की अर्थव्यवस्था 3.9 ट्रिलियन डॉलर के आकार तक पहुँच गई. इस सप्ताह जारी होने वाले विनिर्माण और सेवा पीएमआई (क्रय प्रबंधक सूचकांक) आंकड़े भी बाजार की चाल को प्रभावित कर सकते हैं.
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के शोध प्रमुख (वेल्थ मैनेजमेंट) सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि ब्याज दर में कटौती की उम्मीद के बीच दर-संवेदनशील क्षेत्रों, विशेष रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के शेयरों पर निवेशकों की नजर बनी रहेगी. वहीं मासिक ऑटो बिक्री आंकड़े भी ऑटोमोबाइल सेक्टर में हलचल ला सकते हैं. पिछले सप्ताह बीएसई सेंसेक्स 270.07 अंक (0.33%) और एनएसई निफ्टी 102.45 अंक (0.41%) की गिरावट के साथ बंद हुआ.
जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि बाजार फिलहाल 25 आधार अंकों की रेपो दर कटौती की उम्मीद को समाहित कर रहा है, जिससे दर-संवेदनशील क्षेत्रों में सकारात्मकता आ सकती है. साथ ही मजबूत वृहद आर्थिक संकेतक निवेशकों के विश्वास को और सुदृढ़ कर सकते हैं.