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सरकार ने BPCL में अपनी पूरी 52.98 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए शनिवार को बोलियां आमंत्रित की.
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सरकार ने भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) में अपनी पूरी 52.98 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए शनिवार को बोलियां आमंत्रित की. निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) ने बोली दस्तावेज में कहा कि बीपीसीएल की रणनीतिक बिक्री के लिए दो मई को रूचि पत्र जारी किया था. इसमें कहा गया है कि भारत सरकार BPCL में अपने 114.91 करोड़ इक्विटी शेयर यानी बीपीसीएल की इक्विटी शेयर पूंजी में से कुल 52.98 फीसदी साझेदारी के रणनीतिक विनिवेश के साथ ही प्रंबधन नियंत्रण को रणनीतिक खरीदार का प्रस्ताव दे रही है.
दो स्तर में होगी प्रक्रिया
सरकार ने रणनीतिक विनिवेश प्रक्रिया के प्रबंधन और इस विषय पर सलाह देने के लिए डेलोइट टोशे टोमात्सु इंडिया एलएलपी को अपने सलाहकार के रूप में अनुबंधित किया है. बोली दो स्तर की होगी, जिसमें पहले एक्सप्रेशन ऑफ इंटरस्ट में योग्य पाई गई कंपनियों को दूसरे राउंड में बोली लगाने के लिए कहा जाएगा. दस्तावेज के मुताबिक इसमें पीएसयू भाग नहीं ले सकती.
10 बिलियन अमेरिकी डॉलर के नेटवर्थ वाली कोई भी कंपनी बोली में भाग लेने के लिए योग्य है. बीपीसीएल का बाजार पूंजीकरण लगभग 87,388 करोड़ रुपये है. 2020-21 के बजट में विनिवेश प्रक्रिया का तय किया लक्ष्य 2.1 लाख करोड़ रुपये का है जिसके लिए बीपीसीएल का निजीकरण जरूरी है.
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सरकार बेचेगी BPCL में अपनी पूरी हिस्सेदारी
बता दें कि सरकार ने भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचेने का फैसला किया था. इसके चलते BPCL को पूरी तरह से प्राइवेट कंपनी बनाने का प्रस्ताव है. इस बीच यह भी सामने आया कि सरकार ने चुपके से कंपनी को राष्ट्रीयकृत बनाने वाले कानून को 2016 में रद्द कर दिया. इसके चलते अब कंपनी को प्राइवेट और विदेशी कंपनियों को बेचने से पहले संसद की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं रह गई है.
रिपीलिंग एंड अमेंडिंग एक्ट ऑफ 2016 ने 187 बेकार और प्रचलित कानूनों को रद्द किया था. इसमें 1976 का वह कानून भी शामिल था, जो पहले बुरमाह शेल के नाम से जानी जाने वाली बीपीसीएल को राष्ट्रीयकृत करता था. एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक, इस कानून के रद्द होने के बाद अब बीपीसीएल की रणनीतिक बिक्री के लिए संसद से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं रह गई.
(Input: PTI)