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Govt may sell IRFC shares: सूत्रों के हवाले से आई खबरों के मुताबिक मोदी सरकार इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉर्प में अपनी हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रही है. (File Photo : Reuters)
Modi Government planning to sell IRFC shares via OFS: मोदी सरकार इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉर्प (IRFC) में अपनी हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रही है. यह दावा पीटीआई और रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से किया है. बताया जा रहा है कि सरकार की यह हिस्सेदारी ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिए बेचे जाने के आसार हैं. पीटीआई के मुताबिक सरकार को IRFC में अपनी कितनी हिस्सेदारी बेचनी चाहिए, इस बारे में इंटर-मिनिस्टीरियल ग्रुप (IMG) में विचार विमर्श शुरू भी हो चुका है.
इंटर-मिनिस्टीरियल ग्रुप कर रहा है विचार : सूत्र
भारतीय रेलवे वित्त निगम (IRFC) की 86.36 प्रतिशत हिस्सेदारी फिलहाल केंद्र सरकार के पास है. पीटीआई के मुताबिक एक अधिकारी ने बताया है कि ओएफएस के जरिए IRFC की कितनी हिस्सेदारी बेचनी है, इस बारे में फैसला करने के लिए निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) और रेल मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों वाले एक इंटर-मिनिस्टीरियल ग्रुप (IMG) में विचार-विमर्श शुरू भी कर दिया है. अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि कितनी हिस्सेदारी बेची जाए, ये तय करने से पहले निवेशकों की रुचि का आकलन किया जा रहा है.
MPS नॉर्म पूरा करने के लिए बेचनी होगी 11.36% हिस्सेदारी
सेबी (SEBI) के मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग नॉर्म (MPS) को पूरा करने के लिए सरकार को अभी IFRC में अपनी कम से 11.36 फीसदी हिस्सेदारी बेचनी होगी. MPS नॉर्म के मुताबिक किसी भी लिस्टेड कंपनी के लिए जरूरी है कि उसकी लिस्टिंग के पांच साल के भीतर कम से कम 25 फीसदी हिस्सेदारी पब्लिक फ्लोट के तौर पर उपलब्ध हो. IFRC के शेयर बुधवार को एनएसई पर 50.95 रुपये के भाव पर बंद हुए. इस मौजूदा बाजार मूल्य के हिसाब से सरकार को अपनी 11.36 फीसदी हिस्सेदारी बेचने पर लगभग 7,600 करोड़ रुपये मिल सकते हैं.
विनिवेश लक्ष्य पूरा करने में मिलेगी मदद
IRFC में अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचने से भारत सरकार को अपना विनिवेश का लक्ष्य पूरा करने में भी मदद मिलेगी. इससे पहले मोदी सरकार ने पिछले महीने एक अन्य सरकारी रेलवे कंपनी, रेल विकास निगम (Rail Vikas Nigam) में अपनी 5 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी बेची है, जिससे उसे 1366 करोड़ रुपये मिले हैं. रॉयटर्स के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-2024 के दौरान भारत सरकार अब तक विनिवेश के जरिए 5600 करोड़ रुपये ही जुटा पाई है, जबकि लक्ष्य 51,000 करोड़ रुपये जुटाने का है.
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जनवरी 2021 में हुई थी IFRC की लिस्टिंग
मोदी सरकार ने जनवरी 2021 में IFRC के शेयर्स की स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्टिंग कराई थी. कंपनी ने जून 2023 में समाप्त तिमाही के दौरान 1,557 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट दर्ज किया है, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही के 1,660 करोड़ रुपये के शुद्ध लाभ के मुकाबले 6 फीसदी कम है. बुधवार को शुरुआती कारोबार के दौरान कंपनी के शेयर 52.70 रुपये तक पहुंच गए थे, जो उसका अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है. इस महीने कंपनी के शेयर की कीमत अब तक 38 फीसदी बढ़ चुकी है, जबकि पिछले चार हफ्तों में IRFC के शेयरों में 58 फीसदी का जबरदस्त उछाल देखने को मिला है.