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'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में एक और कदम! टेलिकॉम सेक्टर के लिए 12,195 करोड़ रु की PLI स्कीम को मंजूरी

यह स्कीम 1 अप्रैल 2021 से प्रभावी हो जाएगी. इससे अगले पांच साल में करीब 2.4 लाख करोड़ रुपये के टेलिकॉम उपकरणों का उत्पादन होगा.

यह स्कीम 1 अप्रैल 2021 से प्रभावी हो जाएगी. इससे अगले पांच साल में करीब 2.4 लाख करोड़ रुपये के टेलिकॉम उपकरणों का उत्पादन होगा.

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Ashutosh Ojha
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सरकार को उम्मीद है कि स्कीम से 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आएगा और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे.

Atmanirbhar Bharat for telecom equipments: मोदी सरकार ने टेलिकॉम इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरिंग के लिए 12,195 करोड़ रुपये की प्रोडक्टशन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) को मंजूरी दे दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला किया गया. सरकार का मानना है कि इस पहल से आत्मनिर्भर भारत मुहिम को बूस्ट मिलेगा और टेलिकॉम सेक्टर में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा. यह स्कीम 1 अप्रैल 2021 से प्रभावी हो जाएगी. इससे अगले पांच साल में करीब 2.4 लाख करोड़ रुपये के टेलिकॉम उपकरणों का उत्पादन होगा.

केंद्रीय संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मीडिया को कैबिनेट फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि सरकार भारत को मैन्युफैक्चरिंग का एक ग्लोबल पावरहाउस बनाना चाहती है. इसके लिए सरकार ने ईज आफ डूइंग के मद्देनजर कई अहम पहल की है.

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प्रसाद ने बताया कि कैबिनेट ने 12,195 करोड़ रुपये की टेलिकॉम इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरिंग के लिए पीएलआई स्कीम को मंजूरी दे दी है. सरकार का आकलन है कि अगले पांच साल में इस स्कीम से 2,44,200 करोड़ रुपये के टेलिकॉम ​इक्विपमेंट प्रोडक्टशन होगा. प्रसाद ने बताया कि सरकार जल्द ही लैपटॉप और टैबलेट पीसी के प्रोडक्टशन को प्रोत्साहित करने के लिए एक पीएलआई स्कीम लेकर आएगी.

MSME को भी मिलेगा बूस्ट!

इस स्कीम से एमएसएमई कैटेगरी में लोकल मैन्युफैक्चरिंग को भी बढ़ावा मिलेगा. क्योंकि सरकार चाहती है कि एमएसएमई टेलिकॉम सेक्टर में मुख्य भूमिका निभाए और नेशनल चैम्पियन बनकर उभरे. इस स्कीम से अगले 5 साल में करीब 2 लाख करोड़ रुपये के निर्यात के साथ 2.4 लाख करोड़ रुपये के इंक्रीमेंटल प्रोडक्टशन का रास्ता तय होगा. सरकार को उम्मीद है कि इस स्कीम से 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आएगा. साथ ही प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे और टैक्स के जरिए सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा.

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'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में एक और कदम

टेलिकॉम इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरिंग के लिए पीएलआई स्कीम को लेकर कैबिनेट का फैसला आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और अहम पहल है. ग्लोबल कंपनियां कोर ट्रांसमिशन इक्विपमेंट, 4G/5G नेक्स्ड जेनरेशन रेडियो एक्सेस नेटवर्क एंड वायरलेस इक्विपमेंट, एक्सेस एंड कस्टमर प्रीमाइसेस इक्विपमेंट (CPE), इंटरनेट आफ थिंग्स (IoT) एक्सेस डिवाइसेस, अन्य वायरलेस इक्विपमेंट और स्विचेज, राउटर्स जैसे एंटरप्राइज इक्विपमेंट भारत में बनाने के लिए आगे लाएंगी.

मालूम हो, मोबाइल और कम्पोनेंट मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी पीएलआई स्कीम की सफलता से प्रोत्साहित होकर सरकार ने यह कदम उठाया है. मोदी सरकार ने कोविड महामारी के दौरान अप्रैल 2020 में मोबाइल और कम्पोनेंट मैन्युफैक्चरिंग के लिए पीएलआई स्कीम का एलान किया था.

क्या है PLI स्कीम?

मोदी सरकार ने देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और एक ग्लोबल हब बनाने के लिए कंपनियों को भारत में प्रोडक्टशन के लिए आकर्षित करना चाहती है. इसके लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम (PLI) शुरू की गई है. इसके तहतख् सरकार अगले पांच साल में देश में प्रोडक्टशन करने वाली कंपनियों को 1.46 लाख करोड़ रुपये का इंसेंटिव देगी. देश के भीतर उत्पादन होने से आयात खर्च कम होगा. देश में जब सामान बनेगा तो रोजगार के भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर पैदा होंगे.

इस स्कीम के तहत विदेशी कंपनियों को भारत में फैक्ट्री लगाने के साथ—साथ घरेलू कंपनियों को प्लांट लगाने या एक्सपेंशन में प्रोत्साहन दिया जाएगा. पीएलआई योजना शुरुआत में 5 साल के ​लिए है. इसमें कंपनियों को कैश इंसेंटिव मिलेगा. इस स्कीम का लाभ सभी उभरते सेक्टर जैसेकि ऑटोमोबाइल, नेटवर्किंग उत्पाद, खाद्य प्रसंस्करण, उन्नत रसायन विज्ञान, टेलिकॉम, फार्मा, और सोलर पीवी निर्माण आदि ले सकते हैं.

Ravishankar Prasad