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Moody’s was the only agency to revise up India’s sovereign rating for the first time in over a decade in November 2017.
रेटिंग एजेंसी मूडीज (Moody's) ने भारत का सोवरेन क्रेडिट रेटिंग आउटलुक बढ़ा कर निगेटिव (Negative) से स्टेबल ( Stable) कर दिया है. मूडीज ने देश के फाइनेंशिय सेक्टर में सुधार और इकोनॉमी के सभी सेक्टरों में उम्मीद से ज्यादा तेजी से रिकवरी की वजह से रेटिंग में इजाफा किया है. 5 अक्टूबर की अपनी रिपोर्ट में मूडीज ने कहा है कि सोवरेन रेटिंग को निगेटिव से स्टेबल इसलिए किया गया है क्योंकि इसे फाइनेंशियल सिस्टम और रियल इकोनॉमी के बीच निगेटिव फीडबैक का डाउनसाइडिंग रिस्क घट रहा है.
डाइवर्सिफिकेशन और ग्रोथ की संभावना ने निभाई अहम भूमिका
मूडीज ने भारत सॉवरेन रेटिंग "Baa3" सॉवरेन रेटिंग दी है, जो कि सबसे निचला निवेश ग्रेड है. यह जंक स्टेटस से सिर्फ एक रैंक ऊपर है. इसके साथ ही देश की फॉरेन करेंसी और लोकल-करेंसी लॉन्ग टर्म जारीकर्ता रेटिंग और Baa3 पर लोकल-करेंसी सीनियर अनसिक्योर्ड रेटिंग की पुष्टि भी की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि "Baa3" रेटिंग की पुष्टि भारत के प्रमुख क्रेडिट स्ट्रेंथ को संतुलित करता है . इनमें बड़ी और डाइवर्सिफाई इकोनॉमी और इसमें ग्रोथ की अच्छी संभावनाएं शामिल हैं. अर्थव्यवस्था की एक्सटर्नल पोजिशन अच्छा और सरकार के कर्ज के लिए स्थायी घरेलू फाइनेंसिंग आधार भी मौजूद है.
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जीडीपी ग्रोथ की बेहतरीन संभावना
भारत सरकार के आला अधिकारियों की ओर से सॉवरेन रेटिंग को अपग्रेड करने की मांग के चंद दिनों बाद ही मूडीज ने इसमें इजाफा कर दिया है. हालांकि एक और ग्लोबल रेटिंग एजेंसी S&P Global Ratings ने मई की रिपोर्ट में कहा था कि वह भारत की सॉवरेन रेटिंग में अगले दो साल तक किसी बदलाव की गुंजाइश नहीं देखती. 2020 में इकोनॉमी में 7.3 की भारी गिरावट को देखते हुए मूडीज ने कहा है कि मौजूदा वित्त वर्ष ( 2021-22) में जीडीपी 2019 के लेवल को पार कर लेगी. इस बार इसकी वास्तविक जीडीपी ग्रोथ 9.3 फीसदी को पार कर सकती है. वहीं अगले वित्त वर्ष यानी 2022-23 में यह 7.9 फीसदी रह सकता है.