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Representational image/ Reuters
छोटे कारोबार और डीलर्स कम से कम 1 फीसदी GST पेमेंट कैश में करने के अनिवार्य किए गए नए नियम से प्रभावित नहीं होंगे. इसकी वजह है कि इस नियम का पालन केवल उन्हीं इकाइयों को करना है, जिनका सालाना टर्नओवर 6 करोड़ रुपये या इससे ज्यादा है. यह बात वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कही है. गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) की चोरी के लिए फर्जी इनवॉइस के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने पिछले सप्ताह GST नियमों में नियम 86B जोड़ा.
यह नियम GST देनदारी का 99 फीसदी तक ही इनपुट टैक्स क्रेडिट के इस्तेमाल से चुकाने की इजाजत देता है. इसके चलते 50 लाख रुपये से ज्यादा के मंथली टर्नओवर वाले कारोबारों को अपनी GST देनदारी का कम से कम एक फीसदी कैश में पे करना होगा.
केवल 45000 टैक्सपेयर्स पर होगा लागू
सूत्रों का कहना है कि नया नियम 1.2 करोड़ GST टैक्सपेयर्स में से केवल लगभग 45000 टैक्सपेयर्स पर लागू होगा और इससे जेनुइन डीलर्स व कारोबार प्रभावित नहीं होंगे. नया नियम 1 जनवरी 2021 से प्रभावी हो रहा है. आगे कहा कि नया नियम जालसाजों द्वारा फर्जी बिल्स के इस्तेमाल पर लगाम कसेगा. यह केवल जोखिम वाले या संदिग्ध डीलर्स पर लागू होगा जो बड़े पैमाने पर फेक क्रेडिट का इस्तेमाल करते हैं और कैश में टैक्स का कोई भुगतान नहीं करते हैं. MSMEs व कंपोजीशन डीलर्स समेत सभी छोटे कारोबारी इस नियम के दायरे से बाहर हैं.
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क्या छूट शामिल
सूत्रों ने इस बात पर भी जोर दिया है कि इनकम टैक्स ट्रैक रिकॉर्ड और गुजरे साल में प्राप्त हुए रिफंड के आधार पर इस नियम के साथ छूट उपलब्ध कराई गई हैं. CBIC ने कहा है कि टर्नओवर की लिमिट कैलकुलेट करते वक्त जीएसटी के दायरे में न आने वाले सामान और जीरो टैक्स रेट वाली सप्लाई को शामिल नहीं किया जाएगा. नियम के तहत प्रतिबंध उस मामले में लागू नहीं होगा, जहां कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर या पार्टनर ने 1 लाख रुपये से ज्यादा की धनराशि आयकर के रूप में दी है. यह प्रतिबंध उस मामले में भी नहीं लागू होगा, जहां जीएसटी में रजिस्टर व्यक्ति को इस्तेमाल नहीं किए गए इनपुट टैक्स क्रेडिट के कारण गुजरे वित्त वर्ष में 1 लाख रुपये से ज्यादा रिफंड अमाउंट मिला है. यह नियम सरकारी विभागों, सरकारी कंपनियों और लोकल अथॉरिटीज पर लागू नहीं है.