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Ambani New Investments : मुकेश अंबानी की ग्रीन एनर्जी सेक्टर में बढ़ी दिलचस्पी, तीन दिन के भीतर 4 कंपनियों में किया निवेश

Mukesh Ambani Invests in Green Energy: रिलायंस इंडस्ट्रीज की सब्सिडियरी ने तीन दिनों के भीतर ग्रीन एनर्जी सेक्टर की चार कंपनियों में निवेश से जुड़े महत्वपूर्ण सौदे किए हैं.

Mukesh Ambani Invests in Green Energy: रिलायंस इंडस्ट्रीज की सब्सिडियरी ने तीन दिनों के भीतर ग्रीन एनर्जी सेक्टर की चार कंपनियों में निवेश से जुड़े महत्वपूर्ण सौदे किए हैं.

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mukesh ambani company Reliance to invest in NexWafe as strategic lead investor

एशिया के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी ग्रीन एनर्जी के मामले में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. पिछले चार दिनों में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने चार कंपनियों में बड़ा निवेश किया है. (Image- Reuters)

Mukesh Ambani Big Feet in Green Energy: एशिया के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) ग्रीन एनर्जी के मामले में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. पिछले चार दिनों में अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) ने चार कंपनियों में बड़ा निवेश किया है. रिलांयस की सब्सिडियरी रिलायंस न्यू एनर्जी सोलर लिमिटेड (RNESL) ने जर्मन कंपनी NexWafe GmbH में निवेश किया है. इस सौदे के तहत रिलायंस सोलर वेफर बनाने वाली नेक्सवेफ के तकनीक का इस्तेमाल करेगी और देश में बड़े स्तर पर वेफर बनाने वाले प्लांट स्थापित करेगी.

जानकारी के मुताबिक आरएनईएसएल ने जर्मन कंपनी में 2.5 करोड़ यूरो (217.74 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इस निवेश से रिलायंस जर्मन कंपनी में स्ट्रेटजिक लीड इंवेस्टर बन गई. रिलायंस के इस निवेश से नेक्सवेफ के प्रॉडक्ट और टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट में तेजी आएगी. इसके अलावा नेक्सवेफ के सोलर फोटोवोल्टिक प्रॉडक्ट्स के कॉमर्शियल प्रोडक्शन को पूरा करने में मदद मिलेगी.

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वेफर्स बनाने की लागत में आएगी गिरावट

जर्मन कंपनी हाई एफिशिएंसी के मोनोक्रिस्टलाइन ग्रीन सोलर वेफर्स बनाती है. रिलायंस और नेक्सवेफ के बीच इंडिया स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट भी हुआ है. इसके तहत दोनों कंपनियां संयुक्त रूप से बड़े स्तर पर तकनीकी विकास करेंगी और कॉमर्शियल तौर पर प्रॉडक्ट्स बनाएंगी. इस सौदे के जरिए रिलायंस को जर्मन कंपनी के तकनीक की जानकारी मिलेगी और फिर यह तकनीक व प्रक्रिया के इस्तेमाल से देश में बड़े स्तर पर वेफर बनाने वाले प्लांट्स स्थापित करेगी. नेक्सवेफ सीधे सस्ते कच्चे माल से मोनोक्रिस्टलाइन सिलिकॉन वेफर बनाती है यानी सीधे गैस फेज से फिनिश्ड वेफर्स तैयार होता है. इससे वेफर्स बनाने की लागत में जबरदस्त गिरावट आएगी. वेफर्स सेमीकंडक्टर की पतली परत होती है. वेफर्स के सस्ते होने पर चिप बनाने की लागत भी कम होगी.

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डेनमार्क की कंपनी से सौदे के जरिए कॉर्बनमुक्त होने में मदद

आरएनईएसएल ने नेक्सवेफ के साथ-साथ भारत में हाइड्रोजन इलेक्ट्रोलाइजर्स बनाने और तकनीकी विकास के लिए डेनमार्क की एक कंपनी Stiesdal के साथ सौदा किया है. डेनमार्क की यह कंपनी जलवायु परिवर्तनों से निपटने की तकनीक विकसित कर रही है. हाइड्रोजन इलेक्ट्रोलाइजर्स की नई तकनीक से न सिर्फ लागत में गिरावट आएगी बल्कि कॉर्बनमुक्त होने व सस्ती ग्रीन हाइड्रोजन के कॉमर्शियलाइजेशन का रास्ता आसान करेगी जिससे भारत को ग्रीन एनर्जी में ट्रांजिशन के लक्ष्य को पाने में मदद मिलेगी.

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तीन दिनों में रिलायंस ने चार कंपनियों के साथ किए सौदे

रिलायंस तेजी से ग्रीन एनर्जी के मामले में आगे बढ़ रही है. जर्मन कंपनी नेक्सवेफ और डेनमार्क की कंपनी Stiesdal के साथ सौदे के जरिए रिलायंस ने इस दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाया है. इससे पहले मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली इस कंपनी ने रविवार को दो सौदे का ऐलान किया. रविवार 10 अक्टूबर को रिलायंस की सब्सिडियरी RNESL ने चाइना इंटरनेशनल ब्लूस्टार ग्रुप के आरईसी सोलर होल्डिंग्स एएस के अधिग्रहण का ऐलान किया था. इसके अलावा RNESL ने रविवार को ही स्टर्लिंग एंड विल्सन सोलर लिमिटेड में 40 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने का ऐलान किया था. स्टर्लिंग एंड विल्सन सोलर लिमिटेड कंपनी शापूरजी पलोन्जी ग्रुप और खुर्शीद दारुवाला परिवार का ज्वाइंट वेंचर है.

(इनपुट: न्यूज एजेंसी पीटीआई)

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