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ऑटो सेक्टर में म्यूचुअल फंड्स का निवेश घट रहा है
बुधवार को सरकार ने ऑटो सेक्टर ( Automobile Industry) के लिए 26 हजार करोड़ रुपये की PLI Scheme का ऐलान किया है. सरकार कहना है कि इससे संकट से जूझ रहे इस सेक्टर को उबरने में मदद मिलेगी. कोविड के दौर से ही ऑटो और ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री ( Auto Component Industry) संकट का सामना कर रही है. हाल में मारुति सुजुकी के चीफ आर सी भार्गव ने कहा था कि भारत में वाहन उद्योग गहरे संकट के दौर से गुजर रहा है. यह संकट म्यूचुअल फंड के निवेश पैटर्न से भी साफ दिख रहा है.
ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल (Motilal Oswal) की रिपोर्ट के मुताबिक अगस्त में ऑटो सेक्टर में म्यूचु्अल फंड का एक्सपोजर घट कर 5.9 फीसदी पर पहुंच गया है. यह 17 महीने का न्यूनतम स्तर है. जुलाई महीने की तुलना में इसमें 30 बेसिस प्वाइंट की कमी आई है. जबकि पिछले साल ( 2020) के जुलाई महीने से भी यह 50 बेसिस प्वाइंट कम है.
सप्लाई चेन की दिक्कतों और महंगे कमोडिटी का सामना कर रही है ऑटो इंडस्ट्री
मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट में देश के टॉप 20 म्यूचुअल फंड हाउस के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है. म्यूचुअल फंड के एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) में इन कंपनियों की 97 फीसदी हिस्सेदारी है. आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज (ICICI Securities) के एक विश्लेषण के मुताबिक वाहन उद्योग महामारी की वजह से सप्लाई चेन की दिक्कतों और ऊंची कमोडिटी कीमतों की वजह से परेशानियों का सामना कर रहा है. आने वाले दिनों में सेमी कंडक्टर की कमी से भी गाड़ियों के प्रोडक्शन और बिक्री को भी झटका लग सकता है. गाड़ियों की कीमतों में बढ़ोतरी, महंगे पेट्रोल-डीजल और बंपर-टू-बंपर इंश्योरेंस लागू होने की संभावना से बिक्री कम हो सकती है.
मेटल, हेल्थकेयर, कंज्यूमर ड्यूरेबल और सीमेंट में म्यूचुअल फंड का एक्सपोजर घटा
सरकार की ओर से ऑटो सेक्टर के लिए 26 हजार करोड़ रुपये की पीएलआई स्कीम से इसमें कुछ बेहतरी दिख सकती है. लेकिन फिलहाल म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का वाहन उद्योग पर भरोसा कम हो रहा है.म्यूचुअल फंड्स ने ऑटो सेक्टर के अलावा कुछ और सेक्टरों में भी अपना एक्सपोजर कम किया है. अगस्त में कई फंड हाउस ने मेटल, हेल्थकेयर, पब्लिक सेक्टर बैंक, कंज्यूमर ड्यूरेबल और सीमेंट में एक्सपोजर कम किया है. अगस्त में इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीम में 8056.80 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था, लेकिन यह जुलाई में 20,742.77 करोड़ रुपये के निवेश से 61.15 फीसदी कम है.