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Equity Funds: शेयर बाजार में अनिश्चितता है, वहीं वैल्युएशन भी हाई है. जिससे इक्विटी फंड्स में फ्लो घटा है.
Mutual Funds Investment: शेयर बाजार में भारी अस्थिरता और रिजर्व बैंक द्वारा रेट हाइक को लेकर क्लेरिटी न होने का असर म्यूचुअल फंड में निवेश पर साफ तौर पर दिख रहा है. बाजार में अनिश्तिता और हाई वैल्युएशन के चलते अप्रैल में इक्विटी फंडों में इनफ्लो करीब 68 फीसदी घट गया है. वहीं दूसरी ओर निवेशक अब 30 दिन से 6 महीने की मैच्योरिटी वाली शॉर्ट टर्म स्कीम में पैसा डालकर बाजार के स्थिर होने का इंतजार कर रहे हैं. जिससे डेट फंडों में निवेश कई महीने में सबसे ज्यादा रहा है. एक्सपर्ट का कहना है कि मौजूदा दौर में इक्विटी में गिरावट और फिर स्टेबल होने का इंतजार करना चाहिए. बाजार स्थिर होने पर धीरे धीरे पैसा डेट से इक्विटी की ओर एसआईपी के जरिए शिफ्ट कर सकते हैं.
डेट फंड्स में भारी निवेश
अप्रैल 2023 में डेट फंड्स खासतौर से डेट बेस्ड स्कीम में भारी भरकम निवेश देखने को मिला. इन योजनाओं में अप्रैल में 1.06 लाख करोड़ रुपये का निवेश आया है, जबकि मार्च में 56,884 करोड़ रुपये की निकासी देखने को मिला थी. डेट स्कीम में लिक्विड फंड्स ने लीड किया है.
लिक्विड फंड्स में अप्रैल के दौरान 63,219 करोड़ का निवेश आया, जबकि मनी मार्केट फंड्स में 13,961 करोड़, अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड्स में 10,662 करोड़ और ओवरनाइट फंड्स में 6,107 करोड़ का निवेश आया.
दूसरी ओर इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश अप्रैल में 68 फीसदी घटकर 6,480 करोड़ रुपये रहा है. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के जारी आंकड़ों के अनुसार, मुख्य रूप से स्मालकैप और मिडकैप कैटेगिरी की कंपनियों के जरिये यह निवेश आया है. कुल मिलाकर, 42 कंपनियों वाले म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में अप्रैल में 1.21 लाख करोड़ रुपये का निवेश आया और एसेट अंडर मैनेजमेंट 41.61 लाख करोड़ पहुंच गया. यह मार्च 2023 में 39.42 लाख करोड़ था.
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ब्याज दरों को लेकर अभी क्लेरिटी नहीं
BPN फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम का कहना है कि आरबीआई ने पिछली बार ब्याज दरों को पॉज किया था, लेकिन यह क्लेरिटी नहीं है कि दरों में बढ़ोतरी रुकेगी या जारी रहेगी. निवेयाक ऐसा मान रहे हैं कि अभी एक या 2 बार दरों में इजाफा किया जा सकता है. इसके चलते शॉर्ट मैच्येारिटी वाली स्कीम को तरजीह दे रहे हैं, जहां 1 दिन से 3 महीने में पैसा मैच्योर हो जाए. निवेशक शॉर्ट मैच्योरिट वाली कैटेगिरी मसलन शॉर्ट ड्यूरेशन, अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन, मनी मार्केट जैसी स्कीम में पैसा लगा रहे हैं. फ्लोटर फंड्स ने भी अच्छा इनफ्लो देखा है, बदलती ब्याज दरों के आउटलुक का सामना करने की उनकी क्षमता को दिखाता है. इसका फायदा यह है कि बाजार स्थिर होने या रेट हाइक पर क्लेरिटी आने के बाद वे यहां से कुछ पैसा दूसरी योजनाओं में शिफ्ट कर पाएंगे.
बाजार का हाई वैल्युएशन भी वजह
मोतीलाल ओसवाल एएमसी के चीफ बिजनेस आफिसर अखिल चतुर्वेदी का कहना है कि मार्च 2023 के मुकाबले अप्रैल 2023 में इनफ्लो कम हो गया है, जो बाजारों में हालिया रैली के आधार पर निवेशकों द्वारा सतर्क रुख को दर्शाता है. हालांकि मोटे तौर पर इक्विटी और इक्विटी ओरिएंटेड म्युचुअल फंडों में निवेशकों की दिलचस्पी दिख रही है और एसेट कलास के लिए मिड से लॉन्ग्दे टर्म का ट्रेंड पॉजिटिव रहेगा. उनका कहना है कि स्मॉल कैप सेग्मेंट में इनफ्लो मजबूत रहा है. वित्त वर्ष 2023 के दौरान वैल्यू करेक्शन के बाद मौजूदा लेवल पर स्मॉल कैप आकर्षक दिख रहे हैं. उनका कहना है कि निवेशकों ने डेट मार्केट में निवेश के बेहतर माहौल का भी लाभ उठाया है और हाइब्रिड फंडों के लिए आवंटन बढ़ा दिया है.
कॉरपोरेट्स ने डेट में पार्क किया पैसा
हिमांशु श्रीवास्तव, एसोसिएट डायरेक्टर - मैनेजर रिसर्च, मॉर्निंगस्टार इंडिया के अनुसार मार्च में पिछले वित्त वर्ष की टैक्स देनदारियों को पूरा करने के बाद, कॉरपोरेट्स ने अपने अतिरिक्त निवेश योग्य फंड को लिक्विड फंड और अल्ट्रा-शॉर्ट ड्यूरेशन फंड में पार्क किया है. जिससे इन कैटेगिरी में भारी इनफ्लो देखने को मिला है.
निवेशक क्या करें
एके निगम का कहना है कि निवेशक अपने रिस्क प्रोफाइल के आधार पर एसेट अलोकेशन करें. मौजूदा समय में एसआईपी जारी रखनी चाहिए. अगर कंजर्वेटिव हैं तो मल्टी एसेट अलोकेशन बेहतर स्ट्रैटेजी होगी. वहीं अगर आपने डेट में पैसा पार्क किया है तो बाजार स्थिर होने पर यहां से एसआईपी के जरिए धीरे धीरे कुछ पैसा इक्विटी की ओर शिफ्ट कर सकते हैं.
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