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Mutual Funds: बजट के बाद कहां बने हैं कमाई के मौके, म्यूचुअल फंड निवेशकों को क्या करना चाहिए

मौजूदा समय में बॉन्ड यील्ड में तेजी आई है, जिससे बॉन्ड मार्केट एक बार फिर फोकस में है. ऐसे में बजट के बाद म्यूचुअल फंड निवेशकों को क्या करना चाहिए, यह सवाल उठ रहा है.

मौजूदा समय में बॉन्ड यील्ड में तेजी आई है, जिससे बॉन्ड मार्केट एक बार फिर फोकस में है. ऐसे में बजट के बाद म्यूचुअल फंड निवेशकों को क्या करना चाहिए, यह सवाल उठ रहा है.

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Sushil Tripathi
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Mutual Funds: बजट के बाद कहां बने हैं कमाई के मौके, म्यूचुअल फंड निवेशकों को क्या करना चाहिए

मौजूदा समय में बॉन्ड यील्ड में तेजी आई है, जिससे बॉन्ड मार्केट एक बार फिर फोकस में है. (image: pixabay)

Mutual Fund Strategy After Budget 2022: बजट 2022 में ग्रोथ पर फोकस किया गया है. सरकार ने फिस्कल एक्सपेंडिचर बढ़ाया है. सरकार का फोकस निवेश बढ़ाकर ग्रोथ पर है. आगे कैपेक्स बढ़ने की उम्मीद है. फिलहाल जिस तरह से इकोनॉमिक रिकवरी जारी है, आगे क्रेडिट डिमांड भी मजबूत रहने की उम्मीद है. यह सब बाजार के पक्ष में है. मौजूदा समय में बॉन्ड यील्ड में तेजी आई है, जिससे बॉन्ड मार्केट एक बार फिर फोकस में है. ऐसे में बजट के बाद म्यूचुअल फंड निवेशकों को क्या करना चाहिए, यह सवाल उठ रहा है. मसलन उन्हें इक्विटी और बॉन्ड में किस तरह का बैलेंस करना चाहिए. शॉर्ट ड्यूरेशन या लॉन्ग ड्यूरेशन बॉन्ड में क्या बेहतर विकल्प हो सकते हैं. इस बारे में म्यूचुअल फंड बाजार के एक्सपर्ट ने अपनी राय दी है.

बॉन्ड मार्केट में तेज हलचल

PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड के हेड- फिक्स्ड इनकम पुनित पॉल का कहना है कि हायर बॉरोइंग के चलते बॉन्ड मार्केट में तेज हलचल है. हायर बॉरोइंग नंबर्स के चलते बॉन्ड यील्ड्स उम्मीद से अधिक बढ़ा है. 10 साल के बेंचमार्क बॉन्ड यील्ड 15 बीपीएस बढ़कर 6.83 फीसदी हो गया है. डिमांड और सप्लाई में अंतर और बढ़ सकता है क्योंकि ऐसा संभव है कि RBI सिस्टम में सरप्लस लिक्विडिटी को देखते हुए ओएमओ का संचालन नहीं करेगा. वहीं ग्लोबल बेंचमार्क में सरकारी प्रतिभूतियों को शामिल करने की कोई समय-सीमा नहीं दी गई थी. यह देखते हुए कि वित्त वर्ष 2023 में RBI द्वारा ब्याज दर बढ़ाने की उम्मीद के साथ दर रेट साइकिल बदल रहा है, कर्व स्थिर बना रह सकता है और हायर बॉरोइंग पर लॉन्ग ड्यूरेशन बॉन्ड पर दबाव दिख सकता है. ऐसे में निवेशकों को शॉर्ट ड्यूरेशन बॉन्ड (1-3 साल की अवधि) में बने रहने की सलाह है.

क्यों चुनें शॉर्ट ड्यूरेशन बॉन्ड

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BPN फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम का कहना है कि बॉन्ड मार्केट की बात करें तो निवेशकों को शॉर्ट ड्यूरेशन बॉन्ड में अभी पैसे लगाने चाहिए. दुनियाभर के सेंट्रल बैंक आगे मॉनेटरी पॉलिसी सख्त करने के संकेत दे रहे हें. यूएस में साल 2022 में ब्याज दरों में 3 से 4 बार इजाफा हो सकता है. भारत में भी आगे सेंट्रल बैंक ब्याज दरें बढ़ा सकता है. ऐसे में 10 साल के बॉन्ड यील्ड में गिरावट आएगी. इस वजह से अभी बॉन्ड मार्केट की तेजी का फायदा उठाना है तो शॉर्ट ड्यूरेशन बॉन्ड में पैसे लगाएं. इनमें 1 साल की मेच्योरिटी वाले बॉन्ड और बेहतर विकल्प हो सकते हैं.

टाइम टु टाइम रीबैलेंसिंग

एके निगम का कहना है कि यह समय इक्विटी और डेट में करने का है. अगर इक्विटी मार्केट में तेजी आती है तो प्रॉफिट बुक करें और डेट में डालें. इसी तरह से अगर इक्विटी में गिरावट आती है तो डेट का कुछ फीसदी इक्विटी की ओर शिफ्ट करें. उनका कहना है कि सरकार का फोकस अभी इंफ्रा और डिजिटल पर है. ऐसे में अगर पोर्टफोलियो में इन दोनों सेक्टर में निवेश करने वाले फंड नहीं हैं तो शामिल करें. कैपिटल गुड्स में भी पैसे लगाने वाले फंड बेहतर विकल्प हैं.

SIP निवेशक क्या करें

सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए अगर ​म्यूचुअल फंड में पैसे लगाते हैं तो इसे जारी रखें. बाजार में गिरावट आए तो यूनिट बढ़ा लें. आगे मार्केट आउटलुक बेहतर है. इकोनॉमिक रिकवरी जिस तरह से हैं, बाजार में तेजी आएगी. इक्विटी अलोकेशन रिस्क प्रोफाइल और अपनी उम्र के आधार पर करें. फिलहाल मौजूदा समय में लार्जकैप, लार्ज एंड मिडकैप और मल्टीकैप फंड बेहतर दिख रहे हैं.

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