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जिग्नेश शाह की कंपनी 63 मून्स के मुताबिक NCLAT के मौजूदा प्लान में DHFL के NCD धारकों को 45 हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है.
63 मून्स टेक्नोलॉजीज ने मंगलवार को कहा कि वह जल्द NCLT के रेजोल्यूशन को NCLAT में चुनौती देगी. 63 मून्स टेक्नोलॉजीज का दीवान हाउसिंग फाइनेंस से 200 करोड़ रुपये का दावा है. इस कंपनी को पिरामल ग्रुप 85,000 करोड़ रुपये के क्लेम के मुकाबले 37,500 करोड़ की कम कीमत पर ले रहा है.
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की मुंबई बेंच ने मंगलवार को एचपी चतुर्वेदी और रविकुमार Duraisamy की अध्यक्षता में पिरामल ग्रुप को बैंकरप्सी कोड के तहत DHFL को टेकओवर की मंजूरी दे दी. यह मंजूरी करीब 85,000 करोड़ रुपये के दावे के मुकाबले 37,500 करोड़ रुपये की कम कीमत पर दी गई है.
क्या है पूरा मामला?
उसने 25 मई को क्रेडिटर्स की कमेटी से वाधवानों को कर्जदाताओं और क्रेडिटर्स को करीब 93,000 करोड़ रुपये का वापस भुगतान करने के ऑफर पर विचार करने के लिए कहा था, जिस पर NCLT ने रोक लगा दी थी, जब पिरामल ग्रुप ने उसे चुनौती दी थी. लेकिन बेंच ने सोमवार को पिरामल की बोली को पास करते हुए कहा कि वे कर्जदाताओं की कारोबारी समझ का सम्मान करते हैं और इसलिए DHFL के प्रमोटर्स का 100 फीसदी क्लेम का वापस भुगतान करने का ऑफर भी ठुकरा दिया.
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63 मून्स ने दावा किया कि रेजोल्यूशन प्लान कानून के खिलाफ है और सभी DHFL क्रेडिटर्स के हितों के भी विरुद्ध है, जिसमें NCD होल्डर्स शामिल हैं, जिन्हें बोली लगाने वाले ने 45,000 करोड़ रुपये के नुकसान पर केवल 1 रुपये ऑफर किया है. कंपनी ने कहा कि वे जल्द ही NCLAT का दरवाजा खटखटाकर अपने 200 करोड़ रुपये और दूसरे NCD धारकों के 45,000 करोड़ रुपये दिए जाने की मांग करेंगे.