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दरों में महज 100 बेसिस प्वाइंट्स यानी 1 फीसदी की कटौती से भी ब्याज पर आपके लाखों रुपये बचते हैं. (Image- Pixabay)
आरबीआई ने आज (8 अप्रैल) चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली मौद्रिक नीतियों का ऐलान किया. इसके मुताबिक जिन लोगों ने फ्लेक्सिबल इंटेरेस्ट रेट पर होम लोन और कार लोन लिया हुआ है, उनकी ईएमआई पर खास असर नहीं पड़ेगा क्योंकि आरबीआई ने प्रमुख नीतिगत दरें स्थिर रखी हैं. रेपो रेट 4 फीसदी पर है जबकि रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर है. अधिकतर बैंक इस समय न्यूनतम 6.5 फीसदी की दर पर होम लोन उपलब्ध करा रहे हैं. ऐसे में जिन्हें होम लोन लेना है, उनके लिए यह बेहतर समय क्योंकि अभी इसकी दरें कई साल के निचले स्तर पर है और एक्सपर्ट्स चालू वित्त वर्ष में इसके बढ़ने के भी आसार जताए जा रहे हैं. आरबीआई ने अभी अपनी मौद्रिक नीतियों को उदार बनाए रखा है लेकिन इसमें सख्ती के आसार जताए जाने लगे हैं.
एसबीआई के चेयरमैन दिनेश खारा के मुताबिक आरबीआई की नई मौद्रिक नीति मौजूदा अनिश्चित आर्थिक माहौल का व्यावहारिक मूल्यांकन है. खारा के मुताबिक किसी भी बैंक के एटीएम से बिना कार्ड के पैसों की निकासी से क्यूआर कोड पर आधारित पेमेंट्स को प्रोत्साहन मिलेगा. डिजिटल पेमेंट्स के लिए मजबूत गवर्नेंस स्ट्रक्चर बनाने का फैसला बेहतर है. खारा के मुताबिक ओवरऑल आरबीआई की नई मौद्रिक नीति कोरोना के बाद की दुनिया के लिए तैयारी है.
रेपो रेट कम रखने से हाउसिंग डिमांड में बढ़ोतरी
स्टर्लिंग डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के चेयरमैन और एमडी रमानी शास्त्री के मुताबिक आरबीआई के इस फैसले से घर खरीदारों का भरोसा बढ़ा है. शास्त्री के मुताबिक ब्याज दर कम रखने से रीयल एस्टेट सेक्टर को उबारने में बड़ी मदद मिली है क्योंकि अपने घर का सपना पूरा करना सस्ता हुआ है और हाउसिंग डिमांड बढ़ी है. आरबीआई द्वारा नीतिगत दरों को स्थिर रखने से अभी जो माहौल बना हुआ है, वह कायम रहेगा और इससे ओवरऑल इकॉनमी रिकवरी में तेजी आएगी.
कितना मिलता है फायदा
दरों में महज 100 बेसिस प्वाइंट्स यानी 1 फीसदी की कटौती से भी ब्याज पर आपके लाखों रुपये बचते हैं. हालांकि कितनी बचत होगी, यह इस पर निर्भर करता है कि लोन चुकता करने के लिए अभी कितना समय बचा है. उदाहरण के लिए मान लें कि आपने 15 साल के लिए 40 लाख रुपये का लोन लिया हुआ है तो अगर आपके लोन की दरें 2 फीसदी कम हो जाती हैं तो ब्याज पर कुल 8.5 लाख रुपये बच जाएंगे और ईएमआई में भी सालाना 57 हजार रुपये की बचत होगी.
रेपो रेट में बदलाव से किस लोन पर पहले असर
जब आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है तो जिस लोन की ईएमआई रेपो रेट लिंक्ड रेट (RLLR) के हिसाब से बनती है, उस पर तुरंत असर दिखता है. वहीं एमसीएलआर से जुड़े लोन पर भी असर दिखता है लेकिन आरएलएलआर की तुलना में धीमे. जब बैंकों के लिए फंड की लागत बढ़ती है तो बैंक का एमसीएलआर भी ऊपर चढ़ता है. जिन लोगों ने 1 अक्टूबर 2019 से पहले लोन लिया हुआ है, वे चाहें तो अपने लोन पर मार्जिनल कॉस्ट के हिसाब से तय लेंडिंग रेट पर ईएमआई जारी रख सकते हैं या आरएलएलआर की तरफ स्विच हो सकते हैं लेकिन यह करने से पहले कॉस्ट-बेनेफिट का आकलन जरूर कर लें. इसके अलावा स्विच होने से पहले कुछ महीने रुक जाना चाहिए ताकि इंटेरेस्ट रेट मूवमेंट की स्पष्ट तस्वीर मिल सके.
(आर्टिकल: सुनील धवन)