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बांबे डाइंग के चेयनमैन नुसली वाडिया ने टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा और अन्य के खिलाफ दायर 3000 करोड़ रुपए के हर्जाने सहित मानहानि के मामले वापस ले लिये.
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बांबे डाइंग के चेयनमैन नुस्ली वाडिया ने टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा और अन्य के खिलाफ दायर 3000 करोड़ रुपये के हर्जाने सहित मानहानि के सारे मामले सोमवार को वापस ले लिये. प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने वाडिया को शीर्ष अदालत में अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी. इससे पहले, पीठ ने इस कथन को दर्ज किया कि टाटा और अन्य की मंशा वाडिया को बदनाम करने की नहीं थी.
पीठ ने कहा कि टाटा के इस बयान के मद्देनजर कि वाडिया को बदनाम करने की कोई मंशा नहीं थी, जो उच्च न्यायालय के नतीजे के अनुरूप है, याचिकाकर्ता को मौजूदा याचिका और हर्जाने के लिये लंबित वाद वापस लेने की अनुमति दी जाती है. पीठ ने वाडिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सी ए सुन्दरम से कहा कि न्यायालय उनके मुवक्किल के दृष्टिकोण की सराहना करता है.
क्या था मामला?
शीर्ष अदालत ने छह जनवरी को वाडिया और टाटा से कहा था कि वे एकसाथ बैठक पर मानहानि के मामले में अपने मतभेद दूर करें. वाडिया ने 2016 में रतन टाटा और अन्य के खिलाफ उस समय मानहानि का मामला दायर किया था, जब उन्हें टाटा समूह की कुछ कंपनियों के बोर्ड से हटा दिया गया था. वाडिया टाटा मोटर्स, टाटा स्टील और टाटा केमिकल्स के बोर्ड्स में स्वतंत्र निदेशक थे. वाडिया ने इस मामले में 3,000 करोड़ रुपये का हर्जाना मांगा था.
क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने?
पिछली सुनवाई के दौरान नुस्ली वाडिया के वकील ने कहा कि उनका केस कंपनी के खिलाफ नहीं बल्कि उन लोगों के खिलाफ है जिन्होंने मेरे क्लाइंट बारे में तमाम आरोप लगाकर एक विशेष प्रस्ताव सर्कुलेट किया और उसे मीडिया तक पहुंचाया.
सुनवाई के दौरान CJI ने कहा था कि आप दोनों ही लोग इंडस्ट्री के सीनियर लीडर हैं, क्या आप एक-दूसरे से बात कर मसला सुलझा नहीं सकते. हम कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते, क्या आज के समय आपको ऐसे मुकदमेबाजी की जरूरत है, यदि आप मामले को खुद निपटा लें.