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कच्चे तेल की गिरावट ने बढ़ाया तेल कंपनियों का मुनाफा; न आम लोगों को मिली राहत, न पेट्रोल पंपों को

पेट्रोल-डीजल के भाव को लेकर कहा जाता है कि इसकी कीमतें बाजार पर निर्भर है. हालांकि प्रायोगिक तौर पर इसका उल्टा देखने को मिल रहा है.

पेट्रोल-डीजल के भाव को लेकर कहा जाता है कि इसकी कीमतें बाजार पर निर्भर है. हालांकि प्रायोगिक तौर पर इसका उल्टा देखने को मिल रहा है.

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FE Online
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Oil marketing companies make higher margins as crude falls read here in details

तेल कंपनियों ने 4 नवंबर से रिटेलर्स (पेट्रोल पंपों) से लिए जाने वाले शुल्क में कोई कटौती नहीं की है.

पेट्रोल-डीजल के भाव को लेकर कहा जाता है कि इसकी कीमतें बाजार पर निर्भर है यानी कि अगर कच्चे तेल के भाव गिरते हैं तो यह भी सस्ता होगा. हालांकि प्रायोगिक तौर पर इसका उल्टा देखने को मिल रहा है. पिछले नौ हफ्ते में सरकारी ऑयल मार्केट कंपनियों (OMCs) ने क्रूड ऑयल की गिरती कीमतों का फायदा ग्राहकों को नहीं दिया. इसकी बजाय इन कंपनियों ने ऑटो फ्यूल की बिक्री पर अधिक से अधिक मुनाफा कमाया.
एनालिस्ट्स का मानना है कि अगर तेल कंपनियां यह मार्जिन अगले महीने जनवरी 2022 के अंत तक बनाए रखती हैं तो अगले साल फरवरी-मार्च में यूपी-पंजाब जैसे अहम राज्यों में चुनावों के बावजूद तेल कंपनियों का मार्जिन सामान्य से अधिक रह सकता है. हालांकि तेल की कीमतों में उछाल से इस पर असर पड़ सकता है. इंडियन ऑयल डीलर्स से प्रति लीटर पेट्रोल पर 48.23 रुपये और डीजल पर 49.61 रुपये का शुल्क लेती है.

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पेट्रोल पंपों को सस्ते कच्चे तेल का फायदा नहीं

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तेल कंपनियों ने 4 नवंबर से रिटेलर्स (पेट्रोल पंपों) से लिए जाने वाले शुल्क में कोई कटौती नहीं की है. एनालिस्ट्स के मुताबिक इसके चलते ओएमसीज का पेट्रोल-डीजल पर मार्केटिंग मार्जिन अक्टूबर के मुकाबले नवंबर में करीब 30 फीसदी की उछाल के साथ प्रति लीटर करीब 9 रुपये तक पहुंच गया. भारतीय बॉस्केट में क्रूड ऑयल के भाव की बात करें तो 2 नवंबर को यह प्रति बैरल 83.7 डॉलर (6238.79 रुपये) के भाव पर था जो 28 दिसंबर तक लुढ़ककर 74.6 डॉलर (5560.50 रुपये) तक रह गया. एमकाय ग्लोबल के एनालिस्ट्स के मुताबिक अगर ओएमसीज इस मार्जिन को जनवरी के अंत तक बनाए रखती है और तेल के भाव नहीं बढ़ते हैं तो यूपी-पंजाब जैसे अहम राज्यों में चुनावों के बावजूद उनका तिमाही मार्जिन सामान्य से अधिक हो सकता है.

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3 नवंबर को मिली थी आम लोगों को थोड़ी राहत

पेट्रोल और डीजल के एंड-कंज्यूमर्स को केंद्र सरकार ने 3 नवंबर को आंशिक राहत दी थी. केंद्र सरकार ने प्रति लीटर पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी में 5 रुपये और डीजल पर 10 रुपये की कटौती का ऐलान किया था. इसके बाद प्रति लीटर पेट्रोल पर केंद्रीय टैक्स 27.9 रुपये और डीजल पर 21.8 रुपये रह गया. इसके चलते राजधानी दिल्ली में प्रति लीटर पेट्रोल के भाव रिकॉर्ड हाई 110.04 रुपये से फिसलकर 103.97 रुपये और डीजल के भाव 103.97 रुपये से फिसलकर 86.67 रुपये हो गए. इसके बाद दिल्ली सरकार ने वैट में भी कटौती की जिससे एक दिसंबर को पेट्रोल के भाव 95.41 रुपये रह गए. हालांकि दिल्ली में डीजल पर वैट में कटौती नहीं की गई. पिछले साल मार्च और मई 2020 में प्रति लीटर पेट्रोल पर सरचार्ज व सेस 13 रुपये और डीजल पर 16 रुपये बढ़ाए गए थे.
(आर्टिकल: अनुपम चटर्जी)
(1 अमेरिकी डॉलर= 74.54 रुपये)