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सरकार ONGC में अपनी 1.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर 3000 करोड़ रुपये जुटाना चाहती है.
ONGC OFS : मोदी सरकार देश की बड़ी सरकारी कंपनी ओएनजीसी (ONGC) में अपनी 1.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने जा रही है. सरकार इस ऑफर के तहत कुल 9.43 करोड़ शेयर बेच रही है, जिसमें ओवर-सब्सक्रिप्शन की हालत में इतने ही और शेयर बेचने का विकल्प शामिल है. सरकार यह शेयर ऑफर फॉर सेल (OFS) के तहत बेचने जा रही है, जिसके जरिए करीब 3000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है.
लेकिन समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सरकार ने इस विनिवेश के लिए ओएनजीसी के शेयरों की रिज़र्व प्राइस इतनी कम घोषित की है कि उसे फायदे की जगह नुकसान होता नजर आ रहा है. ऐसा कंपनी के शेयरों की कीमत में आई तेज गिरावट के कारण हो रहा है. अनुमान के मुताबिक बुधवार को कंपनी के शेयर में आई गिरावट के चलते ही सरकार को मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से करीब 7000 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. यानी सरकार जितने पैसे जुटाना चाहती है, उसके दोगुने से भी ज्यादा का नुकसान उसे एक ही दिन में हो चुका है!
रिजर्व प्राइस इतनी कम क्यों?
दरअसल सरकार ने ओएनजीसी के ऑफर फॉर सेल के लिए जो रिजर्व प्राइस तय की, वो मंगलवार को कंपनी के शेयरों के बंद भाव के मुकाबले 7 फीसदी कम है. मंगलवार को ओएनजीसी के शेयर बीएसई पर 171.05 रुपये पर बंद हुए थे. लेकिन सरकार ने OFS में इसका रिज़र्व प्राइस 159 रुपये रखा है. यहां ध्यान में रखने लायक बात यह भी है कि मंगलवार को भी कंपनी के शेयर बढ़त के साथ नहीं बल्कि करीब 3 फीसदी की गिरावट के साथ ही बंद हुए थे. यानी सोमवार के बंद भाव से तुलना करें तो ऑफर फॉर सेल का रिजर्व प्राइस बाजार भाव से करीब 10 फीसदी कम रहा.
बुधवार को ओएनजीसी के शेयरों में जिस कदर गिरावट देखने को मिली, उसकी एक बड़ी वजह रिजर्व प्राइस का काफी कम होना ही माना जा रहा है. कंपनी के शेयर बुधवार को करीब साढ़े पांच फीसदी की गिरावट के साथ 161.80 रुपये पर बंद हुए. इस गिरावट से कंपनी के शेयरधारकों को मार्केट कैप के रूप में एक ही दिन में करीब 11 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है.
जुटाने हैं 3000 करोड़, नुकसान 7000 करोड़?
ओएनजीसी के 60.41 फीसदी शेयर सरकार के पास हैं, लिहाजा इसमें से करीब 7000 करोड़ रुपये का नुकसान सीधे सरकार को ही हुआ है. ऐसे में यह सवाल उठना लाज़मी है कि जिस विनिवेश के जरिए सरकार 3000 हज़ार करोड़ रुपये जुटाना चाहती है, उसमें शेयर की कीमत कम रखकर 7000 करोड़ रुपये का अपना ही नुकसान कराने में भला कौन सी समझदारी है?
ओएनजीसी के माइनॉरिटी शेयर होल्डर्स को भी बुधवार की गिरावट के चलते एक ही दिन में 4000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ा है. इतना ही नहीं, समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक इंडस्ट्री सोर्सेज का कहना है कि मार्केट कैप में गिरावट की वजह से कंपनी के कर्मचारियों को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है, क्योंकि 2021-22 के दौरान उनके परफॉर्मेंस रिलेटेड पेमेंट (PRP) का निर्धारण करते समय मार्केट कैप एक प्रमुख आधार रखा गया है.
बुधवार को संस्थागत निवेशकों के लिए खुला OFS
बहरहाल, ओएफएस के जरिए ONGC के 1.5 फीसदी शेयर बेचने के लिए लाया गया दो दिन का ऑफर फॉर सेल बुधवार को सिर्फ संस्थागत निवेशकों के लिए खोला गया. इसके तहत कंपनी के 8.49 करोड़ शेयर गैर-रिटेल निवेशकों को बेचने का प्रस्ताव है. ग्रीन शू ऑप्शन को मिलाकर यह ऑफर 16.98 करोड़ शेयर्स का है. स्टॉक एक्सचेंज से प्राप्त डेटा के मुताबिक संस्थागत निवेशकों ने 30.35 करोड़ शेयर खरीदने के लिए आवेदन दिया है, जो उनके लिए निर्धारित कोटे के मुकाबले करीब साढ़े तीन गुना या 357.44 फीसदी अधिक है. 159.91 रुपये प्रति शेयर के सांकेतिक मूल्य के आधार पर गणना करें तो यह प्रस्ताव करीब 4854 करोड़ रुपये के हैं. DIPAM सेक्रेटरी तुहिन कांत पांडेय ने इसे बेहद उत्साहजनक रिस्पॉन्स बताते हुए कहा है कि सरकार ने इस ऑफर फॉर सेल में ग्रीन शू ऑप्शन का इस्तेमाल करने का फैसला किया है.
रिटेल निवेशकों के लिए OFS गुरुवार को खुलेगा
रिटेल निवेशकों के लिए ओनएजीसी का OFS गुरुवार को खुलेगा. इसके तहत 94.35 लाख शेयर रिटेल निवेशकों के लिए रखे गए हैं. ग्रीन शू ऑप्शन को मिला दें तो यह ऑफर 1.88 करोड़ शेयरों के लिए है. मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान सरकार अपने विनिवेश कार्यक्रम के तहत अब तक ऑफर फॉर सेल, एंप्लॉई ओएफएस, रणनीतिक विनिवेश और बायबैक जैसे उपायों के जरिए कुल 12,423.67 करोड़ रुपये ही जुटा पाई है. जबकि निर्धारित लक्ष्य 78,000 करोड़ रुपये जुटाने का है.
(Input : PTI)