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देश भर में औसतन हर महीने 13 लाख टन प्याज की खपत होती है. यह फसल तीन हिस्सों में आती है- खरीफ, लेट खरीफ और रबी.
Onion Price: अधिकतर रसोई का प्याज एक अहम हिस्सा है लेकिन अनियिमत मानसून के चलते थाली में इसकी मौजूदगी प्रभावित हो सकती है. अनियमित मानसून के चलते प्याज के भाव दोगुने बढ़ सकते हैं क्योंकि इसकी आवक प्रभावित हो रही है. खरीफ की फसल आने में देरी और तूफान ताउते (Cyclone Tauktae) के चलते स्टॉक में मौजूद प्याज अधिक दिनों तक बनी रहने में सक्षम नहीं है. इन दोनों कारणों से क्रिसिल (Crisil) की रिपोर्ट के मुताबिक प्याज के भाव बढ़ सकते हैं.
क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दो साल से अगस्त-सितंबर की असमय बारिश से प्याज की आवक प्रभावित हुई है और 2018 में जब यह सामान्य था, उसके मुकाबले इसके भाव दोगुने हो गए. अब क्रिसिल की रिसर्च में अनुमान लगाया गया है कि इस साल इसके भाव में 100 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में प्याज की फसल प्रभावित हुई है और साइक्लोन के चलते स्टोर की हुई रबी की फसल में नमी अधिक है जिसके चलते इसकी लाइफ कम हो रही है.
तीन राज्यों में 75% से अधिक खरीफ प्याज का उत्पादन
देश भर में औसतन हर महीने 13 लाख टन प्याज की खपत है. यह फसल तीन हिस्सों में आता है- खरीफ, लेट खरीफ और रबी. इस प्रकार प्याज लगभग पूरे साल भर बाजार में उपलब्ध रहता है. प्रमुख उत्पादकों की बात करें तो देश भर में खरीफ प्याज का सबसे अधिक उत्पादन महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में होता है.
खरीफ प्याज ही सितंबर-नवंबर में तय करती है भाव
इन तीन राज्यों में 75 फीसदी से अधिक खरीफ प्याज का उत्पादन होता है. क्रिसिल के मुताबिक पिछले साल फेस्टिव सीजन के दौरान प्याज के भाव 2018 के सामान्य वर्ष के मुकाबले दोगुने स्तर पर पहुंच गए थे क्योंकि भारी व अनियमित बारिश के चलते इसकी आपूर्ति प्रभावित हुई थी. इसकी आपूर्ति और भाव मुख्य रूप से मौसम पर निर्भर करती है और इसमें भी सबसे अधिक प्रभावी भूमिका दक्षिण-पश्चिमी मानसून का होता है. देश भर में कुल प्याज उत्पादन में 70 फीसदी हिस्सा रबी का होता है लेकिन खरीफ की फसल के जरिए ही सितंबर-नवंबर में सप्लाई मेंटेन रहती है. इस बारिश ने आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में खरीफ की फसल प्रभावित हुई थी.
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अनियमित बारिश के चलते महाराष्ट्र में प्याज की अगली फसल रोपने में दिक्कतें आ रही हैं जिसका देश के कुल खरीफ उत्पादन में 35 फीसदी हिस्सा है. महाराष्ट्र में उत्पादिन होने वाला 37 फीसदी प्याज नासिक में होता है और 30 अगस्त को यहां 33 फीसदी कम बारिश की स्थिति है. पुणे में भी कम बारिश हुई है जहां महाराष्ट्र का 13 फीसदी खरीफ प्याज पैदा होता है. क्रिसिल के मुताबिक सितंबर-नवंबर में मांग के मुताबिक प्याज की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है जो इसके भाव को बढ़ा सकती है.