scorecardresearch

Papad vs Fryum: गोल पापड़ पर नहीं लगता GST, लेकिन फ्रायम पर देना पड़ता है टैक्स; जानिए, एक जैसे फूड आइटम्स पर अलग-अलग क्यों हैं कर की दरें

Papad vs Fryum: पारंपरिक पापड़ और पैकेटबंद फ्रायम समान इनग्रेडिएंट्स से बनते हैं लेकिन इन पर लागू जीएसटी में बड़ा फर्क है.

Papad vs Fryum: पारंपरिक पापड़ और पैकेटबंद फ्रायम समान इनग्रेडिएंट्स से बनते हैं लेकिन इन पर लागू जीएसटी में बड़ा फर्क है.

author-image
FE Online
एडिट
New Update
Papad vs Fryum Why do you end up paying more for some food items and less on others know here in the details

जीएसटी सिस्टम के तहत खाने की जिन चीजों को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में अधिक प्रोसेसिंग होती है, उन पर अधिक दरों से टैक्स लगाया जाता है.

Papad vs Fryum: पारंपरिक तौर पर बनने वाले पापड़ और पैकेटों में मिलने वाला फ्रायम समान इनग्रेडिएंट्स से बनते हैं लेकिन टैक्स के लिए लिहाज से दोनों प्रोडक्ट्स में बड़ा फर्क है. पापड़ पर लागू जीएसटी की दर शून्य है, यानी उस पर कोई जीएसटी नहीं देना पड़ता. लेकिन पैकेटबंद फ्रायम को टैक्स में यह रियायत हासिल नहीं है. इसी प्रकार की कई अन्य चीजें भी हैं जिन्हें बनाने में एक ही जैसी इनग्रेडिएंट्स का इस्तेमाल होता है लेकिन उन पर जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) की दरें अलग-अलग हैं. दरों के अलग-अलग होने का सबसे बड़ा कारण यह है कि जीएसटी सिस्टम के तहत खाने की जिन चीजों को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में अधिक प्रोसेसिंग होती है, उन पर अधिक दरों से टैक्स लगाया जाता है.

डीवीएस एडवाइजर्स के फाउंडर और मैनेजिंग पार्टनर दिवाकर विजयसारथी के मुताबिक भारत में खाने की सामानों पर शून्य फीसदी से लेकर 18 फीसदी तक की जीएसटी लगती है. जिन फूड आइटम्स को बनाने में अधिक प्रोसेसिंग नहीं करनी होती या ताजा ही इस्तेमाल किया जाता हो, उन पर कोई जीएसटी नहीं लगती है. इसके विपरीत जिन्हें उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में कई स्टेप्स होते हैं, उन पर 5-18 फीसदी की जीएसटी लगती है.

Advertisment

एक फैसले ने तय किया पापड़ और फ्रायम में अंतर

अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग (एएआर) की गुजरात बेंच ने जयंत स्नैक्स एंड बीवरेज प्राइवेट लिमिटेड के मामले में पापड़ पर शून्य फीसदी की दर से जीएसटी का फैसला सुनाया था. एएआर की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि पारंपरिक स्नैक फूड पापड़ को टैक्स के मामले में फ्रायम के समान नहीं माना जा सकता है. इससे पहले कुछ हाई कोर्ट ने फ्रायम को पापड़ के समान माना था. हाईकोर्ट का कहना था कि फ्रायम को पापड़ की तरह ही मसालों में आटा मिलाकर मनचाहे आकार में बनाया जाता है जिसके चलते इसे पापड़ की तरह माना चाहिए और शून्य फीसदी से जीएसटी लगनी चाहिए. विजयसारथी के मुताबिक हालांकि एएआर ने अपने कई फैसलों में यह साबित किया के वे एक उदाहरण स्थापित करना चाहते हैं और पापड़ को पैकेज्ड फ्रायम के समान नहीं समझा जा सकता है यानी कि दोनों को एक टैक्स ब्रेकेट में नहीं रख सकते हैं.

PNB ने मिनिमम बैलेंस नहीं रखने वालों से 2020-21 में वसूले 170 करोड़, RTI के जरिए मिली जानकारी से हुआ खुलासा

समान इनग्रेडिएंट्स के बावजूद अलग जीएसटी स्लैब रेट में

पापड़ और फ्रायम के अलावा अन्य चीजें भी हैं, जो समान इनग्रेडिएंट्स से बनती हैं लेकिन उन पर जीएसटी की अलग-अलग दरों से टैक्स चुकाना होता है.

  • रोटी पर 5 फीसदी जीएसटी जबकि मालाबार परोटा पर 18 फीसदी जीएसटी
  • इडली/डोसा सांभर पर 5 फीसदी जीएसटी जबकि रेडी टू कुक मिक्स पाउडर पर 18 फीसदी जीएसटी
  • दूध पर 5 फीसदी जीएसटी और फ्लेवर्ड दूध पर 12 फीसदी जीएसटी
  • फ्रूट जूस पर 12 फीसदी जीएसटी जबकि कॉर्बोनेटेड फ्रूट ड्रिंक पर 12 फीसदी के कंपेनसेशन सेस के साथ 28 फीसदी जीएसटी

HDFC ग्राहकों के लिए खुशखबरी, त्योहारी सीजन से पहले Paytm के साथ मिलकर जारी करेगा क्रेडिट कार्ड की नई रेंज

जीएसटी सिस्टम में उपभोक्ताओं पर भार घटा या बढ़ा?

सेल्स टैक्स सिस्टम की तुलना में गुड्स एंड सर्विसेज एक्ट के तहत उपभोक्ताओं को कम टैक्स चुकाना पड़ रहा है. विजयसारथी के मुताबिक ऐसा 5-28 फीसदी की चार जीएसटी दरों के चलते संभव हो पाया है. दूध का उदाहरण लें तो जीएसटी लागू होने से पहले दूध व कुछ दुग्ध उत्पादों पर 2 फीसदी का वैट लगता था लेकिन जीएसटी सिस्टम के तहत ताजा दूध पर कोई जीएसटी नहीं लगता और स्किम्ड मिल्क को 5 फीसदी के जीएसटी स्लैब व कंडेंस्ड मिल्क को 12 फीसदी की जीएसटी स्लैब में रखा गया है. नीचे जीएसटी से पहले और जीएसटी आने के बाद टैक्स की दरों में बदलाव के बारे में जानकारी दी जा रही है-

Papad vs Fryum Why do you end up paying more for some food items and less on others know here in the details

(आर्टिकल: राजीव कुमार)

Gst