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मार्केट एनालिस्ट्स के मुताबिक पेटीएम काफी महंगा है और रेगुलेशन व प्रतिस्पर्धा ने इसके भाव पर दबाव बढ़ाया है.
Paytm Outlook: आज पेटीएम की लिस्टिंग ने निवेशकों को निराश किया और 2150 रुपये के आईपीओ प्राइस के मुकाबले करीब 9 फीसदी डिस्काउंट पर लिस्ट हुआ. बीएसई पर इंट्रा-डे कारोबार में यह 26 फीसदी डिस्काउंट यानी 1586.25 रुपये के भाव तक लुढ़क गया था. अब इंटरनेशनल ब्रोकरेज फर्म Macquarie के मुताबिक यह स्टॉक आईपीओ प्राइस के मुकाबले 44 फीसदी तक लुढ़क सकता है और 'अंडरपरफॉर्म' की रेटिंग के साथ 1200 रुपये प्रति शेयर के भाव पर टारगेट सेट तय किया है.
एनालिस्ट्स के मुताबिक पेटीएम काफी महंगा है और रेगुलेशन व प्रतिस्पर्धा ने इसके भाव पर दबाव बढ़ाया है. यह कंपनी कभी मुनाफे में नहीं रही है और आने वाले समय में भी इसके मुनाफे में आने के आसार नहीं दिख रहे हैं, ऐसे में वित्त वर्ष 2023 के अनुमानित प्राइस टू सेल्स (P/S) के मुकाबले इसका 26 गुना भाव बहुत महंगा दिख रहा है.
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किसी भी सेग्मेंट में Paytm को मुनाफा नहीं
इंटरनेशनल ब्रोकरेज फर्म के मुताबिक पेटीएम बिना मार्केट लीडरशिप हासिल किए या बिना मुनाफे के कई बिजनस वर्टिकल्स में है. इस समय पेटीएम पेमेंट्स सेग्मेंट, कंज्यूमर लेंडिंग, पेमेंट गेटवे, क्रेडिट कार्ड, वेल्थ, मिनी एप्लीकेशन प्लेटफॉर्म और टिकट जैसे सेग्मेंट में है लेकिन किसी भी सेग्मेंट में उसे मुनाफा नहीं हो रहा है. ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि प्रत्येक डॉलर के निवेश या मार्केटिंग खर्च पर पेटीएम का रेवेन्यू बहुत कम है जिसके चलते यह कैश हजम करने वाली मशीन के तरह की कंपनी है.
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वित्त वर्ष 2029-30 में पॉजिटिव फ्री कैश फ्लो क उम्मीद
इंटरनेशनल ब्रोकरेज फर्म के मुताबिक पेटीएम का फ्री कैश फ्लो वित्त वर्ष 2029-30 तक पॉजिटिव होने की उम्मीद है, उससे पहले नहीं. एनालिस्ट्स के मुताबिक डिस्ट्रीब्यूशन बिजनस द्वारा गैर-पेमेंट बिजनेस रेवेन्यू में अगले पांच साल में 50 फीसदी सीएजीआर (कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट) से बढ़ोतरी का अनुमान है लेकिन इसके बावजूद पेटीएम को वित्त वर्ष 2030 से पहले पॉजिटिव फ्री कैश फ्लो की उम्मीद नहीं है. वहीं दूसरी तरफ ईबीआईटीडीए ब्रेक-इवन की बात करें तो वित्त वर्ष 2025-26 में ही इसकी उम्मीद की जा सकती है.
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चीनी कंपनी के निवेश से बैंकिंग लाइसेंस में आ सकती है दिक्कतें
कई घरेलू ब्रोकरेज फर्मों का मानना है कि पेटीएम को स्माल फाइनेंस बैंक (एसएफबी) का लाइसेंस देने से इस कंपनी के लिए अधिक दरवाजे खुलेंगे. हालांकि Macquarie का मानना है कि पेटीएम यूनिवर्सल या एसएफबी लाइसेंस के लिए प्रैक्टिकल प्रतियोगी नहीं है. इसका मुख्य कारण यह है कि आईपीओ के बाद भी चीन की दिग्गज कंपनी अलीबाबा और एंट ग्रुप की वन97 कम्यूनिकेशंस (पैरेंट कंपनी पेटीएम) में 31 फीसदी हिस्सेदारी है. इसके अलावा पेटीएम को अन्य नियामकीय दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. केंद्रीय बैंक आरबीआई, बाजार नियामक सेबी और बीमा नियामक इरडा लागत कम करने के लिए सर्विस प्रोवाइडर्स पर सख्ती कर रही हैं.
(आर्टिकल: क्षितिज भार्गव)
(स्टोरी में दिए गए स्टॉक रिकमंडेशन संबंधित रिसर्च एनालिस्ट व ब्रोकरेज फर्म के हैं. फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन इनकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. पूंजी बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन हैं. निवेश से पहले अपने सलाहकार से जरूर परामर्श कर लें.)