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देश में तेल के भाव पिछले 132 दिनों से स्थिर हैं. (Image- Reuters)
पिछले साल नवंबर से पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर हैं. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के चलते कच्चा तेल 100 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया तो आशंकाएं जताई जाने लगी कि पांच राज्यों के चुनाव बीतने के बाद देश में फिर पेट्रोल-डीजल महंगा होगा. इसके चलते आम लोगों और डीलर्स ने पहले ही अधिक खरीदारी कर ली और पिछले साल की तुलना में इस साल 1-15 मार्च 2022 के बीच 18 फीसदी अधिक पेट्रोल और 24 फीसदी अधिक डीजल खरीदा.
ये रहे पेट्रोल-डीजल की बिक्री के आंकड़े
- इंडस्ट्री द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक इस महीने के पहले 15 दिन सरकारी तेल कंपनियों ने 12.3 लाख टन पेट्रोल की बिक्री की. यह पिछले साल की समान अवधि में बिक्री के मुकाबले 18 फीसदी और 2019 में 1-15 मार्च में बिक्री के मुकाबले 24.4 फीसदी अधिक है. भारतीय बाजार में करीब 90 फीसदी पेट्रोल सरकारी तेल कंपनियां बेचती हैं.
- वहीं डीजल की बात करें तो पिछले साल के मुकाबले सरकारी कंपनियों ने 1-15 मार्च के बीच सालाना आधार पर 23.7 फीसदी अधिक यानी 35.3 लाख टन डीजल बेचा. यह 1-15 मार्च 2019 में बिक्री के मुकाबले 17.3 फीसदी अधिक है.
- कुल बिक्री की बात करें तो सालाना आधार पर 1-15 मार्च 2022 के बीच पेट्रोल 24.3 फीसदी और डीजल 33.5 फीसदी अधिक बिका.
- माहवार बात करें तो फरवरी के शुरुआती 15 दिनों के मुकाबले 1-15 मार्च 2022 में पेट्रोल की बिक्री 18.8 फीसदी और डीजल की बिक्री 32.8 फीसदी अधिक रही.
132 दिनों से तेल के दाम स्थिर
उत्तर प्रदेश समेत देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के चलते पेट्रोल और डीजल के भाव पिछले 132 दिनों से स्थिर हैं. कच्चे तेल के दाम इतने दिनों में 81 डॉलर (6169.16 रुपये) प्रति बैरल से उछलकर 130 डॉलर (9901.13 रुपये) प्रति बैरल तक पहुंच गए लेकिन चुनावों के चलते कीमतें नहीं बढ़ी. इसे लेकर आम धारणा बन गई थी कि चुनाव बीतते ही 12 रुपये तक तेल महंगा हो सकता है लेकिन अभी तक इसके भाव में कोई बदलाव नहीं हुआ है.