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Even the biggest brands are making off-season offers to attract customers and also assuring buyers prices will be protected for some time.
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रियल एस्टेट में साल 2020 में प्राइवेट इक्विटी इंवेस्टमेंट सालाना आधार पर 93 फीसदी घटा है. अब तक कुल 5 डील ही पूरी हुई हैं. Knight Frank India की रिपोर्ट इंवेस्टमेंट्स इन रियल एस्टेट में यह बात सामने आई है. इस गिरावट की वजह कोरोना वायरस महामारी की वजह से निवेशक की भावनाओं पर असर और 2019 में भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती आना है. इस साल में पहले पांच महीनों में पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले डील की संख्या में 80 फीसदी की गिरावट हुई है.
निवेश में गिरावट की वजह
घरेलू अर्थव्यवस्था में बड़ी सुस्ती और खासकर रियल एस्टेट पर असर ने निवेशकों को दूर रखा है. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय निवेश भी विकसित देशों की तरफ जा रहे हैं. इसकी वजह यह है कि माना जा रहा है कि आर्थिक संकट का 2020 में भारतीय रियल एस्टेट पर बड़ा असर होगा.
रेजिडेंशियल के मुकाबले ऑफिस, रिटेल और वेयरहाउसिंग में इक्विटी निवेश बढ़ा है और कुल निवेश में उसकी हिस्सेदारी में इजाफा हुआ है. रेजिडेंशियल सेक्टर में प्राइवेट इक्विटी निवेशक डेट या स्ट्रक्चर्ड डेट इंवेस्टमेंट की तरफ ज्यादा बढ़े हैं जिसका मकसद डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स में इक्विटी निवेश करने से जुड़े जोखिम से दूर रहना है.
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ऑफिस मार्केट में निवेश
चार साल लगातार बढ़ने के बाद, ऑफिस एसेट में प्राइवेट इक्विटी इंवेस्टमेंट 2019 में गिरा. मैच्योर ऑफिस एसेट्स की कमी ने निवेशकों को निर्माणाधीन एसेट्स और ग्रीनफील्ड डेवलपमेंट में करने को मजबूर किया है. अब तक 2020 में केवल 2 डील हुई हैं जो 141 मिलियन डॉलर की हैं. साल में 2.9 मिलियन स्क्वायर फीट के ऑफिस स्पेस का ट्रांजैक्शन हुआ है.
रिपोर्ट के मुताबिक, आगे चलकर महामारी और वैश्विक मंदी की वजह से वैश्विक तौर पर एसेट वैल्युएशन में बड़ी गिरावट होगी, जिससे विकसित देशों में आकर्षक अवसर आएंगे.