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प्रोटीन के बेहतरीन स्रोत के रूप में चने का इस्तेमाल किया जाता है.
चने के भाव 2021 में अब तक 13.24 फीसदी की तेजी आ चुकी है. होटल-रेस्टोरेंट्स से लगातार मजबूत मांग के चलते इसके भाव नीचे आने की उम्मीद अभी कम है. वायदा बाजार में इसके भाव अभी 5060 के लेवल पर हैं. इसके अलावा चना के हाजिर भाव भी कैरीओवर स्टॉक्स में कमी और फ्रेश क्रॉप्स की कम आवक के चलते बढ़े हुए हैं. बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक मार्च के अंत तक इसकी नई फसल आने पर इसके भाव कमजोर होंगे लेकिन यह गिरावट कुछ समय तक ही रहेगी. इसके बाद अगले दो महीने में इसके भाव 5500 तक पहुंच सकते हैं. केंद्र सरकार अपना बफर स्टॉक बढ़ाने के लिए इसकी खरीदारी करेगी जिससे इसके भाव मजबूत होंगे.
इन कारणों से बढ़े हैं चने के भाव
- केडिया कमोडिटी की रिपोर्ट के मुताबिक चना के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में बेमौसम बारिश और ओले के चलते खेतों में एकदम तैयार हो चुकी फसल प्रभावित हुई हैं.
- कोरोना महामारी के चलते लंबे समय से आर्थिक गतिविधियां बंद थी. अब धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो रही है. ऐसे में होटल-रेस्टोरेंट्स की तरफ से चने की मांग बढ़ी है.
- सरकारी खरीद बढ़ी है. केंद्र सरकार बफर स्टॉक में बढ़ोतरी के लिए अधिक खरीदारी कर सकती है. एंजेल ब्रोकिंग के वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी एंड रिसर्च) अनुज गुप्ता के मुताबिक केंद्र सरकार ने गरीबों के लिए चना की खरीद की है जिसके चलते इसके भाव मजबूत हुए हैं. सरकार गरीबों को चना खरीदकर वितरित करती है.
चने की अधिक आवक की उम्मीद
कृषि मंत्रालय का अनुमान है कि 2020-21 सत्र में (जुलाई-जून) में चना की 1.15 करोड़ टन फसल आ सकती है. एग्रीकल्चर कमिश्नर एसके मल्होत्रा के मुताबिक इस साल चने के बुवाई क्षेत्र में बढ़ोतरी के चलते चने की फसल ज्यादा आ सकती है. पिछले साल की तुलना में इस साल चने का बुवाई क्षेत्र 4.5 लाख हेक्टेअर बढ़ा है और करीब 112 लाख हेक्टेअर में इसकी बुवाई हुई है. इस सत्र में 1.15 करोड़ टन चना उत्पादित होने का अनुमान है जो चौथे एस्टीमेट्स 1.14 करोड़ टन से कुछ अधिक है. हालांकि मिलर्स का अनुमान इससे कम है. मिलर्स के मुताबिक 2020-21 में 9-9.5 टन चना ही आने का अनुमान है. पिछले चना सत्र में 9.5 टन चना आया था.