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Rate Hike: यूएस फेंड महंगाई का कंट्रोल करने के लिए एक और रेट हाइक के लिए तैयार है.
Rate Hike Impact on Sensex and Nifty: यूएस फेंड महंगाई का कंट्रोल करने के लिए एक और रेट हाइक के लिए तैयार है. आज शुरू होने वाली मीटिंग मतें ब्याज दरों में 75 बेसिस प्वॉइंट से 100 बेसिस प्वॉइंट बढ़ोतरी का अनुमान है. हालांकि इसके बाद भी ग्लोबल और घरेलू शेयर बाजार में जोरदार तेजी देखने को मिल रही है. आज के कारोबार में सेंसेक्स और निफ्टी दोनों इंडेक्स में रैली है. सेंसेक्स 800 अंकों से ज्यादा मजबूत हुआ है. जबकि निफ्टी 17850 के पार निकल गया है. इसके पहले अमेरिकी बाजार भी मजबूत होकर बंद हुए तो एशियाई बालारों में भी खरीदारी है. यूएस फेड जब रेट हाइक के लिए तैयार है तो भारतीय बाजारों में ऐसी तेजी क्यों आई और इसका यहां क्या असर होगा.
भारत में भी बढ़ेंगी ब्याज दरें, महंगाई घटने का अनुमान
Kotak Institutional Equities के सीनियर इकोनॉमिस्ट सुवोदीप रक्षित का कहना है कि आने वाले महीनों में इनफ्लेशन रेट हाई बने रहने की आशंका है. हालांकि यह 4QFY23 में एमपीसी के 6 फीसदी की ऊपरी सीमा से धीरे-धीरे कम हो रहा है. एमपीसी द्वारा दरों में बढ़ोतरी के जारी रहने की उम्मीद के साथ, मौद्रिक सख्ती के चलते महंगाई कंट्रोल करने में मदद मिलेगी. ऐसे में 1HCY23 के दौरान औसत CPI इनफ्लेशन ट्रैजेक्टरी आरबीआई के अनुमानों से लगभग 60 बीपीएस कम होगा. उनका कहना है कि FY2023E में CPI इनफ्लेशन अनुमान 6.5 फीसदी है. उनका कहना है कि सितंबर पॉलिसी में ब्याज दरों में 35 बीपीएस बढ़ोतरी का अनुमान है. वहीं साल 2022 के अंत तक रेपो रेट 6 फीसदी किया जा सकता है.
भारतीय बाजार के लिए क्या पॉजिटिव और क्या निगेटिव
IIFL, VP-रिसर्च, अनुज गुप्ता का कहना है कि यूएस फेड की ब्याज दरों के लेकर आज से मीटिंग शुरू हो रही है. इस टर्म में फेड दरों में अगर 75 बेसिस प्वॉइंट की बढ़ोतरी करता है तो यह ग्लोबल मार्केट के साथ घरेलू बाजार के लिए डिस्काउंटेट फैक्टर है. हालांकि 100 बेसिस प्वॉइंट की हाइक शॉर्ट टर्म इंपैक्ट डाल सकता है. यह देखना ज्यादा महत्वपूर्ण होगा कि यूएस फेड अपनी स्टेटमेंट क्या रखता है. आगे रेट हाइक को लेकर किस तरह की कमेंट्री आती है.
- अनुज गुप्ता का कहना है कि यूएस में महंगाई की दर ऊंची बनी हुई है और उसे कंट्रोल करने के लिए रेट हाइक साइकिल आगे भी एक्सटेंड होगी. यह बात पहले से बाजारों को पता है. इसका एक पॉजिटिव इंपैक्ट यह है कि FIIs का भारतीय बाजारों में आना जारी रहेगा.
- वहीं यूएस में अगर हाल फिलहाल में इनफ्लेशन कंट्रोल न होने के संकेत मिलते हैं तो आगे डॉलर इंडेक्स में कमजोरी आएगी. इससे रुपये को सपोर्ट मिलेगा और इकोनॉमी को फायदा होगा. इसका सीधा पॉजिटिव असर शेयर बाजार पर होगा.
- महंगाई के चलते यूएस में अर्थव्यवस्था पटरी पर लाने में दिक्क्त हो रही है. इससे आगे वहां क्रूड प्रोडक्शन बढ़ने का अनुमान है. भारत की अर्थव्यवस्था के लिए यह भी एक पॉजिटिव फैक्टर है.
- भारत में जल्द ही सरकारी बॉन्ड का ग्लोबल लेवल पर ट्रेड होने की उम्मीद है, इससे भी बाहर के लोगों को इसमें निवेश का मौका मिलेगा. जिसका फायदा भारत को होगा.
- हालांकि रिस्क फैक्टर यह है कि अगर कोई ग्लोबल सेंटीमेंटल बहुत ज्यादा निगेटिव होता है तो बाजार में रह रहकर करेक्शन होता रहेगा. सब कुछ स्टेबल होने तक यह ट्रेंड जारी रह सकता है. लेकिन यह इंपैक्ट शॉर्ट टर्म का होगा. जैसा कि ट्रेंड अभी चल रहा है.
निफ्टी के लिए 18100 का लेवल अहम
अनुज गुप्ता का कहना है कि निफ्टी के लिए 18100 के लेवल पर रेजिस्टेंस है और 17300 के लेवल पर सपोर्ट. अगर 18100 का लेवल ऊपर की ओर ब्रेक होता है तो इसमें रैली शुरू होगी. इस साल के अंत तक यह 19000 का लेवल दिखा सकता है. सेंसेक्स के लिए 61000 के लेवल पर रेजिस्टेंस है, जबकि 57500 पर सपोर्ट. वहीं बैंक निफ्टी के लिए 42000 के लेवल पर रेजिस्टेंस है, जबकि 39000 के लेवल पर सपोर्ट है.