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रतन टाटा ने बुजुर्गों के लिए एक स्टार्टअप में किया निवेश, अनोखी सेवा उपलब्ध कराती है यह कंपनी

रतन टाटा बुजुर्गों की सेवा करने वाले एक अनूठे स्टार्टअप में निवेश का ऐलान किया है. इस स्टार्टअप के बारे में जानिए कि यह क्या करती है और यह किस तरह से अनूठी है.

रतन टाटा बुजुर्गों की सेवा करने वाले एक अनूठे स्टार्टअप में निवेश का ऐलान किया है. इस स्टार्टअप के बारे में जानिए कि यह क्या करती है और यह किस तरह से अनूठी है.

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FE Hindi Desk
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Ratan Tata invests in Sr citizen companionship-as-a-service startup Goodfellows

कारोबारी जगत के मजबूत स्तंभ रतन टाटा ने आज एक स्टार्टअप गुडफेलोज में निवेश का ऐलान किया है. हालांकि निवेश की राशि का खुलासा नहीं हुआ है. (Image- IE)

कारोबारी जगत के मजबूत स्तंभ रतन टाटा (Ratan Tata) ने आज मंगलवार 16 अगस्त को एक स्टार्टअप गुडफेलोज (Goodfellows) में निवेश का ऐलान किया है. हालांकि निवेश की राशि का खुलासा नहीं हुआ है. यह स्टार्टअप बुजुर्गों को सेवा के रूप में कंपेयनशिप यानी साथ मुहैया कराती है. इस स्टार्टअप को शांतनु नायडू ने स्थापित किया है. रतन टाटा टाटा ग्रुप से जब से रिटायर हुए हैं, स्टार्टअप में सक्रिय तरीके से निवेश कर रहे हैं और अब तक 50 से अधिक कंपनियों में निवेश कर चुके हैं.

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कौन हैं नायडू?

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शांतनु नायडू तीस साल के हैं और उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है. वह टाटा के ऑफिस में जनरल मैनेजर हैं और 2018 से उनकी सहायता कर रहे हैं. नायडू ने गुडफेलोज समेत चार कंपनियों की शुरुआत की है जिसमें एक पालतू जानवरों के लिए है.गुडफेलोज को लेकर रतन टाटा ने नायडू की प्रशंसा की है. 84 वर्षीय टाटा ने नायडू के विचार की सराहना करते हुए कहा कि जब तक आप वास्तव में बूढ़े नहीं हो जाते, तब तक किसी को भी बूढ़े होने का मन नहीं करता. उन्होंने यह भी कहा कि एक अच्छे स्वभाव वाला साथी प्राप्त करना भी एक चुनौती है.

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कैसे काम करती है Goodfellows

नायडू ने टाटा को एक बॉस, एक संरक्षक और एक मित्र के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया में डेढ़ करोड़ बुजुर्ग हैं, जो अकेले हैं जोकि गुडफेलोज के लिए अवसर के समान है. इन बुजुर्गों के साथी के रूप में गुडफेलोज में ऐसे युवा ग्रेजुएट्स को काम पर रखा जाता है जिनके पास संवेदना की उचित क्षमता और भावनात्मक बुद्धिमता हो. नायडू का कहना है कि सही साथी के चयन के लिए मनोवैज्ञानिक की मदद ली जएगी.

इनका काम बुजुर्गों के साथ रहना है, उनसे बातचीत करना है. इन्हें बुजुर्गों की जरूरतों के मुताबिक काम करना होगा जैसे कि उनके साथ कैरम खेलना, उनके लिए अखबार पढ़ना या उनके साथ झपकी लेना. एक साथी किसी बुजुर्ग क्लाइंट को एक हफ्ते में तीन बार विजिट करेगा और एक विजिट में उनके साथ चार घंटे बिताएगा. फीस की बात करें तो एक महीने की फ्री सर्विस के बाद बेस सब्क्रिप्शन के तौर पर एक महीने के लिए पांच हजार रुपये वसूलेगी.

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अभी 20 बुजुर्गों को दी रही है सेवाएं

अभी कंपनी के साथ पिछले छह महीने में मुंबई में 20 बुजुर्ग जुड़े हैं और इसकी योजना जल्द ही पुणे, चेन्नई और बेंगलूरु में विस्तार की है. कंपनी की योजना एक साल के भीतर करीब 100 साथी को हायर करने की है जो देश भर के 350-400 बुजुर्गों की सेवा कर सकें.
(इनपुट: पीटीआई)

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