/financial-express-hindi/media/post_banners/BOXMYP21NFD66lIOuigW.jpg)
रतन टाटा ने एक खौफनाक घटना को साझा किया है जब वे तीन मुसाफिरों के साथ प्लेन में सफर पर थे और उसकी इंजन खत्म हो गई.
टाटा संस के चेयरमैन एमेरिटस रतन टाटा ने एक खौफनाक घटना को साझा किया है जब वे तीन मुसाफिरों के साथ प्लेन में सफर पर थे और उसकी इंजन खत्म हो गई. उन्होंने यह भी याद किया कि कैसे वे एक शोफ फ्लोर से चेयरमैन की कुर्सी पर पहुंचे थे. नेशनल जोग्राफिक के मेगा आइकन्स सीजन दो के एपिसोड के प्रमोशनल क्लिप, जो 27 सितंबर को ऑन एयर होगी, उसमें रतन टाटा ने याद किया कि वे उस समय 17 साल की उम्र के थे, जो पायलेट के लाइसेंस के लिए जरूरी उम्र थी. उस समय उनके लिए ये संभव नहीं था कि वे खुद से अपने प्लेन को किराये पर लें. इसलिए उन्होंने अपने सहपाठियों से उड़ान भरने को लेकर बात की और उन्हें फ्लाइट में उड़ाने के लिए वॉलेंटियर किया.
रतन टाटा प्लेन क्रैश से कैसे बचे ?
रतन टाटा ने तीन मुसाफिर इकट्ठा किए जो उनके साथ उड़ान भरने के लिए तैयार थे. लेकिन जल्द ही प्लेन की इंजन खराब हो गय. रतन टाटा ने याद करते हुए कहा कि पहले प्लेन बहुत तेज से हिला और इंजन बंद हो गया. टाटा ने कहा कि वे इंजन के बिना थे और उन्हें इस बात पर ध्यान देना था कि वे नीचे कैसे आएंगे. उन्होंने बताया कि मुसाफिर बहुत शांत थे और किसी ने भी प्लेन से नीचे आने तक एक शब्द नहीं कहा.
मुश्किल मौसम से बाहर निकलकर टाटा ने आगे कहा कि एक हल्के प्लान में इंजन खत्म होना बड़ी बात नहीं है कि प्लान क्रैश हो जाएगा. टाटा ने कहा कि यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितनी ऊंचाई पर हैं और क्या लैंड करने के लिए जमीन खोजने के लिए पर्याप्त समय है. उस समय जब प्लेन क्रैश होने वाला था, रतन टाटा शांत रहे और उन्होंने अपनी हिम्मत बनाए रखी. उन्होंने हंसते हुए अपनी बात खत्म की और कहा कि आप उत्सुक नहीं हो सकते कि इंजन नहीं है, नहीं है.
Flipkart और Amazon का त्योहारी सीजन से पहले फर्नीचर कैटेगरी पर फोकस, विक्रेताओं की संख्या बढ़ाई
रतन टाटा चेयरमैन की कुर्सी तक कैसे पहुंचे ?
रतन टाटा ने याद किया कि शुरुआती दिनों के दौरान वे लॉस एंजलस में एक आर्किटेक्ट के दफ्तर में काम करते थे. लेकिन उन्हें भारत वापस आना पड़ा क्योंकि उनकी दादी बीमार थी और वे 4-5 साल तक बीमार रहीं. उनके करीब रहने के लिए टाटा वापस नहीं गए और TELCO (अब टाटा मोटर्स) की शॉप प्लोर पर काम किया. JRD टाटा जो टाटा ग्रुप के चेयरमैन और टाटा संस के शेयरहोल्डर थे, उन्होंने रतन टाटा को कहा कि वे केवल बैठ नहीं सकते. उन्हें काम में शामिल होना होगा.
रतन टाटा को लगा कि वहां रहना समय की बर्बादी है क्योंकि कुछ भी चीज अच्छी तरह प्लान नहीं की गई है. रतन टाटा ने अपना खुद का ट्रेनिंग प्रोग्राम बनाया और निर्माण के अलग स्तरों में मैटिरियल को देखा. टाटा ने कहा कि ये उनके सबसे मूल्यवान छह महीने थे. बहुत साल बाद वे TELCO के चेयरमैन बन गए.