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RBI ने 10 हजार करोड़ के बॉन्ड खरीदने और बेचने का किया एलान, रिटेल निवेशकों के लिए क्या हैं मायने

RBI Announces Special OMO: RBI ने एलान किया है कि वह 25 फरवरी को OMO के जरिए 10 हजार करोड़ के सरकारी बॉन्ड खरीदेगा.

RBI Announces Special OMO: RBI ने एलान किया है कि वह 25 फरवरी को OMO के जरिए 10 हजार करोड़ के सरकारी बॉन्ड खरीदेगा.

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RBI Announces Special OMO

RBI Announces Special OMO: RBI ने एलान किया है कि वह 25 फरवरी को OMO के जरिए 10 हजार करोड़ के सरकारी बॉन्ड खरीदेगा.

RBI Announces Special OMO: रिजर्व बैंक आफ इंडिया (RBI) ने एलान किया है कि वह 25 फरवरी को ओपन मार्केट आपरेशंस (OMO) के जरिए 10 हजार करोड़ के सरकारी बॉन्ड खरीदेगा. मार्केट में लिक्विडिटी को सपोर्ट करने के लिए RBI बॉन्ड खरीदने वाला है. 25 फरवरी को RBI सरकारी बॉन्ड खरीदेगा और दूसरी तरफ रिटेल निवेशकों को बेचेगा. रिजर्व बैंक का कहना है कि मौजूदा लिक्विडिटी और फाइनेंशियल कंडीशन को देखते हुए यह फैसला किया गया है. इससे पहले सेंट्रल बैंक ने 10 फरवरी को भी 20,000 करोड़ रुपए का बॉन्ड खरीदा था.

असल में यह बॉन्ड खरीदकर RBI सरकार को फंड मुहैया करा रहा है. बता दें कि RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले दिनों कहा था कि वह सरकार को 12 लाख करोड़ रुपए का फंड मुहैया करा सकते हैं. ऐसा सरकार के बॉरोइंग प्रोग्राम को सपोर्ट करने के लिए किया जाएगा. ब्लूमबर्ग के अनुसार एक सरकारी सूत्र ने जानकारी दी है कि आरबीआई यह सपोट्र आगे भी जारी रखेगा और सेंट्रल बैंक का प्लान अगले फाइनेंशियल ईयर में 3 लाख करोड़ (4100 करोड़ डॉलर) के बांड खरीदने का है. बाजार में ऐसी खबरें आने के बाद 10 साल का बॉन्ड यील्ड में कमी भी आई है और यह 6 फीसदी के आस पास है.

निवेशकों के लिए क्या हैं मायने

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एक्सपर्ट का कहना है कि आरबीआई के इन उपायों से जहां लिक्विडिटी बढ़ेगी, वहीं बॉन्ड मार्केट को स्टेबल रखने में मदद मिलेगा. 10 साल की बॉन्ड यील्ड घटेगी तो बॉन्ड मार्केट में तेजी आएगी. सिस्टम में लिक्विडिटी आने से फंडिंग चैनल आपरेशन को बनाए रखने में मदद मिलेगी और साथ ही वित्तीय अव्यवस्था को कम करने में भी मदद मिलेगी. इसका फायदा डेट मार्केट को ही नहीं इक्विटी को भी मिलेगा.

क्या हैं सरकारी बॉन्ड

गवर्नमेंट बांड ऐसा डेट इंस्ट्रूमेंट है, जिसकी खरीद-फरोख्त होती है. केंद्र और राज्य सराकरों इन्हें जारी करती हैं. केंद्र या राज्यों की सरकारों को कई बार फंड की जरूरत पड़ती है. कई बार लिक्विडिटी क्राइसिस की स्थिति बनती है. ऐसे में बाजार से पैसा जुटाने के लिए वे ऐसे बांड जारी करती हैं. यह छोटी और लंबी अवधि दोनों के लिए जारी किए जाते हैं. छोटी अवधि की सिक्युरिटी ट्रेजरी बिल कहलाती है जो 1 साल से कम अवधि के लिए जारी की जाती हैं. इस तरह की सिक्युरिटी एक साल से अधिक की अवधि के लिए जारी की जाती है तो इसे गवर्नमेंट बांड कहते हैं.

ये बांड सरकार की तरफ से जारी किये जाते हैं, इसलिए इनमें जोखिम नहीं होता है. ऐसे निवेशकों को सरकारी बॉन्ड में पैसा लगाना चाहिए जो एफडी जैसे परंपरागत निवेश के विकल्प खोज रहे हों. आगे सरकारी बॉन्ड में बेहतर रिटर्न दिख रहा है. हालांकि निवेश के पहले पेपर की क्वालिटी जरूर देखना चाहिए.

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