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आरबीआई ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के प्रदर्शन की समीक्षा के बाद उसे पीसीए के दायरे से बाहर करने का फैसला किया है. (File Photo)
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को बड़ी राहत दी है. रिजर्व बैंक ने मंगलवार को एलान किया कि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन फ्रेमवर्क (Prompt Corrective Action Framework - PCAF) के दायरे से बाहर किया जा रहा है. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया देश का इकलौता सरकारी बैंक है, जो पिछले 5 साल से PCA के दायरे में था. इसे खराब वित्तीय प्रदर्शन की वजह से जून 2017 में पीसीए फ्रेमवर्क के तहत लाया गया था. उस वक्त बैंक के नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (NPAs) काफी बढ़े हुए थे, जबकि रिटर्न ऑन एसेट्स (ROA) बेहद कम थे. लेकिन पिछले कुछ अरसे के दौरान बैंक के कामकाज में लगातार सुधार देखने को मिला, जिसके बाद आरबीआई ने इसे राहत देने का फैसला किया है. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के अलावा दो और सरकारी बैंकों - इंडियन ओवरसीज़ बैंक और यूको बैंक को भी आरबीआई के पीसीए फ्रेमवर्क के दायरे में रखा गया था, लेकिन उन्हें सितंबर 2021 में ही पाबंदियों से निजात मिल गई थी.
रिजर्व बैंक ने समीक्षा के बाद किया फैसला
इस बारे में मंगलवार को जारी बयान में कहा गया है कि रिजर्व बैंक के PCA फ्रेमवर्क के तहत सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के प्रदर्शन की बोर्ड ऑफ फाइनेंशियल सुपरविज़न ने समीक्षा की. इस समीक्षा में पाया गया कि 31 मार्च 2022 को खत्म वित्त वर्ष के दौरान बैंक के आंकड़े PCA पैरामीटर्स का उल्लंघन नहीं करते. बैंक ने लिखित आश्वासन भी दिया है कि वो मिनिमम रेगुलेटरी कैपिटल, नेट एनपीए और लीवरेज रेशियो के मामले में सभी मानकों का हमेशा पालन करेगा. साथ ही उसने आरबीआई को अपने ढांचे और सिस्टम में किए गए उन सुधारों की जानकारी भी दी, जिनसे बैंक के इस लक्ष्य को पूरा करने में लगातार मदद मिलेगी. आरबीआई के बयान के मुताबिक इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को कुछ शर्तों के साथ PCA के तहत लागू पाबंदियों के दायरे से बाहर किया जा रहा है. हालांकि इसके बाद भी बैंक के कामकाज की लगातार निगरानी जारी रहेगी.
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सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के प्रदर्शन में सुधार
जून 2022 में खत्म तिमाही के दौरान सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के नेट प्रॉफिट में 14.2 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी. जून तिमाही में बैंक का नेट प्रॉफिट 234.78 करोड़ रुपये रहा, जबकि पिछले साल की इसी अवधि में यह 205.58 करोड़ रुपये ही रहा था. मीडिया में आई खबरों के मुताबिक कुछ समय पहले बैंक ने आरबीआई के सामने अपने कामकाज की रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें उसने पिछली 5 तिमाही से लगातार अपने वित्तीय प्रदर्शन में सुधार होने की जानकारी दी थी.
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क्यों आती है बैंकों को PCA के दायरे में लाने की नौबत?
बैंकों को पीसीए के दायरे में लाने की नौबत तब आती है, जब वे खराब वित्तीय प्रदर्शन की वजह से रिटर्न ऑन एसेट, मिनिमम कैपिटल और एनपीए से जुड़े रेगुलेटरी पैरामीटर्स को पूरा नहीं कर पाते. पीसीए के दायरे में रखे गए बैंकों को डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन, नई ब्रांच खोलने और मैनेजमेंट को मिलने वाले वेतन भत्तों के मामले में कई पाबंदियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे बैंकों के प्रमोटर्स को अपना पूंजी निवेश बढ़ाने के लिए भी कहा जा सकता है. रिजर्व बैंक ने पिछले साल बैंकों के लिए एक संशोधित पीसीए फ्रेमवर्क भी जारी किया था, जिसमें निगरानी के जरिए सही समय पर उनके कामकाज में दखल देने का प्रावधान किया गया है.