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Gold Reserve : आरबीआई की परिसंपत्ति के रूप में रखे गए सोने का मूल्य 31 मार्च, 2025 तक 57.12 फीसदी बढ़कर 4,31,624.8 करोड़ रुपये हो गया. Photograph: (File Photo : PTI)
RBI Gold Reserve Value : आरबीआई की परिसंपत्ति के रूप में रखे गए सोने (गोल्ड डिपॉजिट सहित) का मूल्य 31 मार्च, 2025 तक 57.12 फीसदी बढ़कर 4,31,624.8 करोड़ रुपये हो गया. इसकी मुख्य वजह सोने की मात्रा में 54.13 टन की बढ़ोतरी और इसकी कीमतों में बढ़ोतरी रही. बैंकिंग विभाग की परिसंपत्ति के रूप में रखे गए सोने का मूल्य 31 मार्च, 2024 तक 2,74,714.27 करोड़ रुपये था. रिपोर्ट के अनुसार 31 मार्च, 2025 तक केंद्रीय बैंक के पास कुल सोना 879.58 टन था, जबकि 31 मार्च, 2024 तक यह 822.10 टन था. यह गत वित्त वर्ष में सोने की मात्रा में 57.48 टन की बढ़ोतरी को दर्शाता है.
बही-खाते का साइज 76.25 लाख करोड़
विदेशी मुद्रा लेनदेन में करीब 33 फीसदी की बढ़ोतरी से वित्त वर्ष 2024-25 में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बही-खाते का आकार बढ़कर 76.25 लाख करोड़ रुपये हो गया है. इसके दम पर ही केंद्रीय बैंक ने सरकार को 2.7 लाख करोड़ रुपये का बड़ा डिविडेंड दिया है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी 2024-25 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि देश वित्त वर्ष 2025-26 में भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा.
भारतीय अर्थव्यवस्था पर भरोसा
रिपोर्ट में कहा गया कि दीर्घकालीन जियो-पॉलिटिकल टेंशन के बीच, मजबूत आर्थिक बुनियादी आंकड़ों और सक्रिय नीतिगत उपायों के समर्थन से 2024-25 में अर्थव्यवस्था ने जुझारू क्षमता दिखाई. वित्तीय क्षेत्र की मजबूती ने आर्थिक गतिविधियों को और अधिक समर्थन दिया. कई वैश्विक चुनौतियों के बीच, भारतीय वित्तीय बाजारों ने जुझारू एवं व्यवस्थित गतिविधियों का प्रदर्शन किया.
रिजर्व बैंक ने कहा कि हालांकि, सप्लाई चेन पर दबाव में कमी, वैश्विक कमोडिटी कीमतों में नरमी और सामान्य से बेहतर दक्षिण-पश्चिम मानसून से कृषि उत्पादन में ग्रोथ जैसे फैक्टर महंगाई पर काबू पाने के लिए अच्छे संकेत हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि शुल्क नीतियों में बदलाव के चलते वित्तीय बाजारों में कहीं-कहीं अस्थिरता का प्रभाव दिख सकता है और निर्यात को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है.
केंद्रीय बैंक ने कहा कि भारत के व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर एवं बातचीत करने से इन प्रभावों को सीमित करने में मदद मिलेगी. साथ ही, सेवा निर्यात एवं प्रवासियों द्वारा भेजे जाने वाले धन (रेमिटेंस) से यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि वित्त वर्ष (2025-26) में चालू खाते का घाटा (कैड) ‘‘ उल्लेखनीय रूप से प्रबंधन के दायरे में’’ हो.
महंगाई कंट्रोल में रहने का अनुमान
केंद्रीय बैंक ने लगातार दो पॉलिसी में प्रमुख नीतिगत दर रेपो में कटौती की है. वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया कि अब 12 महीने की अवधि में कुल महंगाई के 4 फीसदी के लक्ष्य के अनुरूप बने रहने को लेकर ‘‘ अधिक भरोसा ’’ है. इसमें सुझाव दिया गया कि ब्याज दर जोखिम की गतिशील प्रकृति को ध्यान में रखते हुए बैंकों को व्यापार और बैंकिंग दोनों प्रकार के बही जोखिमों से निपटने की आवश्यकता है, खासकर शुद्ध ब्याज ‘मार्जिन’ में कमी के मद्देनजर.