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एमपीसी बैठक में आरबीआई रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट पर फैसला करता है. (Image- Reuters)
RBI MPC Meeting 2022: केंद्रीय बैंक RBI (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) की मौद्रिक नीति समिति की बैठक (MPC Meeting) चल रही और इसके नतीजों का एलान कल यानी10 फरवरी को होगा. यह इस साल 2022 और अगले वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पेश होने के बाद की पहली बैठक है. एमपीसी बैठक में आरबीआई रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट पर फैसला करता है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि आरबीआई पर महंगाई को काबू में रखने का दबाव है और कोरोना के झटकों से उबर रही इकोनॉमी को भी सहारे की जरूरत है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक आरबीआई इस बार दरों में बदलाव कर सकती है. इन दरों का आम आदमी पर बड़ा असर पड़ता है. अगर ये दरें बढ़ती हैं तो लोन महंगा हो सकता है.
नीतिगत दरों हो सकती हैं सख्त
नाइट फ्रैंक इंडिया के डायरेक्टर-रिसर्च विवेक राठी के मुताबिक कोरोना महामारी के झटकों का भारतीय इकोनॉमी ने बेहतरीन तरीके से सामना किया और यह दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही इकोनॉमी में शुमार है. हालांकि तीसरी लहर और ओमिक्रॉन वैरिएंट के चलते अभी भी इकोनॉमी के सामने दिक्कतें बनी हुई हैं. राठी के मुताबिक केंद्रीय बैंक आरबीआई कंज्यूमर इंफ्लेशन लेनल पर नजर बनाए रखेगा जो ऊपरी स्तर पर है. राठी के मुताबिक महंगे क्रू़ड ऑयल और कमोडिटी प्राइस की बढ़ती कीमतों के चलते आरबीआई की नीतियों के सख्त होने की आशंका है लेकिन तीसरी लहर के खत्म होने से पहले कुछ समय आरबीआई प्रमुख नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रख सकता है.
पहले रिवर्स रेपो रेट में हो सकती है बढ़ोतरी
श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस के एमडी और वाइस चेयरमैन उमेश रेवंकर के मुताबिक कोरोना महामारी झटकों से उबर रही इकोनॉमी में ग्रोथ दिख रही है लेकिन यह असमान है और महंगा कच्चा तेल, सप्लाई चेन की दिक्कतें व बढ़ती लागत जैसे कारणों से महंगाई दर बढ़ने की आशंका बनी हुई है. कोरोना महामारी के चलते अनिश्चितता अभी बनी हुई है और इकोनॉमी के सभी सेक्टर्स में ग्रोथ समान नहीं दिख रही है, महंगाई के बढ़ने की आशंका बनी हुई है और वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीतियों को सख्त कर रहे हैं तो ऐसे में रेवंकर का मानना है कि आरबीआई आरबीआई पहले रिवर्स रेपो रेट को बढ़ा सकता है और इसके बाद इस साल 2022 की दूसरी छमाही में रेपो रेट में बढ़ोतरी हो सकती है. वहीं दूसरी तरफ कोरोना महामारी ने एमएसएमईज और स्व-रोजगार कर रहे लोगों को बुरी तरह प्रभावित किया जिन्हें अधिकतर एनबीएफसी कर्ज देती है तो ऐसे में रेवंकर का मानना है कि आरबीआई कुछ अतिरिक्त क्रेडिट व पॉलिसी सपोर्ट का एलान कर सकता है.
लगातार नौ बार से स्थिर है दरें
आरबीआई ने लगातार नौ बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. इससे पहले वर्ष 2020 में केंद्रीय बैंक ने मार्च में 0.75 फीसदी (75 बीपीएस) और मई में 0.40 फीसदी (40 बीपीएस) की कटौती की थी और उसके बाद से रेपो रेट 4 फीसदी के ऐतिहासिक निचले स्तर पर लुढ़क गया. इसके बाद से अभी तक आरबीआई ने दरों में कोई बदलाव नहीं किया है.