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RBI की नई मौद्रिक नीति का आप पर क्या होगा असर? होम लोन, एफडी और ATM निकासी से जुड़े एलानों पर जानिए एक्सपर्ट की राय

केंद्रीय बैंक आरबीआई ने आज अपनी नई क्रेडिट पॉलिसी का ऐलान किया है और दरों में लगातार 11वीं बार कोई बदलाव नहीं हुआ है.

केंद्रीय बैंक आरबीआई ने आज अपनी नई क्रेडिट पॉलिसी का ऐलान किया है और दरों में लगातार 11वीं बार कोई बदलाव नहीं हुआ है.

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RBI MPC decision impact on home loan fixed deposits and more read here in details

आरबीआई ने दरों को स्थिर रखने के अलावा कैश विदड्रॉल को लेकर बड़ा प्रस्ताव पेश किया है.


केंद्रीय बैंक आरबीआई (RBI) ने आज अपनी नई क्रेडिट पॉलिसी का ऐलान किया है. आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष 20222-23 की पहली मौद्रिक पॉलिसी के तहत दरों में कोई बदलाव नहीं किया है और रेपो रेट अभी भी कई साल के निचले स्तर 4 फीसदी पर बना हुआ है. यह लगातार 11वीं बार है जब रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं हुआ है. इससे पहले आखिरी बार 22 मई 2020 को ब्याज दरों में बदलाव हुआ था. इसके अलावा आरबीआई ने कैश विदड्रॉल को लेकर भी फैसला किया है. आइए जानते हैं कि आरबीआई के फैसले का क्या असर आम लोगों पर पड़ा है.

Home Loan

आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है, इससे घर खरीदार बहुत खुश हैं. रेपो रेट स्थिर रहने के चलते होम लोन की दरें भी यथावत बनी रहेंगी. इसके अलावा आरबीआई ने हाउसिंग लोन पर लोअर रिस्क वेटेज को भी एक साल आगे यानी 31 मार्च 2023 तक बढ़ा दिया है. इसका मतलब है कि अब अगले साल मार्च के आखिरी तक हाउसिंग लोन के रिस्क वेटेज के लिए एलटीवी रेशियो का इस्तेमाल होगा. इससे कर्ज की लागत कम करने में मदद मिलेगी. इससे आम लोगों को यह फायदा होगा कि रिस्क वेटेज घटने से होम लोन पर प्रोविजनिंग कम करनी होगी और बैंकों के पास कर्ज देने के लिए अधिक पैसे होंगे. इस समय कम से कम 20 लेंडर्स ऐसे हैं जो 6.90 फीसदी से कम दर पर होम लोन दे रहे हैं और यह समय लोन लेने के लिए बेहतर है क्योंकि कई इंडिकेटर रेट बढ़ने के संकेत दे रहे हैं. 10 साल से अधिक समय वाले बॉन्ड की यील्ड 7 फीसदी से ऊपर है तो महंगाई दर भी अधिक है. अगर यह रूझान बना रहा तो केंद्रीय बैंक दरें बढ़ा सकता है.

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Fixed Deposits

अलग-अलग अवधि वाले एफडी की दरें में मामूली बदलाव हो चुका है और इस समय 3-5 साल की अवधि के एफडी के लिए ब्याज दर सबसे अधिक है. हालांकि कुछ बैंकों में 2-5 साल की अवधि के एफडी की भी दरें सबसे अधिक है. निवेशकों को कम अवधि वाले एफडी में पैसे लगाने चाहिए और जब दरें बढ़ती हैं तो जिस टेन्योर में ऐसा हो, उसमें पैसे लगाएं. वहीं दूसरी तरफ औसतन बेहतर रिटर्न के लिए पैसों को कई हिस्सों में बांटकर अलग-अलग अवधि में लगा सकते हैं यानी लैडरिंग.

Cash Withdrawals

ट्रांजैक्शन को आसान बनाने और फर्जीवाड़े पर रोकथाम के लिए केंद्रीय बैंक आरबीआई ने सभी बैंकोों और एटीएम पर यूपीआई के जरिए कार्डलेस कैश विदड्रॉल का प्रस्ताव रखा है. अभी तक यह सुविधा कुछ बैंकों ने ही अपने ग्राहकों को दिया हुआ है.

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(Article: Adhil Shetty, CEO, bankbazaar.com)

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